मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध से कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल
बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े कुछ भी कहते हों लेकिन सरकार इन आंकड़ों को कम करने के लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाना चाहती है। मप्र पहला राज्य है, जिसने नाबालिग बच्चियों से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामलों में फांसी की सजा का कानून बनाया है। कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई भी गई है।
HIGHLIGHTS
- 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने कानून बनाया था।
- प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर राज्य सरकार का रवैया अत्यंत चिंताजनक।
- डिंडोरी में बालिका से छेड़छाड़ के बाद बेचने का मामला सामने आया है।
जबलपुर (Jabalpur News)। कोलकाता दुष्कर्म और हत्या के मामले ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, वहीं महू में प्रशिक्षु सैन्य अधिकारियों के साथ लूट और उनकी महिला मित्र से सामूहिक दुष्कर्म का मामला भी पूरे देश की सुर्खियां बन रहा है। ये मामले अभी ठंडे भी नहीं पड़े थे कि डिंडोरी जिले में बालिका से छेड़छाड़ के बाद बेचने का मामला सामने आया है। महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़, मारपीट की बढ़ती घटनाओं के कारण मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बड़े गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा के संबंध में पुलिस कठघरे में
प्रदेश सरकार भले ही महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने कर दावे करती है लेकिन ताजा घटनाओं को देखें तो महिलाओं के साथ अपराध बढ़ गए हैं। बीते कुछ दिनों में महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा के संबंध में प्रदेश की पुलिस कठघरे में खड़ी नजर आ रही है। इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था लगभग अस्तित्वहीन है।
अपराधों पर भाजपा सरकार का नकारात्मक रवैया अत्यंत चिंताजनक
महिलाओं के खिलाफ दिन प्रतिदिन बढ़ते अपराधों पर भाजपा सरकार का नकारात्मक रवैया अत्यंत चिंताजनक है। अपराधियों की निर्भीकता प्रशासन की पूर्ण नाकामी का परिणाम है और इस कारण देश में पनपता असुरक्षित वातावरण भारत की बेटियों की स्वतंत्रता, उनकी आकांक्षाओं पर बंदिश है।
आधी आबादी की रक्षा की जिम्मेदारी से कब तक आंख चुराएंगे?
समाज और सरकार दोनों शर्मिंदा हों और गंभीरता से विचार करें कि देश की आधी आबादी की रक्षा की जिम्मेदारी से कब तक आंख चुराएंगे? कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तो प्रदेश को अपराधों की राजधानी बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश को अपराध प्रदेश बना दिया है। यहां महिला, दलित, आदिवासी, जवान, किसान, सब पर अत्याचार हो रहा है।
आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म होता है
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म होता है। ऐसे में देखा जाए तो हर घंटे 4 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो रहा है। मध्य प्रदेश भी महिला अपराधों के मामले में पीछे नहीं है। 2022 की बात करें तो पूरे देश में दुष्कर्म के 31 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। उनमें से राजस्थान में 5399, उत्तर प्रदेश में 3690 और मध्य प्रदेश में 3039 केस दर्ज हुए थे।
देश में मध्य प्रदेश इस मामले में तीसरे स्थान पर था
देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं। देश में मध्य प्रदेश इस मामले में तीसरे स्थान पर था। बच्चों से छेड़खानी के मामले भी प्रदेश में ज्यादा हैं। प्रदेश के थानों में 5996 केस दर्ज हैं। पिछले दो सालों में इन मामलों में कमी जरूर आई है, पर अभी मध्य प्रदेश में महिला अपराध लगातार हो रहे हैं। फिलहाल गृह विभाग मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के पास है।
अपराधों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे
पद संभालने के 15 दिनों के भीतर ही पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर गृह विभाग मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अपराधों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने ढिलाई करने वाले कई पुलिस अधिकारियों को इधर से उधर भी किया था। सीएम की सख्ती के बाद भी आए दिन महिलाओं के साथ अपराध सामने आ ही रहे हैं।
पुलिस के आंकड़ों में कई तरह के अपराध घटे हैं
वैसे पुलिस के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में बलात्कार सह हत्या के प्रकरणों में 14.3 प्रतिशत की कमी, दुष्कर्म के प्रयास में 35.7 प्रतिशत कमी और दहेज हत्या के प्रकरण 10.7 प्रतिशत घटे हैं। लगातार हो रहे अपराधों से इन आंकड़ों पर भी प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं। हमारे प्रदेश में बलात्कार की खबरें आम सी हो गई हैं। बच्चियों की सुरक्षा के जितने भी दावे किए गए हैं, सबकी हवा निकलती दिख रही है। सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
कानूनों का भी असर नहीं
बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े कुछ भी कहते हों लेकिन सरकार इन आंकड़ों को कम करने के लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाना चाहती है। मप्र पहला राज्य है, जिसने नाबालिग बच्चियों से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामलों में फांसी की सजा का कानून बनाया है। कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई भी गई है।
2012 में हुए निर्भया कांड के बाद कानून बनाया था
जब मप्र की शिवराज सरकार ने नया विधेयक पेश किया था तो प्रदेश के प्रविधान की तुलना उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, चीन, मिस्र, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान जैसे देशों की सजा से की जाने लगी थी। 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने भी नाबालिगों के लिए कानून बनाया था। ये कानून पाक्सो यानी प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल अफेंस एक्ट था। ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है। इसके साथ ही प्रदेश में दुष्कर्म के दोषियों के मकान गिराने जैसी कार्रवाई भी लगातार की जाती है। इतने सख्त कानून और सजा के प्रविधान भी अपराधों को कम करने में कारगर साबित नहीं हो रहे हैं।
अपनों से सबसे ज्यादा खतरा
शांति के टापू माना जाने वाला मध्य प्रदेश अब बच्चियों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक और असुरक्षित हो गया है। प्रदेश में दुष्कर्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि अिधकतर मामले में आरोपित करीबी होते हैं। अपराधों में सबसे ज्यादा शिकायतें पति और रिश्तेदारों को लेकर ही आती है।
बाल शोषण के मामले में भी मप्र दूसरे नंबर पर
एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश बाल शोषण के मामले में भी शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। महाराष्ट्र पहले नंबर पर है तो मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 20762 मामले दर्ज किए गए हैं। दूसरे स्थान में शामिल मध्य प्रदेश में 20415 अपराध दर्ज किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में 18682, राजस्थान में 9370 और पश्चिम बंगाल में 8950 मामले दर्ज हुए हैं।