एमपी हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी- मौत डॉक्टरों की हड़ताल खत्म होने का इंतजार नहीं करेगी, तुरंत काम पर लौटें
कोलकाता में आठ अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में देशभर में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, डीन गांधी मेडिकल कॉलेज व जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, जीएमसी भोपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। 20 अगस्त को फिर होगी सुनवाई।
HIGHLIGHTS
- निजी अस्पतालों में भी सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही चालू हैं।
- मरीज की जान गई तो, चिकित्सा का पेशा दागदार होगा।
- वॉट्सएप, ईमेल से तत्काल नोटिस भेजने कहा गया है।
जबलपुर (MP High Court)। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने डॉक्टरों को हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हड़ताल के कारण किसी मरीज की जान गई तो, चिकित्सा का पेशा दागदार होगा। डॉक्टरों की शिकायतों पर 20 अगस्त को सुनवाई करेंगे। भोपाल, जबलपुर में भी अस्पतालों में ओपीडी बंद रखने का फैसला लिया।
निजी अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं। हड़ताल की वजह से ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बिगड़ने लगी है। इलाज के लिए मरीजों की लाइनें लग रही। पैथोलाजी टेस्ट नहीं हो पाए। स्वजन भी हलकान होते रहे।
कोर्ट की अनुमति बिना भोपाल में डॉक्टर हड़ताल पर क्यों गए हैं?
शुक्रवार को कोर्ट ने ने सवाल किया था कि पूर्व में दिए स्पष्ट आदेश के बावजूद कोर्ट की अनुमति बिना भोपाल में डॉक्टर हड़ताल पर क्यों गए हैं? कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, डीन गांधी मेडिकल कालेज व जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, जीएमसी भोपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
वॉट्सएप, ईमेल के माध्यम से तत्काल नोटिस भेजने कहा
कोर्ट ने वॉट्सएप, ईमेल के माध्यम से तत्काल नोटिस भेजने कहा था। साथ ही मामले पर शनिवार को पुन: सुनवाई निर्धारित कर दी थी। शनिवार को सुनवाई के दौरान पक्षकारों के जवाब आए। जिन पर गौर करने के बाद कोर्ट ने जान जा रही होगी तो दो दिन बाद दवा देंगे, जैसी अपनी पुरानी तल्ख टिप्पणी दोहराई।
नरसिंहपुर के अंशुल तिवारी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी
जनहित याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी ने डॉक्टरों की हड़ताल को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल व अभिषेक पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2023 में भी इसी विषय को लेकर जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं।
अदालत की अनुमति बिना डाक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते
हाई कोर्ट ने उन मामलों में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि अदालत की अनुमति बिना डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते। कोर्ट ने यह भी कहा था कि टोकन स्ट्राइक पर जाने के लिए भी कोर्ट की अनुमति जरूरी है। इसके बावजूद प्रदेश भर में डॉक्टर हड़ताल पर जा रहे हैं, जिससे चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार रात 12 बजे से काम बंद कर दिया था
कोलकाता में आठ अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में देशभर में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है। भोपाल में एम्स के बाद हमीदिया अस्पताल के जूनियर डाक्टरों ने गुरुवार रात 12 बजे से काम बंद कर दिया था। इंदौर में भी जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी केस ही देख रहे हैं।