“कोरोना हॉटस्पॉट” बालोद में फिर मिले 2 कोरोना पॉजिटिव, 11 में 4 यहीं से। लाकडाऊन का उल्लंघन, लापरवाही एवं अव्यवस्था। विधायक ने लिया जायजा।
बालोद। बालोद में दो नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इसके साथ ही राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 11 पहुंच गई है। डौण्डी ब्लाक के एक नगर मे रविवार को दो कोरोना पाजीटिव युवक की पहचान की गई, दोपहर को एम्स ने इसकी पुष्टि की है। अब बालोद जिला मे कोरोना पाजीटिव युवको की संख्या कुल 4 हो गई है। ये दोनो युवक भी बाम्बे गये थे जहाॅ से 11 मई को लौटे हैं। बता दे कि इन दो युवको मे से एक युवक को रैन बसेरा स्थित क्वारेन्टाइन सेंटर मे रखा गया था और दूसरे युवक को बालोद जिला मुख्यालय स्थित जिला क्वारेन्टाइन सेंटर मे रखा गया था। दोपहर को दोनो ही युवको को रायपुर एम्स भेजा गया। रविवार को जानकारी मिलते ही प्रशासन मे हड़कम्प मच गया। पूर्व मे इस नगर से दो केस मिलने के बाद वार्ड क्रमांक 24 और वार्ड क्रमांक 2 को पूरी तरह सील कर दिया गया था, साथ ही जिले के इस नगर मे मंगलवार तक लाक डाउन किया गया है, जिसमे लिमिटेड दुकाने ही खुलने की अनुमति दी गई है।
बता दे कि ये सभी युवक महाराष्ट्र के मुंबई से आये हुये है और सबसे पहले जो युवक कोरोना संक्रमित हुआ उसके सम्पर्क मे थे। ऐसे में इन्हे चिन्हित कर क्वारेन्टाइन सेंटर मे रखा गया था। जिला प्रशासन द्वारा जिले के इस नगर मे लाक डाउन का पालन करने व लोगो को सुरक्षित रहने की अपील की गई है।
विधायक और कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने थामी कमान
प्रवासी मजदूर एवं अन्य लोगों का जिले में आना बदस्तूर जारी है। जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बाहर से आने-जाने वालों की जांच के लिए रानीतराई (रोड) में चेक पोस्ट लगाया है। वहां पुलिस, स्वास्थ्य एवं राजस्व विभाग की टीम लगी है। चेक पोस्ट की व्यवस्था देखने शनिवार शाम को विधायक कुवरसिग निषाद एवं जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष चंद्रप्रभा सुधाकर अचानक चेकपोस्ट स्थल पर पहुंचे। उनके साथ जनपद अध्यक्ष जागृत सोनकर भी थे। चेक पोस्ट पर विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने देखा कि पैदल चलकर आने वाले लोगों के लिए बैठने एवं अन्य सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। चेक पोस्ट भी जिले की सीमा से हटाकर राजनांदगांव सीमा में लगा दिया गया है। जिले के चेक पोस्ट से निकलने वाले वाहन एवं पैदल यात्रियों के लिए विधायक ने तत्काल पानी पाउच, चाय एवं नाश्ते की व्यवस्था की। उन्होंने सेक्टर प्रभारी छकन साहू को रविवार सुबह से सुबह से यात्रियों एवं चेक पोस्ट पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों के लिए व्यवस्था करने राशि उपलब्ध कराई।
चेक पोस्ट पर रिकॉर्ड नहीं है व्यवस्थित : बाहर से आने-जाने वालों के लिए लगाए गए चेक पोस्ट पर रिकॉर्ड व्यवस्थित नहीं किया गया है। अभी तक सीमा से कितने लोग जिले में प्रवेश किए इसका भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। जांच किए गए लोगों की संख्या भी उपलब्ध नहीं है। जिले में प्रवेश करने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज इसी रास्ते से अपने गांव गए हैं। पॉजिटिव पाए गए कोकान के युवक की जांच करने वाली एएनएम का भी सैंपल शनिवार को लिया गया।
क्वॉरेंटाइन सेंटर में देखी व्यवस्था : विधायक, जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष तथा अन्य जनप्रतिनिधियों ने जेवरतला (रोड) तथा कोचेरा की क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए ग्रामीणों से हाल-चाल पूछा और व्यवस्था देखी। जिला में जनपद सदस्य राजेश साहू एवं उनका परिवार मुंबई से लौटने पर स्कूल में क्वॉरेंटाइन किए गए हैं। कई सेंटरों में बिजली, पानी एवं भोजन की परेशानी आ रही है। विधायक ने इस संबंध में तहसीलदार रामरतन दुबे से बात कर व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए।
नगर पंचायत गुरूर में हो राहा है लाकडाऊन खुलेआम उल्लंघन
जिला के धनबली और बाहुबली दुकानदारों के आगे प्रसाशन मौन एक ओर गुरूर तहसील के अधिकारियों ने चुस्त प्रसानिक व्यवस्था बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर खूब पसीना बहाये है यहाँ तक बंद दुकान में सील भी लगा दिया गया, लेकिन लाकडाऊन के दौरान गुरूर नगर पंचायत क्षेत्र में दुकान खोलकर धंधा करने वाले व्यपारी की हिम्मत को देखिए। आंख से दिव्यांग व्यक्ति भी बड़ी आसानी से समझ सकता है कि दुकान खुली हुई है, लेकिन बंद दुकान को सील करने वाले अधिकारियों को शायद खुली दुकान नजर नहीं आती है। वही नगर पंचायत गुरूर के अधिकारी और कर्मचारी कुछ दिनों पहले अपने खुले आंखों से समय हो जाने के बाद भी दुकान बंद नहीं करने के वजह से कुछ फल दुकानदारों को नोटिस थमाते हुए जुर्माना वसुल किया है। वसुली के कारोबार में अंधे हो समय में दुकान बंद करने वाले दुकानदार के घर जाकर चालान कांटने की कोशिश करने की बात सामने आई है।
भला हो ऐसे अधिकारी और कर्मचारियों का जो कार्यवाही करने के लिए भी रसूख और ओहदे की पड़ताल करते हैं और फिर तय किया जाता है कि कार्यवाही किस स्तर पर किया जाये अथवा नहीं। गरीब फल व्यपारी जो अपने परिवार के पेट के खातिर छोटे छोटे ठेले लगाकर फल बेंचते है। दुकान बंद करने के बाद उनके घर में जाकर कार्यवाही करने की बात करते हुए धौंस देते हैं, लेकिन प्रशासन के नाक के नीचे दुकान खोलकर धंधा करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है ये चिंता का विषय ही नहीं है बल्कि प्रशासनिक अंधेर गर्दी है जो सिर्फ गरीब और मुलाजिमों पर असर दिखाती है।