लॉक डाउन को धत्ता बताकर भ्रष्टाचार की तालाब के वास्ते बेशकीमती वृक्षों की कटाई !
कहते हैं कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती, यह कहावत चरितार्थ होता है वन विभाग में। अब डीएफओ राजेश चंदेल को ही ले लीजिए। आपको शायद याद हो; जब ये महाशय प्रदेश के बस्तर में पदस्थ थे तब इनके द्वारा शासकीय आवास में 70 लाख रुपए खर्च कर स्वीमिंग पूल बनवाया गया था। अब इसी भ्रष्टासुर के विभाग का एक अदना सा वनासुर एस एन मिश्रा के द्वारा भ्रष्टाचार की एक नई इबारत लिखी जा रही हैं…
कोरिया (hct)। एक तरफ जहाँ देश वैश्विक महामारी COVID -19 के चपेट में है जिसके मद्देनजर शासन-प्रशासन की ओर से कोरोना से बचाव व इसके नियंत्रण हेतु लॉक डाउन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश शासन द्वारा प्रत्येक नागरिक को दिया गया है, जिस हेतु विभाग के कर्मचारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा गांव के प्रत्येक घरों में जाकर समझाइश भी दी जा रही है; ताकि इस महामारी से निजात पाई जा सके लेकिन विसंगति यह है कि सोनहत रेंजर के द्वारा सोशल डिस्टेंस की अवहेलना करते हुए 6 ट्रैक्टर और दो जेसीबी से तालाब निर्माण का कार्य लगातार धड़ल्ले से कराए जा रहा है…!
बैकुंठपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोनहत विकासखंड साल और सागौन से आच्छादित वन क्षेत्र अंतर्गत ग्राम रजौली के पंडो पारा जोगी बांध स्थान पर वन विभाग के द्वारा तालाब निर्माण का कार्य जेसीबी व ट्रैक्टर के उपयोग से कराया जा रहा है। वहीं पर सात आठ लोग एक साथ बिना चेहरे ढके हुए जमे हुए थे, कार्यस्थल पर डिप्टी रेंजर भी मौजूद थे। आसपास न तो सैनिटाइजर था ना ही साबुन और न ही समूह में बैठे व्यक्तियों के पास मास्क। आसपास एकत्र लोगो से जब जानकारी ली गई कि कार्यस्थल में उक्त सामग्री कहां है ? आपके द्वारा सोशल डिस्टेंस का पालन क्यों नहीं किया जा रहा ? तो उनके द्वारा कहा गया कि इस संबंध में रेंजर साहब ही कुछ बता सकते हैं। हमको जैसा आदेशित किया गया है, उनके आदेश का पालन कर रहे हैं।
आश्चर्य की बात यह कि एक ही जगह पर दो-दो तालाब का निर्माण कराया जा रहा है। दोनों तालाब की दूरी लगभग डेढ़ सौ मीटर की होगी ! दो तालाब का निर्माण एक ही जगह पर करवाए जाने का उद्देश्य समझ से परे है।
नियम और कानून का जाल तो गरीबों के बुने गए हैं साहब, इसे बनाया ही जाता है लाचार और असहाय लोगो के लिए। सामर्थ्यवान के लिए तो यह रक्कासा है, जब नियम कानून बनाया जाता हैं; तो सबसे पहले उसमें एक “लूप होल” छोड़ दिया जाता है; जिसमे से ये सामर्थ्यवान लोग आसानी से बचकर निकल जाते हैं, गोस्वामी तुलसीदास में कहा है; “समरथ को नहीं दोष गोसाई”
अब आते हैं असल मुद्दे पर उपरोक्त तमाम बातों का जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि;
जिस स्थान पर तालाब (निर्माण) खुदाई करवाई जा रही है वहां पर अनेक बेशकीमती (सागौन के बड़े) वृक्षों को काट दिया गया है और साक्ष्य छिपाने हेतु काटे गए वृक्षों के जमीनी हिस्से को जड़ समेत उखाड़कर ट्रेक्टर ट्राली में लाद डिपो में डंप करवाने के उद्देश्य से “अनाधिकृत रूप से पंचायत में प्रवेश करने पर बेरियर में ट्रैक्टरों को रोककर सरपंच व सचिव के द्वारा पुलिस के सुपुर्द किए जाने की भी जानकारी आ रही है, सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक लकड़ी परिवहन करने हेतु दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं। ट्रैक्टर ड्राइवरों ने बताया कि जोगी बांध से लकड़ी उठाकर डिपो में हम लोगों के द्वारा रेंजर के कहने से लाया जा रहा था। रेंजर एस एन मिश्रा का हिटलर शाही साम्राज्य कायम है।
आगामी कड़ी में इस प्रकरण में संलिप्त भ्रष्टासुर डीएफओ राजेश चंदेल की भ्रष्ट कारनामो का उजागर
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