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छत्तीसगढ़ का उद्यानिकी और बागवानी मिशन एक बार फिर बदनाम…

रायपुर। अपने कामकाम को लेकर बेहद चाक-चौबंद समझे जाने वाले रविंद्र चौबे के कृषि मंत्री रहने के बाद भी छत्तीसगढ़ का उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन बदनाम हो रहा है…

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में दोनों मिशन के कामकाज की सबसे ज्यादा बदनामी तब हुई थीं जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थीं. तब यह बात प्रचलित थीं कि संचालक हरी-भरी सब्जियों के साथ-साथ हरा-हरा नोट चबाता है। इधर एक बार फिर उद्यानिकी और बागवानी मिशन में कमीशन कल्चर जोर मार रहा है।

अभी हाल के दिनों में भांठागांव के गोपी यादव नाम के एक शख्स ने कृषि उत्पादन आयुक्त को उद्यानिकी और बागवानी मिशन में चल रही कमीशनखोरी और गड़बड़ियों को लेकर शिकायत भेजी है। शिकायत करने वाले ने मिशन के संचालक को जबरदस्त ढंग से आड़े हाथों लिया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि नए संचालक जब से तैनात हुए हैं तब से हर मामले में कमीशन का खुला खेल चल रहा है।

वर्मी बेड़ के वितरण में घोटाला

शिकायतकर्ता का आरोप है कि राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत किसानों को केंचुआ खाद बनाने के लिए वर्मी बेड प्रदान किया जाता है। एक वर्मी बेड की कीमत 16 हजार रुपए होती है। इस बेड का आधा खर्चा मिशन के द्वारा वहन किया जाता है तो आधा किसानों को अदा करना होता है, लेकिन नए संचालक ने किसानों से अंश राशि न लेकर घटिया किस्म का वर्मी बेड़ वितरित कर दिया है। किसानों को जो वर्मी बेड़ बांटा गया है उसमें केंचुआ खाद का निर्माण ही नहीं हो रहा है। बाजार में जिस वर्मी बेड़ की कीमत दो से ढाई हजार रुपए हैं उसे प्रति किसान सोलह हजार रुपए के मान से वितरित किया गया है। एक अनुमान है कि अब तक 40 करोड़ रुपए का वर्मी बेड़ बांटा जा चुका है।

आलू बीज घोटाला

उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन आलू की खेती को बढ़ावा देने के लिए आलू के बीज का भी वितरण करता है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इस बार आलू बीज का वितरण तब किया गया जब बोनी के लिए समय निकल गया। कई किसानों के खेत में आलू सड़ गया। जो बीज वितरित किया गया उसकी गुणवत्ता भी बेहद घटिया थीं जिसके चलते कई किसानों ने उसे अपने खेत में बोने से इंकार कर दिया।

फूल और सब्जी बीज घोटाला

मिशन के द्वारा फूलों की खेती को बढ़ावा देने का काम भी किया जाता है। इस वित्तीय वर्ष में ग्लेडियोलस रजनीगंधा गेंदे के फूल कंद-बीज बोनी का समय निकल जाने के बाद बांटा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि सप्लायर को फायदा पहुंचाया जा सकें। इस तरह सब्जियों का जो बीज वितरित किया उसमें अंकुरण की स्थिति ही नहीं बन पाई। भिंडी और मिर्ची की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्हें उनके खेतों में उत्पादन हीं नहीं हुआ। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उद्यानिकी मिशन ने जिन जगहों पर पाली और नेट हाउस का निर्माण किया है उसकी गुणवत्ता भी बेहद घटिया है। पाली नेट हाउस तेज हवा चलने में फट जाता है।

कमीशन के चलते काम करना मुश्किल

कृषि के क्षेत्र में सामानों का वितरण करने वाले कई सप्लायर कार्यरत है. नाम न छापने की शर्त में सप्लायरों ने भी बताया कि उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में कमीशनबाजी के चलते काम करना कठिन हो गया है, बात-बात पर पैसों की मांग की जाती है। कोई भी सप्लायर दो पैसे कमाना चाहता है, लेकिन घटिया सामाग्री का वितरण कर अपनी फर्म का नाम बदनाम नहीं करना चाहत। सप्लायरों कहना है कि दाल में नमक वाली बात तो समझ में आती है, लेकिन नमक में दाल वाली परम्परा के चलते प्रदेश के अच्छे सप्लायरों ने अपना कामकाज समेट लिया है। अब उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में वहीं सप्लायर काम कर रहे हैं जो घटिया बीज-कंद या अन्य सामान का वितरण करने के खेल में माहिर है।

@apnamorcha.com

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