अजब हाज़मे की दवाई, नाम है “मिलीभगत”

लक्कड हजम, पत्थर हजम,
सडक हजम, पुलिया हजम…!

।।गरियाबंद।।
किरीट ठक्कर
कुछेक प्रादेशिक भाषाओ में “उण्डा” शब्द का अर्थ गहरा, होता है, इस अर्थ को चरितार्थ करता, घने गहरे जंगल में एक गांव है, उण्डापारा, जो की गरियाबंद जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत डुमरबाहरा का आश्रित गांव या मजरा टोला है।
जिला मुख्यालय से मदनपुर, पीपरछेडी, लीटीपारा होते हुये ग्राम गोंडलबाय तक पहुंचा जा सकता है, गोंडलबाय से आगे कोई और मानव बस्ती होगी, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल होता है। पूछताछ करने पर पता चलता है की गोंडलबाय से आगे भी बस्ती है, जिसे उण्डापारा कहा जाता है कच्चे रास्ते से होकर यहां पहुंचना पडता है बीच में एक बरसाती नाला और एक पहाडी बरसाती नदी है, नदी में रेत कम पत्थर ज्यादा है।
सिकासेर की पहाडी के नीचे बसी इस मानव बस्ती में बीस घर कमारों के और बीस घर गोंड आदिवासियों के है। जनपद कार्यालय से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार सन 2013 – 14 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कन्हारपारा से उण्डापारा तक मिट्टी मुरुम सडक सह स्लेब पुलिया निर्माण किया गया है। जिसका कार्य स्वीकृत क्रमांक 13 और लागत राशि 9.79 लाख रुपये है, लगभग राशि का भुगतान किया जा चुका है।किन्तु उन्डापारा पहुंचने पर आपको ज्ञात होगा की यहॉ कोई सडक नही बनी, ग्राम प्रमुख और पूर्व पंच सुखचंद नेताम पिता रतिराम के अनुसार पन्द्रह से बीस वर्ष पहले गोदी का काम चला था तब मिट्टी सडक पर डाली गई थी। जिस पुल पुलिया के निर्माण की बात पंचायत वाले करते हैं, दरअसल उसे वन प्रबंधन समिति द्वारा बनवाया गया था। सुखचंद नेताम की बात का समर्थन अन्य ग्रामीण मंगतुराम नेताम और बंशीलाल पिता हिरामन मरकाम भी करते है। कन्हारपारा निवासी आनंद पिता बुधराम सडक निर्माण की बात सिरे से खारिज करते हैं। तब आखिर सवाल उठता है की ये लगभग दस लाख रुपए की सडक गई कहॉ?

विभागीय जांच में साबित हुआ भ्रष्टाचार, रोलिंग कार्य का फर्जी बिल

कन्हार पारा से उण्डापारा तक सडक निर्माण के संबध में सितबंर 2018 में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत द्वारा जांच के लिए समिति बनाई गई थी, आदेशित जांच समिति द्वारा ग्रामीणों के समक्ष तैय्यार पंचनामें के अनुसार, कन्हार पारा से उण्डापारा तक मिट्टी मुरुम सह स्लेब पुलिया निर्माण की जांच ग्रामीणों की उपस्थिति में किया गया, निरीक्षण के दौरान उक्त कार्य भौतिक रुप से स्थल पर नही पाया गया। उपरोक्त निर्माण कार्य में मुरमीकरण, पुलिया निर्माण का कार्य एवम रोलिंग कार्य नही होना पाया।

गिट्टी, सीमेंट, रोड रोलर, ट्रांसपोर्टिंग के लाखों के बिल!

रुरल कनेक्टिविटी के तहत उण्डापारा तक मनरेगा अंतर्गत सडक निर्माण के कार्य के नाम पर मिलीभगत कर लाखों रुपयों का वारा – न्यारा कर लिया गया ऐसा लगता है, प्रारंभिक तौर पर ईसमे सरपंच, सचिव, इन्जीनियर, वेन्डर, तकनीकी सहायक की मिलीभगत से इन्कार नही किया जा सकता। इस कार्य के लिये के जी एन कंस्ट्रकंशन बिन्द्रानवागढ को लगभग 3 लाख 16 हजार रुपयो का भुगतान किया गया है ! इसमे गिट्टी के लिए 90540 रु सीमेंट सेन्ट्रींग के नाम पर 65885 रु रोड रोलर 65166 रु साथ ही ट्रांसपोर्टिंग के लिए 95001 रुपये का भुगतान किया गया है जो की पूरा संदिग्ध है। खम्हारीपारा बिन्द्रानवागढ निवासी सुकालु राम जोशी के अनुसार के जी एन कंस्ट्रकंशन कागजी है, हमारे गांव में ऐसी कोई संस्था, फर्म, दुकान नही है, गांव के दो लोग कागजी खेल, खेल रहे है।
इस संबंध मे जनपद सीईओ एच आर सिदार से चर्चा करने पर फाईल देखकर कुछ कहने की बात कही है। जिला पंचायत सीईओ आर के खुंटे ने मिटिंग में व्यस्तता की बात कही।

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