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Chhattisgarh

मवेशी बाजार ले जाने की आड़ में हो रही पशुओं की तस्करी

मवेशी बजारों में डेरा गौ रक्षकों का !

*विनीत शर्मा
धरमजयगढ़। जिले सहिंत समूचे क्षेत्र में पशुओं की तस्करी जोरों पर है। हम बात कर रहे है धरमजयगढ़ के चरखापारा साप्ताहिक मवेशी बाज़ार का जहाँ बाजार के बहाने मवेशी तस्कर बेख़ौफ़ होकर तस्करी कर रहे हैं इन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं, मवेशी कोचिया सैकड़ो किलोमीटर दूर अन्य जिले से पशुओं को जंगल,नदी नाले,रास्ते मारते पिटते हाँकते हुए लेकर आते हैं और बड़ी आसानी उन्हें बाज़ार के बहाने दूसरे राज्य भेज रहें है। बता दें न केवल बिलासपुर ,सकती,तखतपुर जैसे दूर जिले से बल्कि तकरीबन सभी क्षेत्र से मवेशी कोचिया मवेशी की तस्करी खुलेआम धड़ल्ले से कर रहे हैं हजारों की तादाद मवेशी ला रहे हैं और बेचे जा रहे है यहाँ समझने की जरुरत है मवेशी बाजार में हर सप्ताह आखिर इतने बैल की खरीददारी करता कौन है ये बड़ा सवाल है ? लेकिन इसे समझना उतना ही सरल है, हैरत की बात तो यह है कि क्या किसान खेती किसानी के लिए बैल खरीद रहे हैं ? तो जवाब मिलेगा बिलकुल नहीं एक्का दुक्का किसान ही मवेशी की खरीददारी करते है बाकी मोटी रकम कमाने के चक्कर में खुलकर मवेशी की तस्करी कर रहे हैं।
शासन-प्रशासन की उदासीनता कह ले या फिर मिलीभगत ये गोरखधंधा क्षेत्र में खूब फूल फल रहा है बता दें हाल ही में धरमजयगढ़ पुलिस द्वारा सुचना पर दुर्गापुर के पास जंगल रास्ते ले जा रहे करीब 200 मवेशियों को पुलिस ने रुकवाई और उनसे पूछताछ भी की लेकिन 3 घंटे की रसाकसी और पूछताछ बाद मवेशी और हाँकने वालों को बड़े आराम से छोड़ दिया गया, जबकि निसंदेह कइयों के पास मवेशी खरीद-फरोख्त की कोई रसीद व प्रमाण पत्र नहीं होती है, फिर भी धरमजयगढ़ पुलिस इन पर इतनी मेहरबान क्यूँ हुई ये बड़ा सवाल जहन में उपजना स्वभाविक हो गया है। जबकि तस्कर जानवरों के साथ बद से बदतर सलूक करते हुए सैकड़ों किलोमीटर मारते पिटते हाँकते लातेे है। डॉक्टरी मुलाहिजा भी नही होती, कुल मिलाकर पशुक्रूरता अधिनियम को दर किनार पशुओं को लाया जा रहा है कइयो बार यह भी देखा गया है की क्रूरता की वजह से पशुओं की मौत हो जाती है तब उसे हाँकने वाले वही छोड़ चले जाते है जिससे बिमारी फैलने की आशंका बानी रहती है कुछ घायल जानवरों को लेकर बाजार पहुँचते है बड़ी दुःख बात ये सब देख जानकर भी स्थानीय प्रशासन आँख मूँद लेती है। साथ ही कई गौ संरक्षण संस्थाएं भी हैं जिनसे लोग जुड़े हुए है जो अपने आप को गौ-रक्षक बताकर काम कर रहे है इन महाशयों को हर सप्ताह चरखापारा और आमापाली मवेशी बाजार में आसानी से देखा जा सकता है पता नहीं ये अपना कर्तव्य निभाने जाते हैं या फिर कुछ और ही कृत्य करने फिलहाल ये तो जांच का विषय है ऐसे में सवाल उठना लाजमी हो जाता है कि पशु संरक्षण अधिनियम का क्या होगा,आखिर पशुओं की तस्करी कैसे रुकेगी ? कब तक बेजुबान जानवर बाजार के आड़ में बलि चढ़ते रहेंगे ऐसे।

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