Chhattisgarh
अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार और पत्रकार सुरक्षा कानून पर एक दिवसीय महासम्मेलन सम्पन्न।
रायपुर। अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार और “पत्रकार सुरक्षा कानून” के मसौदे को लेकर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन रायपुर के गॉस मेमोरियल हॉल में रविवार 17 फरवरी को आयोजित हुआ जिसमें देश भर के पत्रकार, अधिवक्ता, न्यायधीश, सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। पत्रकार सुरक्षा कानून, संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक कमल शुक्ला ने बताया कि ऐसे समय मे जब अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार खतरे में है और पत्रकारों पर हिंसक हमले तेज़ हो रहे हैं तो पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून पर देशव्यापी बहस और चिंता व्यक्त की जा रही है ऐसे में पत्रकार सुरक्षा कानून संयुक्त संघर्ष समिति व पीयूसीएल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित होने वाले सम्मेलन की मूल अवधारणा है कि लोकतंत्र में सिकुड़ती हुई असहमति और अभिव्यक्ति की स्पेस को संबोधित करने के लिए पत्रकारों और नागरिक समाज के पैरोकारों को साथ आना होगा। चूँकि अभिव्यक्ति और असहमति पर बंदिशों का सीधा प्रभाव पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर समान रूप से पड़ रहा है, लिहाज़ा यह वक्त की मांग है कि समाज के सभी प्रभावित तबके एक साथ आकर एक मंच पर एक-दूसरे के हितों की पैरवी करें।

आयोजन के संबन्ध में पीयूसीएल के छत्तीसगढ़ अध्यक्ष लाखन सिंह ने कहा कि – आज उन पत्रकारों के सामने अत्यंत ख़तरनाक स्थिति पैदा हो गयी है जो सत्ता की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी कलम का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के पत्रकारों की हत्याएं हुई, उन पर हमले हुए और सरकारी तंत्र द्वारा उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया गया है सरकार चाहें जिस पार्टी की हो, हालात कमोबेश एक जैसे हैं। राजनेता, माफिया और पुलिस के नापाक गठजोड़ ने छोटे शहरों, कस्बों और दूरदराज़ के इलाकों में काम करने वाले पत्रकारों के लिए स्थिति और भी गंभीर कर दी है।”
