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आखिर बिल्ली का छींका टूट ही गया ? भूपेश बघेल ही बने मुख्यमंत्री। जानिए सम्भावित मंत्रियों की सूची।
आखिरकार लंबी खींचतान के बाद “बिल्ली का छींका टूटा” और भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री का दर्जा प्राप्त हुआ।
रायपुर। चुनाव परिणाम आने के बाद से छत्तीसगढ़ प्रदेश की धड़कन बढ़ गई थी कुछ एक को तो अटैक भी आने लगे थे, कांग्रेस अपनी पुराने ढर्रे से निकलने के लिए छटपटा रही थी और लोग कयास लगा रहे थे कि आखिर “बिल्ली कब छींकेंगी” ? और अंततः बिल्ली ने छींक ही दिया…
रामायण में उल्लेखित है। 14 बरस के लिए राम को वनवास हुआ था; मगर साथ में लक्ष्मण और सीता भी गए थे। लौटने पर राम का ही राज्याभिषेक हुआ। यहां तो समूचा कांग्रेस वनवास में था, लौटे तो चार-चार दावेदार…! और राज्याभिषेक हुआ तो भूपेश रूपी राम का…
जानिए कौन हैं भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। कद्दावर नेता माने जाते हैं। संगठन पर मजबूत पकड़ के चलते भूपेश बघेल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए फाइनल हुआ। रमन सिंह सरकार के खिलाफ हमेशा बिगुल फूंकते रहे। इसके चलते कई बार मुकदमों में भी फंसे, मगर डिगे नहीं। भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन तहसील में हुआ। कुर्मियों में इनका अच्छा जनाधार माना जाता है। मुख्यमंत्री चयन में कुर्मी जनाधार भी इनके लिए प्लस प्वाइंट रहा।
1985 से कांग्रेस से जुड़कर राजनीति कर रहे हैं। पहली बार 1993 में विधायक बने थे। मध्य प्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। वर्ष 2000 में योगी सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। बघेल की दावेदारी इसलिए भी मजबूत बताई जा रही, क्योंकि उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव में संगठन में गुटबाजी को काफी कम करने में अहम भूमिका निभाई। राज्य का एक धड़ा उन्हें सीएम के रूप में देखना चाहता है। हालांकि पिछले साल बीजेपी सरकार के एक मंत्री राजेश मूणत की कथित सेक्स सीडी सामने आई थी। इस मामले में कथित कनेक्शन होने के आरोप में बीजेपी की सरकार में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। जिसका काफी विरोध हुआ था।
हाईवे क्राइम टाइम ने पूर्व में ही 13 दिसंबर को संभावित सूची निकाली थी। जिसमें भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री होना बताया गया था।
हम हमेशा से बिना किसी सूत्र के विश्वसनीय खबर देते आये है और देते रहेंगे, इसी क्रम में अब हम मंत्रियों की संभावित सूची दे रहे।
कांग्रेस से विजयी 68 विधायकों में 24 से ज्यादा अनुभवी और वरिष्ठ हैं जो मंत्रिमंडल के योग्य हैं, पर इनमे से केवल 12 ही मंत्री बन सकते हैं।
मंत्री मंडल के गठन में सम्भाग, जाति, लिंग, वरिष्ठ, युवा आदि का समीकरण देखा जाएगा । बस्तर, दुर्ग, रायपुर, सरगुजा ,बिलासपुर सम्भाग से कम से कम दो मंत्री हो सकते हैं, जिनमे कम से कम दो आदिवासी, दो पिछड़े वर्ग, एक अनुसूचित जाति, एक अल्पसंख्यक और सभी मे से कम से कम दो महिला जरूर होंगे।
सम्भावित मंत्री परिषद
टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू, सत्यनारायण शर्मा, खेलसाय, प्रेमसाय, धनेंद्र साहू, रविन्द्र चौबे, अमितेश शुक्ला, देवेंद्र बहादुर, मो. अकबर, कुलदीप जुनेजा, अरुण बोरा, बृहस्पति सिंह, अम्बिका सिंह, कवासी लखमा और मनोज मंडावी तो अनुभवी व वरिष्ठ में शामिल हैं, इनके अलावा युवा चेहरों में विकास उपाध्याय, विक्रम मंडावी, उमेश पटेल, ममता चंद्राकर, शकुंतला साहू, शैलेश पांडेय, रुद्र गुरु, शिव डहरिया, जय सिंह आदि हैं।
वरिष्ठों में से दो तो विधान सभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हो जाएंगे, जबकि इन्ही में से एक को पार्टी अध्यक्ष की कमान भी सौंपी जाएगी।
अनुमान है कि ताम्रध्वज साहू, धनेंद्र साहू या चरण दास में से किसी को पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं सबसे ज्यादा मतों से जीते एकमात्र अल्पसंख्यक मो. अकबर का नाम केबिनेट में तय माना जा रहा है। रविन्द्र चौबे या सत्य नारायण शर्मा में से किसी एक को विधान सभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
कुल मिलाकर 13 का केबिनेट, विधान सभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, एक कांग्रेस अध्यक्ष और बाकी को आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। आयोग अध्यक्ष और सलाहकार सदस्यों के रूप में राहुल गांधी के हस्तक्षेप से पार्टी से बाहर जाकर योग्य अनुभवी बुद्धिजीवियों को भी शामिल किए जाने की सम्भवना है, जिन्होंने कांग्रेस को विकल्प के रूप में जनता के बीच पेश करने में भूमिका निभाई है।
(वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के फेसबुक वॉल से साभार।)