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एआइ अब ठगों का हथियार..क्लोन कालिंग और डीपफेक स्वैपिंग से ठगी

एआइ अब ठगों का हथियार बन गई है। पहले सिर्फ अलग-अलग तरह के झांसा देकर ही ठगी होती थी, लोग जागरूक होने लगे। अब एआइ का इस्तेमाल कर क्लोन कालिंग और डीपफेक स्वैपिंग से ठगी हो रही है।एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर डीपफेक स्वैपिंग तकनीक से ठगी हो रही है। इसमें इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म से फोटो अपलोड कर हूबहू उसी तरह का डीपफेक फेस तैयार किया जाता है।

HIGHLIGHTS

  1. एआइ अब ठगों का हथियार बन गई है
  2. ठग एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर तैयार कर लेते हैं
  3. लोगों को डिजिटल अरेस्ट भी कर रहे हैं आरोपित

 ग्वालियर। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस जिस तरह काम को आसान बना रही है, उतना ही खतरनाक भी है क्योंकि एआइ अब ठगों का हथियार बन गई है। पहले सिर्फ अलग-अलग तरह के झांसा देकर ही ठगी होती थी, लोग जागरूक होने लगे। अब एआइ का इस्तेमाल कर क्लोन कालिंग और डीपफेक स्वैपिंग से ठगी हो रही है।

इसमें अपनों की हूबहू आवाज और चेहरा ठग एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर तैयार कर लेते हैं। वाइस और वीडियो काल के जरिये ठगी की जाती है। साइबर फ्राड की सबसे ज्यादा घटनाएं क्लोन कालिंग और डीपफेक स्वैपिंग तकनीक का इस्तेमाल कर हो रही हैं। इन घटनाओं से आसानी से समझा जा सकता है कि तकनीक का दुरुपयोग किस तरह ठगी और जान का दुश्मन बन रहा है।

डीपफेक स्वैपिंग

एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर डीपफेक स्वैपिंग तकनीक से ठगी हो रही है। इसमें इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म से फोटो अपलोड कर हूबहू उसी तरह का डीपफेक फेस तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल वीडियो कालिंग के लिए किया जाता है। फिर किसी भी व्यक्ति को ठगना बहुत आसान है। उसके किसी परिचित, रिश्तेदार या स्वजन बनकर वीडियो काल किया जाता है। एक नजर में समझ पाना मुश्किल होता है। किसी तरह की मुसीबत, पुलिस अरेस्ट में होने की बात कहकर इमोशनल ब्लैकमेल किया जाता है। इसके जरिये ठगी की जाती है।

कील को डराकर की साढ़े सात लाख की ठगी

ग्वालियर के थाटीपुर क्षेत्र में रहने वाले अधिवक्ता का इकलौता बेटा इंदौर में रहकर पढ़ाई कर रहा है। दो माह पहले उनके मोबाइल पर पहले वाइस काल फिर वीडियो काल आया। वाइस काल में उन्हें कहा गया कि उनका बेटा युवती से दुष्कर्म के मामले में पकड़ा गया है। हूबहू बेटे की आवाज और वही चेहरा वीडियो काल पर रोता हुआ दिखाया। वह घबरा गए। फोन करने वाले ने खुद को एसपी, फिर एसओ विजयनगर बताया। बेटे को बचाने के लिए तीन लाख रुपये की मांग की। इस तरह ठगों ने साढ़े सात लाख रुपये ठग लिए।

आगरा में एक शिक्षिका इतनी डरी की मौत हो गई

आगरा में एक शिक्षिका को साइबर ठगों ने फोन किया। फोन कर खुद को पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उनकी बेटी सेक्स रैकेट में पकड़ी गई है। बचाना है तो रुपये भेजने होंगे। शिक्षिका इतनी डर गई कि वह रुपये ट्रांसफर करने को तैयार हो गई। इस सदमे में शिक्षिका की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई।

क्लोन कालिंग: एआई वाइस क्लोनिंग साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर हो रही ठगी

क्लोन कालिंग के लिए एआइ वाइस क्लोनिंग साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जरिये ठग किसी भी व्यक्ति की आवाज की क्लोनिंग इस साफ्टवेयर के जरिये कर सकता है। काल तो अंजान नंबर से आता है, लेकिन आवाज हूबहू अपने स्वजन की सुनाई देती है। इसी कारण से लोग ठगों के झांसे में आ जाते हैं।

बचना है तो यह तरीके अपनाने होंगे

साइबर क्राइम विंग के साइबर एक्सपर्ट धर्मेंद्र शर्मा बताते हैं कि सबसे पहले तो इंटरनेट मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर प्रोफाइल हमेशा लाक रखें। फोटो प्रायवेट आप्शन पर रखें। प्रोफाइल पब्लिक की जगह फ्रेंड, पर्सनल पर सेलेक्ट कर रखें। मैसेंजर पर किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक न करें। कोई अंजान नंबर से फोन आता है, वह आपका स्वजन, रिश्तेदार, दोस्त खुद को बताता है। सामने हूबहू वही चेहरा है, फिर भी संबंधित व्यक्ति के मोबाइल पर सीधे काल कर एक बार बात जरूर करें।

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