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कर्जमाफी की घोषणा बनाम राजनैतिक बूमरेंग।
राज्य सरकार कर्ज माफी का कदम खुद होकर उठा रही है; केंद्र को इसमे कुछ करने की जरूरत नहीं। यह बात नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मीडिया में कहा।
उन्होंने यह भी कहा जब समग्र रूप से ऐसा लगेगा कि वास्तव में देश के हर किसान का कर्ज माफ होना चाहिए तब ऐसा कदम केंद्र खुद उठाएगी। फिलहाल राज्य सरकारे खुद होकर कर्ज माफ कर रही है उसमे केंद्र कुछ नही कर सकता।
राजीव कुमार का यह बयान राहुल गांधी के उस बयान का जवाब माना जा सकता है जिसमे वो प्रधानमंत्री से यह मांग कर रहे कि वो किसानों का कर्ज माफ करे। वास्तव में किसानों की कर्ज माफी ये एक ऐसा कम्युनिकेशन सिद्ध हुआ जो अधिकांश मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में वोट डलवाने वाला हथियार साबित हुआ।
भाजपा सरकार की नीतियां दूरगामी रही तत्काल परिणाम देने में केंद्र सरकार ने कोई विशेष काम नही किया। उनकी दूरगामी नीतियां भविष्य में फायदा करेगी या नही इसे जनता नही जानती पर फौरी राहत के तौर पर जनता को कुछ हासिल नही हुआ।
नीतियां कितनी भी अच्छी हो यदि टाइम पर सरकार की ओर से जनता का ख्याल है इस बात की डिलीवरी ना हो तो जनता और सरकार के बीच कम्युनिकेशन गेप बढ़ने लगता है और यही कारण था कि तीन राज्यो में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा ।
सुधीर गव्हाने सर की बात पर गौर किया जाए तो यह बात सही है कि; इन सरकार और जनता के बीच कम्युनिकेशन गेप आ गया था, लंबे दौर का शासन अधिकारियों के लिए वरदान बन गया था और सरकार तथा जन-भावना के बीच वो एक दीवार बन गए थे।
किसानों का कर्ज माफ एक ऐसा नारा बना तमाम मुद्दों को ताक पर रख पर जनता ने कांग्रेस को सत्ता सौंप दी। अब आर्डर भी जारी हो गए राज्य सरकार का खजाना खाली ऐसे में शुरुवात से आर्डर में किसानों में बटवारा शुरू हो गया। बात तो सभी किसानों के कर्ज माफी की हुई पर अब कुछ विशेष किसानों का कर्ज ही माफ होगा ये कहा जा रहा जबकि लगभग सभी किसानों ने इस मुद्दे पर वोट दिया इसे वो कदापि साबित नही कर सकते ये बात अलग है।
यहां ये कहना भी लाजमी है कि महज 3 माह के बाद ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी ऐसे में सारे किसानों का कर्ज माफ होना बजट के कमी से असम्भव है क्योकि राष्ट्रीयकृत बैंक रिजर्व बैंक के तथा सहकारी बैंक नाबार्ड के आदेश के बिना एक रुपया भी माफ नही कर सकती ऐसे में सिर्फ एक ऑप्शन प्रदेश सरकार के पास है कि वो एक तीसरे पार्टी के रूप में प्रदेश के खजाने से किसान के खाते में कर्ज माफी की रकम सीधे जमा करे, जो कि तीन माह में तो बिल्कुल सम्भव नही है।
महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार ने भी कर्ज माफ किया है लेकिन इतने माह बीत जाने के बाद भी वहां के अधिकांश किसानों के कर्ज माफ नही हुए है। इन सब को देखते हुए राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री को टारगेट करते हुए केंद्र सरकार से कर्ज माफी तक प्रधानमंत्री को सोने नही देंगे जैसी बात कह रहे जबकि खुद राज्यो में कर्जमाफी का दावा कर सरकार बनाई है। इस सब के चलते किसान फिर ठगा गया ये माना जा रहा है क्योकि; सारे किसानों का कर्ज माफी कम से कम निकट भविष्य में होना संभव नही है; जबकि लोकसभा चुनाव महज 4-5 माह याने सर पर है।
सभी किसानों की कर्ज माफी जैसे मुद्दे को लेकर राज्यो में सत्ता हासिल कर चुकी कांग्रेस को यह कम्युनिकेट करने में बहुत तकलीफ होगी कि आखिर अपने दम पर और समग्र अध्ययन कर राज्यो में हर किसान का कर्ज 10 दिन में माफ करने के दावे के क्या होगा ? क्योकि इसी दावे के मास कम्युनिकेशन के दम पर वो सरकार में काबिज हो पायी है और यदि ऐसा नही कर पायी तो आगे क्या होगा। 10 दिन में सिर्फ घोषणा हुई है वो भी चुने हुए किसानो के लिए सभी किसानों के लिए नही इस बात को कहने में कोई गुरेज नही।
*Ranjeet Bhonsle
Master of mass communication and journalism Raipur Chhattisgarh.