बगैर डायवर्टेड, बिना एनओसी, न कोई नियम का पालन ! बनकर लोकार्पण को बेसब्र “अन्तर्राजीय बस टर्मिनल”
15 बरस तक छत्तीसगढ़ प्रदेश में भाजपा का शासन रहा और इस दरमियान अनेक इबारतें भी गढ़ी गई कुछ अच्छे कार्य जो सड़कों के रूप में परिलक्षित हो रहा है को छोड़ दें तो अनेक ऐसे कार्य भी हुए हैं जिनका भ्रष्टाचार में कोई सानी नहीं।
1000 करोड़ का झोलझाल तो खुद इनके मंत्री की परिपाटी और नौकरशाहों ने विकलांगों के नाम पर गबन कर लिए, वहीं रायपुर शहर के छाती को चीरते हुए करोड़ो का “स्काईवॉक” कबाड़ में तब्दील होकर गेड़ी वाले कका को चिढ़ा रहा है तो; दूसरी ओर अरबों की लागत से बनी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी “एक्सप्रेस-वे” अपनी गाथा खुद बयां कर रहा है, इन्हीं कड़ियों में एक और राजधानी का बहुउद्देश्यीय “अन्तर्राजीय बस टर्मिनल” अपनी व्यथा अलग ही बयां कर रहा है…
रायपुर। *राजधानी के भाटागांव में बने अंतर्राजीय बस स्टैंड में सरकारी महकमे ने जमकर भर्राशाही की है। अधिकारियो ने नियमो को दरकिनार करते हुए शासन से बिना एनओसी के धड़ल्ले से निर्माण करवा दिया ! भाटागांव में प्रदेश का सबसे बड़ा अंतर्राजीय बस स्टैंड नगरीय प्रशासन विकास विभाग ने लगभग 30 एकड़ जमीन पर बनवाया है जिसके निर्माण के पर्यावरण सरक्षण मंडल, वन विभाग सहित शासन के किसी भी विभागों से अनुमति नहीं ली गई और हजारो पेड़ो की आहुति दे दी गई। 50 करोड़ की लागत से बने बस स्टैंड के निर्माण का ठेका डी वी प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था जो कोरबा के पूर्व बीजेपी सांसद बंशीलाल महतो के पुत्र विकास महतो की कंपनी है। ये वही कंपनी है जिसने बिलासपुर हाईकोर्ट परिसर में भवन बनाया जिसकी छत गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी।
ना जमीन का हस्तातंरण; न विभाग से मिली एनओसी !
बस स्टैंड निर्माण के पूर्व न तो निर्माण एजेंसी न ही निगम प्रशासन के अधिकारियो ने शासन के अन्य विभागों से एनओसी नहीं ली, ना ही लैंडयूस बदला। पर्यावरण संरक्षण मंडल, वन विभाग, सिचाई विभाग और लोकनिर्माण विभाग सहित शासन के किसी भी विभाग में बस स्टैंड निर्माण को लेकर कोई भी दस्तावेज सितम्बर 2019 तक कोई जानकारी मौजूद नहीं है।
निगम कमिश्नर सौरभ कुमार बड़े साफगोई से कहते है की सभी विभागों से एनओसी लिया गया है। जिस स्थान पर बस स्टैंड बनाया गया है, वहाँ आधा दर्जन से ज्यादा तालाब थे। भाटागांव में बने बस स्टैंड की जगह श्री बालाजी मंदिर दुग्धाधारी ट्रस्ट की है जो अब तक शासन के नाम पर हस्तांतरण नहीं हो सका है। जमीन वर्तमान में श्री बालाजी मंदिर दुग्धाधारी मंदिर ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत है। मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने एनओसी लेने विभागों को पत्र लिखा है। वही कुछ समाज सेवी संगठन कोर्ट की शरण में है जिससे उन अधिकारियो की मुश्किलें बढ़ेगी जिन्होंने नियमो के विपरीत निर्माण कराया है।
2006 में बनी योजना अब तक अधूरी ?
वर्ष 2006 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने ट्रैफिक के बढ़ते दबाव को देखते हुए अंतर्राजीय बस स्टैंड के लिए भाटागांव की जमीन पर बस स्टैंड बनाने की योजना बनाई और श्री बालाजी मंदिर दुग्धाधारी ट्रस्ट से जमीन मांगी; जिसके बदले में ट्रस्ट ने सरकार के सामने तीन शर्ते रखी गई थी। जिसमे बस स्टैंड श्री बालाजी मंदिर दुग्धाधारी ट्रस्ट के नाम पर रखने, बस स्टैंड में बनी 15 दुकाने ट्रस्ट के नाम करने, जमीन के बदले राजधानी के आसपास 30 एकड़ जमींन देने की बाते थी। वही मंदिर ट्रस्ट ने गुपचुप तरीके से निगम पर बस स्टैंड के पास बचे जमीनों का भी लैंडयूस बदलने दबाव बनाया है।
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