“Ready to eat” नोट ल पीट…!
रायपुर (hct)। महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन की महती योजना कुपोषित बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को प्रदाय किये जाने वाला आहार “Ready to eat“ गरियाबंद जिला के विकासखंड मैनपुर और देवभोग में संचालित महिला स्व सहायता समूहों के लिए नोट पीटने का जबदस्त साधन और केंद्र बन गया है। उनके इस कार्य में विभाग के जिम्मेदार सुपरवाइजर के संरक्षण में यह धंधा बड़े ही सुनियोजित ढंग से संचालित हो रहा है।
चूँकि पूर्व भाजपा सरकार के समय ही “छत्तीसगढ़ शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, मंत्रालय, महानदी भवन, नवा रायपुर” द्वारा जारी पत्र क्रमांक : एफ 26/2015/मबावि/50/(पार्ट) नवा रायपुर दिनांक :28/06/2018 को जारी 1 से 8 पृष्ठों के पृष्ठ क्रमांक 5 की कंडिका 19 में उल्लेखित निर्देश “महिला स्व सहायता समूहों प्लास्टिक पैकेटों पर नियमित डिजाइन में नवीन रेसिपी का उल्लेख एवं दिशा निर्देश अनिवार्य रूप से मुद्रित कराया जाना होगा एवं इन्ही पैकेट्स में रेडी टू ईट का पैकिंग करना होगा।
पैकेट में महिला स्व सहायता समूह का नाम, बैच नम्बर, उत्पादन तिथि, अवसान तिथि का अनिवार्य रूप से उल्लेखित रहे। यह ध्यान रहे कि फूड पैकेट शासन के निर्देशानुसार डबल लेयर पाउच व पैकेट गुणवत्तायुक्त होना चाहिए। फूड पैकेट मानव शरीर के लिए हानिकारक व प्रतिबंधित नहीं होना चाहिए। एवं कंडिका क्रमांक 33 में स्पष्ट रूप से यह भी उल्लेखित है कि “नाश्ता और गर्म भोजन रेडी टू ईट फूड के पर्याप्त राशि एवं चावल/गेंहू का आबंटन सभी जिलों को कराया जा चुका है पूरक पोषण आहार के नाश्ता एवं गर्म भोजन रेडी टू ईट फूड प्रदान करने हेतु उपरोक्तानुसार संशोधित व्यवस्था निर्देशानुसार 01 जून से 30 जून के मध्य आरंभ करते हुए पूर्णतः संशोधित रूप में 01 जुलाई 2018 से अनिवार्य रूप से परिलक्षित होना आरम्भ हो जाना चाहिए।”
डॉ. अनिल चौधरी, संयुक्त सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग के हस्ताक्षरयुक्त जारी निर्देश पत्र का खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
चूँकि गरियाबंद से काफी दिनों से हमारे जिला प्रतिनिधि को इस बात की सूचना मिल रही थी कि जिला गरियाबंद के ब्लाक/तहसीलों में संचालित महिला स्व सहायता समूहों द्वारा जोकि रेडी टू ईट प्रदायकर्ता हैं के द्वारा वृहद पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है और गुणवत्ताहीन फूड की सप्लाई की जा रही हैं, आंगनबाड़ियों में वितरित की जाने वाले पोषक आहार की पैकिंग एक वर्ष से भी ज्यादा समय व्यतीत हो जाने के उपरांत भी मैनपुर व देवभोग तहसील अंतर्गत पोषक आहार प्रदान करने वाली स्व सहायता समूहों के द्वारा आज पर्यन्त पुरानी प्रतिबंधित पॉलीथिन का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें कंडिका क्रमांक 19 में उल्लेखित निर्देशों का नजरअंदाज किया जा रहा है।
सनद रहे कि इसी संदर्भ में जिला गरियाबंद के माननीय कलेक्टर महोदय ने अलग-अलग जांच टीम गठित की गई है, जिनके द्वारा भी उक्ताशय को लेकर प्रत्येक रेडी टू ईट प्रदाता महिला स्व समूहों का निरीक्षण किया जा रहा है इसी तारतम्य में समाचार पत्र/वेब पोर्टल के सम्पादक दिनेश सोनी, गरियाबंद जिला प्रतिनिधि और मैनपुर के संवाददाता के द्वारा ग्राम डोहेल और चिखली में ग्राउंड रिपोर्टिंग के तहत स्व सहायता समूहों में जाकर जानकारी ली गई।
जिस दौरान समूह संचालकों को यह बताया गया कि आपके समूह द्वारा प्रदान किए जाने वाले पैकेटों पर नाम, बैच नम्बर प्रिंट नहीं है तथा पुरानी प्रतिबंधित पॉलीथिन में पोषक आहार प्रदाय किया जा रहा है। मगर किसी दुर्भावना से ग्रषित हो; हमारी फोटो खींचकर विभिन्न समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित करवा कर दुष्प्रचार किया जा रहा है।
आपको बता दें कि उक्ताशय से सम्बध्द होकर हमने महिला समूह के पर्यवेक्षक से फोन पर अपना परिचय देते हुए उनसे बातचीत भी की, और मैनपुर परियोजना अधिकारी एन एस ध्रुव से रूबरू होकर खामियां भी जाहिर की है, जिसकी टैपिंग और वीडियो हमारे पास सुरक्षित है। 5 अक्टुबर को ही हमने इस संबंध में जिला परियोजना अधिकारी को भी फोन किया था, किन्तु उन्होने काल रिसीव नही किया !
रही बात चालान काटने की; तो इसके लिए हम अधिकृत नहीं है जो चालान काट सकें, लेकिन यह जरूर है कि समूह में उपस्थित एक पुरुष से उन्हें बातचीत के दौरान यह जानकारी दी गई थी कि “प्रतिबंधित पॉलीथिन को लेकर जिला गरियाबंद में माननीय कलेक्टर महोदय के आदेश पर कार्यवाही की जा रही है, जिसके एवज में 30 हजार का चालान काटा जा रहा है”, इस फेर में आपका समूह भी आ सकता है। जिसे संभवतः समझने में गलतफहमी की वजह से विभिन्न समाचार पत्रों में गलत जानकारी देकर हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल किया जा रहा है।