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निगम की पहल : खुर्सीपार की बस्तियों में खोजेंगे टीबी के मरीज।

“ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) को जड़ से खत्म करने निगम की सराहनीय पहल”

कोरलैया राजू
भिलाई (दुर्ग)। टीबी को लेकर अलग अलग भ्रांतियां हैं जिसे यह बीमारी होती है उसे देर से इसका पता चलता है। इसके कारण कभी कभी मरीज की जान पर बन आती है। नगर निगम भिलाई द्वारा टीबी को जड़ से मिटाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। क्षय मुक्त भिलाई शहर अभियान की शुरुआत खुर्सीपार के मलीन बस्तियों से की जा रही है। इस संबंध में जानकारी देने के लिए खुर्सीपार स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू शासकीय स्कूल परिसर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से टीबी से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गई।
 कार्यक्रम में विशेष रूप से कलेक्टर अंकित आनंद, नगर निगम आयुक्त एसके सुंदरानी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला अस्पताल दुर्ग गंभीर सिंह ठाकुर उपस्थित रहे। कार्यशाला में जिला क्षय अधिकारी आरएस सत्यर्थी ने कई बिंदुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि देश को टीबी रोग से मुक्त करने के लिए बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। हमारे जिले में टीबी रोग की जांच से लेकर इसके इलाज तक की समूची मुफ्त व्यवस्था है। अब टीबी रोग के इलाज के लिए समूची व्यवस्था ही बदल गई है ताकि जल्द से जल्द टीबी मुक्त देश बनाया जा सके। टीबी का पूरा नाम है ट्यूबरकुल बेसिलाइ। यह एक छूत का रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित होता है।

जिले में है विशेष सुविधा

डॉ सत्यर्थी ने बताया कि जिले में टीबी रोग की प्रारंभिक अवस्था में जांच से लेकर इलाज की समुचित व्यवस्था है। जिला अस्पताल दुर्ग व बीएसपी के सेक्टर-9 अस्पताल में इसकी जांच के लिए विशेष मशीन लगाई गई है। इस मशीन से खखार जांच नि:शुल्क किया जा रहा है। साथ ही सीएम मेडिकल कॉलेज, श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज, नंदिनी रोड स्थित करुणा अस्पताल व बीएमवाई चरोदा स्थित रेलवे अस्पताल में भी जांच की सुविधा दी गई है। जिला अस्पताल सहित सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है। डॉ सत्यर्थी ने कहा है कि टीबी रोग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए लोगों का सहयोग भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि आपकी खांसी दो दिन या इससे अधिक है तो तत्काल इसकी संपूर्ण जांच कराएं।

ऐसे होती है टीबी की बीमारी

टीबी रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियाँ, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि। टी.बी. के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं। रोग से प्रभावित अंगों में छोटी-छोटी गांठ अर्थात टयुबरकल्स बन जाते हैं। उपचार न होने पर धीरे-धीरे प्रभावित अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं और यही मृत्यु का कारण हो सकता है।
घर-घर जाएगी टीम
कार्यशाला के दौरान कलेक्टर अंकित आनंद ने कहा कि निगम द्वारा शुरू किए गए अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर पहुंचेगी और टीबी के मरीज तलाशेगी। इसके लिए पूरा कार्यक्रम तय किया गया है। खुर्सीपार की चार मलीन बस्तियों को प्रारंभिक तौर पर चिह्नांकिंत किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करना और इस बीमारी को जड़ से मिटाना है।

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