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Chhattisgarh

डढ़ारी में आदिवासी महिला का नेतृत्व ग्राम के रसूखदारों को रास नहीं !

मामला कहीं रसूखदारों के रसूख का या प्रशासनिक लाचारी ?

देश के राष्ट्रपति आदिवासी, छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री आदिवासी। मगर यह गहन विचारणीय विषय है कि, छत्तीसगढ़ प्रदेश के बालोद जिला के तहत गुरुर विकासखंड में एक ऐसा ग्राम पंचायत है जहाँ आरक्षण कोटा के तहत महिला आदिवासी की सीट आरक्षित हो गई या कर दी गई। यह संयोग और दुर्भाग्य का ऐसा संगम निकला कि जिस ग्राम पंचायत में महिला आदिवासी की सीट आरक्षित है संयोग यह कि उस पंचायत में एक मात्र आदिवासी महिला का घर है मगर दुर्भाग्य यह कि तथाकथित कुछ रसूखदारों को महिला आदिवासी नेतृत्व रास नहीं आ रहा है और एक तुगलगी फरमान उस गांव की फ़िजा में घुल गया है।

गुरुर (बालोद) hct : छत्तीसगढ़ प्रदेश की फिज़ा इन दिनों चुनावी रंग से सराबोर है। विष्णु के सुशासन का में यह अनुकरणीय पहल है कि इस बार नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी को लेकर दावेदारों में नेता बनाने की चुलुक को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस चुनावी माहौल के बीच बालोद जिला से यह खबर प्रशासकीय हलकों में बैठे नौकरशाहों के हलक से निवाला छीन सकता है, मगर बात उस समुदाय से जुड़ा होने की वजह से मामले का कफ़न दफ़न कर देने से कोई गुरेज भी नहीं होगा और ना कोई हो हल्ला-गुल्ला मचेगा ?

गुरुर विकासखंड जहाँ 77 ग्राम पंचायत शामिलात है, में ग्राम पंचायत डढ़ारी बड़ी तेजी से सुर्ख़ियों में उभरकर सामने आ रहा है। कारण यह कि इस पंचायत के भाग्य में आरक्षण के चलते महिला आदिवासी सीट के मकड़जाल में फंस गया है। जैसा कि उपरोक्त वर्णिंत किया जा चुका है। बताया तो यह जा रहा है कि महिला गरीब है और साथ ही निरक्षर भी, तिस पर तुर्रा यह कि कुछ दबंग ग्रामीणों का यह तुगलगी फरमान कि गांव का कोई भी व्यक्ति इस आदिवासी महिला को सरपंच पद हेतू अपना समर्थन देता है तो उसे अर्थ दंड के अलावा गांव से बहिष्कृत भी किया जा सकता है। हालाँकि डिजिटल मीडिया https://www.highwaycrimetime.in इस बात की पुष्टि नहीं करता।

वही इस बात की आधिकारिक पुष्टि करने हमारे संवाददाता और दीगर मीडिया ने जब सेक्टर प्रभारी बी आर मंडावी से जानकारी लिया गया तब उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी हमने रिटर्निग आफिसर (तहसीलदार) को दे दी है। चूँकि मामला संविधान के तहत आता है अतः समय रहते मामले की गंभीरता को लेते हुए प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की दिशा में मीडिया वर्ग जुटा हुआ है, ताकि लाभार्थी को उसके हक़ – अधिकारों से वंचित न होना पड़े।

अमीत मंडावी
संवाददाता
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