पहले भी साथी जवान पर ताना था राइफल,इस बार की फायरिंग
बलरामपुर जिले के सामरी थाना क्षेत्र के भूताही कैंप में साथी जवानों पर फायरिंग करने वाले जवान ने पहले भी अपनी सर्विस इंसास राइफल अपने एक साथी जवान पर तानी थी। उस दौरान उसने फायरिंग की हिम्मत नहीं जुटाई थी। इस घटना की शिकायत छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के अधिकारियों से हुई थी।
अंबिकापुर : बलरामपुर जिले के सामरी थाना क्षेत्र के भूताही कैंप में साथी जवानों पर फायरिंग करने वाले जवान ने पहले भी अपनी सर्विस इंसास राइफल अपने एक साथी जवान पर तानी थी। उस दौरान उसने फायरिंग की हिम्मत नहीं जुटाई थी। इस घटना की शिकायत छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के अधिकारियों से हुई थी। उस दौरान अधिकारियों ने जवान का राइफल जब्त कर लिया था। उसके बाद से उसके नाम पर कोई भी हथियार जारी नहीं किया गया था। बिना किसी हथियार के ही वह कैंप में ड्यूटी करता था।वर्तमान में आरोपित जवान के नाम से सर्विस इंसास राइफल नहीं था। फायरिंग के लिए उसने जिस इंसास का उपयोग किया वह कैंप में ही रहने वाले दूसरे जवान के नाम से इश्यू किया गया था।
भोजन के दौरान कहासुनी होते ही आरोपित आरक्षक ने इंसास राइफल निकाल कर फायरिंग शुरू कर दी थी। जवान रूपेश पटेल के हाथ में राइफल की पहली गोली लगी। वह जान बचाने के लिए कैंप के पीछे की ओर भागा लेकिन आरोपित जवान ने उसे गोली मार दी। कैंप के पीछे में रूपेश पटेल का शव पड़ा हुआ था। आरोपित जवान द्वारा की गई फायरिंग संदीप पांडे के कमर के पास लगी थी यह भीतर आंतों में जाकर फांसी हुई थी इसलिए ऊपरी तौर पर गोली लगने का कोई भी निशान नजर नहीं आ रहा था। यही कारण था कि जवान संदीप पांडेय की मौत को लेकर आशंका जताई जा रही थी कि गिरने से सिर में आई चोट की वजह से उसकी मौत हुई होगी लेकिन बुधवार देर शाम स्पष्ट हो गया कि उसे भी लगी थी। ब्रेन हेमरेज की आशंका नाक से निकले खून के कारण जताई जा रही थी। चिकित्सकों ने बताया कि गोली संदीप की कमर से होते हुए आंतों में फंस गई थी। इसके चलते उसकी मौत हो गई। शव का एक्स-रे करने पर गोली अंदर फंसी दिखाई दी है। जवान को गंभीर अवस्था में कुसमी अस्पताल लाया जा रहा था लेकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो गई।
जवानों ने सीपीआर देकर बचाने का किया प्रयास
साथी जवानों पर फायरिंग करने वाले आरोपित जवान अजय सिदार को सूझबूझ के साथ काबू में किया गया। दोबारा वह कोई दुःसाहस न कर बैठे इसे देखते हुए साथी जवानों ने उसे पकड़ लिया। उसे जवानों ने अपने कब्जे में तब तक रखा गया, जब तक वरिष्ठ अधिकारी और पुलिस टीम मौके पर नहीं पहुंच गई।उसे घेर कर रखा गया था। इस घटना का वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है।घटना के तत्काल बाद जवान संदीप पांडेय जमीन पर गिर गया था। शरीर में कहीं भी खून के निशान नजर नहीं आ रहे थे। ऐसे में साथी जवानों ने प्राथमिक उपचार की कोशिश भी की। लगातार उसे सीपीआर भी दिया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
उत्तर छत्तीसगढ़ में पहली बार हुई ऐसी घटना
वर्ष 2000 के आसपास उत्तर छत्तीसगढ़ का बड़ा इलाका नक्सलियों के प्रभाव में था। झारखंड की सीमा से लगे बलरामपुर जिले के अलावा सूरजपुर जिले के कई थाना क्षेत्र नक्सल गतिविधियों के लिए जाने जाते थे। उस दौरान छत्तीसगढ़ रिजर्व पुलिस बल और छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के जवानों की अलग-अलग कैंपों में तैनाती की गई लेकिन कभी ऐसी घटना नहीं हुई थी। जिस दौर में नक्सलियों की गतिविधियां संचालित होती थी, उस दौर में भी जवानों के बीच विवाद की कोई घटना नहीं हुई। अब उत्तर छत्तीसगढ़ नक्सली आतंक से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है। पूर्व में नक्सलियों के प्रभाव में रहे क्षेत्र में भी अमन चैन के साथ विकास को गति दी जा रही है। ऐसे में भुताही कैंप में हुई घटना ने अधिकारियों को भी सतर्क कर दिया है।
वर्तमान में संचालित है तीन कैंप
वर्तमान में उत्तर छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में बंदरचुआ भुताही मोड तथा पुंदाग में कैंप संचालित है। पुंदाग कैंप में छत्तीसगढ़ और झारखंड दोनों राज्यों के जवान ड्यूटी करते हैं। इन्हीं जवानों के बुलंद हौसले के कारण इस इलाके से नक्सलियों का सफाया किया गया है। तीनों कैंप 20 से 30 किलोमीटर के दायरे में संचालित है।