Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

Uncategorized

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों के एग्जिट पोल पर राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुंज पांडे की प्रतिक्रिया

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने एक राजनीतिक विश्लेषण करते हुए कहा है कि कल यानी 21 अक्टूबर 2019 को महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ ही भारत के विभिन्न प्रदेशों में बहुत सी सीटों पर उप-चुनाव भी सम्पन्न हुआ। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के पूर्वानुमान (एक्ज़िट पोल) में पूरा मीडिया जोर शोर से जुट गया। हर चैनल पर केवल एक्ज़िट पोल ही दिखाया जा रहा था। दर्शकों की उत्सुकता बढ़ाने के लिए जल्दी जल्दी ब्रेक लिए जा रहे थे ताकि लोग टेलीविजन सेट छोड़कर कहीं न जा सकें। आपको क्या लगता है कि ऐसा कौन सा सूचना तंत्र है कि जनता द्वारा चुनाव में मतदान करने के बाद तुरंत ही एक्ज़िट पोल तैयार हो जाता है? मतलब जो सर्वे कंपनियों के द्वारा पहले से ही रिपोर्ट तैयार कर ली जाती है। मतलब साफ़ है कि यह एक “ओपिनियन पोल है, न कि एक्ज़िट पोल।”

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि भारत की कुल जनसंख्या 137 करोड़ से अधिक है जिसमें कुल 90 करोड़ योग्य मतदाता हैं। महाराष्ट्र में कुल जनसंख्या लगभग 12 करोड़ है जिसमें लगभग 8.9 करोड़ योग्य मतदाता हैं और हरियाणा में कुल जनसंख्या लगभग 2.85 करोड़ है जिसमें लगभग 1.75 करोड़ योग्य मतदाता हैं। ग़ौरतलब है कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी भी बूथ पर 100 % मतदान नहीं हुआ। मतलब साफ़ है कि चंद लोगों की राय को पूरे सूबे की राय बता कर टीआरपी का खेल खेला जा रहा है। अब बात करते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में एक्ज़िट पोल के आंकड़े लगभग एग्जैक्ट पोल में कैसे तब्दील हो गए? तो मुझे लगता है कि यह पूरा खेल इलेक्शन मैनेजमेंट का है। अगर थोड़ा सा पीछे चलते हैं तो पिछले साल विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के बारे में जो ओपिनियन और एक्ज़िट पोल थे उनमें भारतीय जनता पार्टी को दो तिहाई बहुमत मिलते दिख रहा था लेकिन हुआ इसके विपरीत।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि अगर ईवीएम की बात करें तो आए दिन मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से पता चलता रहता है कि ईवीएम में कोई ना कोई टेंपरिंग मतलब छेड़छाड़ की गई है जिससे मतदाता कोई भी बटन दबाए तो वोट किसी एक पार्टी को ही जाता है। अगर इस बात में ज़रा सी भी सच्चाई है (जोकि चुनाव आयोग को संज्ञान में लेते हुए अपनी निष्पक्षता को स्पष्ट करना चाहिए) तो फिर दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में चुनाव पद्धति पर ही सवालिया निशान खड़ा हो जाता है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि अब बात करते हैं चुनावों में एक्ज़िट पोल के नतीजों में तब्दील होने पर। देखा जाए तो यह नतीजे ऐसे ही आने चाहिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का इलेक्शन मैनेजमेंट इतना तगड़ा है कि उसके सामने बाकी पार्टियाँ पानी कम चाय लगती हैं। वहीं विपक्ष में जो बिखराव है वह भी इसका एक मूल कारण है। मेरे सर्वे के अनुसार देश और देश के लगभग सभी राज्यों में आम जनता मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार से नाराज़ चल रही है लेकिन जनता के पास उपयुक्त पर्याय ना होने के कारण जनता एक्सपेरिमेंट नहीं करना चाहती है। मतलब किसी और को नहीं चुन रही है क्योंकि जनता देख रही है कि जब विपक्ष खुद ही प्रयासरत नहीं है, खुद ही बिखरा पड़ा है, खुद ही हताश है, तो जनता क्या कर सकती है। इसीलिए कहा गया है कि ईश्वर भी उसी की मदद करता है, जो अपनी मदद खुद करता है और वैसे भी भारत हो या विश्व का कोई भी देश, “एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष का होना बेहद ही जरूरी है।” बाकी भारत में सब ठीक है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय,
राजनीतिक विश्लेषक,
रायपुर, (छत्तीसगढ़)
7987394898, 9111777044

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page