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भूपेश बघेल जी, काश कि “बस्तर बैंड” के सदस्यों के साथ भी सेल्फी लेकर उनका सम्मान बढ़ा देते…

एक मुख्यमंत्री बॉलीवुड कलाकारा “करीना” के साथ सेल्फी लेते हैं तो दुजा “Saxophonist” के साथकाश कि; कोई ऐसा मुख्यमंत्री प्रदेश को मिले जो “बस्तर बैंड” के कलाकारों के साथ भी सेल्फी ले…

बस्तर के लुप्तप्राय पारंपरिक वाद्ययंत्रों Instruments जिसे बिलासपुर के रहने वाले अनुप रंजन पांडेय ने बड़े ही शिद्दत से बस्तर क्षेत्र की विविध जनजाति समुदाय के कलाकारों को एकत्र कर बस्तर बैंड तैयार किया और उसे देशभर में ख्याति दिलाया।
अवगत होवें कि सम्मानीय अनूप जी, प्रसिद्द रंगकर्मी हबीब तनवीर जी के एक शिष्य हैं; जिन्होंने एक दशक से भी ज्यादा समय से अपने अथक प्रयास से इसे सहेजने और संजोने में लगे हुए हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि कला के प्रति समर्पित इस जीवट कलाकार के साथ मेरी सेल्फी है।
अनूप रंजन पाण्डेय जी के साथ बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार आदरणीय कमल शुक्ला के सौजन्य से मुलाकात के पल।
ये हैं बस्‍तर बैण्‍ड में बजने वाले प्रमुख वाद्य यंत्र :- पेण्डुल ढोल, तिरडुडी, जराड़,अकुम, तोडी़, तोरम, मोहिर, देव मोहिर, नंगूरा, तुड़बुडी़, कुण्‍डीड़, धुरवा ढोल, डण्‍डार ढोल, गोती बाजा, मुण्‍डा बाजा, नरपराय, गुटापराय, मांदरी, मिरगीन ढोल, हुलकी मांदरी, कच टेहण्‍डोर, पक टेहण्‍डोर, उजीर, सुलुड़, बोपोर, वेरोटी, तातापूती, नेफ्ऱी, गूगुनाड़ा, बांस, चरहे, पेन ढोल, ढुसीर, कीकीड़, किंदरा, टुडरा, कोन्‍डोड़का,मुयांग, ढुङ्गरू, सारंगी, हिरनांग, झींटी, चिटकुल, किरकीचा, डन्‍डा, धनकुल बाजा, डुमिर, सारंगी, तुपकी, सियाड़ी बाजा, नकडेवन, कासन ढोल, ओझा परांग, वेद्दुर, गोगा ढोल आदि प्रमुख हैं।

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