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झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जान से कर खिलवाड़, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निष्क्रिय, नहीं कर रहे क्लीनिक और पैथोलैब की जांच

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से एक बार फिर से झोलाछाप डाक्टर बेखौफ होकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में विभाग के अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर फिर सवाल उठ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शहर की तंग गलियों व ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है जिनकी संख्या में दिनों दिन वृद्धि हो रही है।

HIGHLIGHTS

  1. जिले में एक बार फिर से झोलाछाप डाक्टर बेखौफ।
  2. बिना किसी योग्यता के कर रहे हैं मरीजों का इलाज।
  3. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे हैं कार्रवाई।

सक्ती। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते जिले में एक बार फिर से झोलाछाप डाक्टर बेखौफ होकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से इनके हौसले बुलंद हैं। विगत दिनों अभियान चलाकर झोलाछाप डाक्टरों के क्लीनिक और पैथोलैब संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद संचालकों में हडक़ंप मचा था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के ढील-ढाल रवैये से एक बार फिर इनके द्वारा बेखौफ होकर लोगों का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिले में नर्सिंग होम एक्ट का क्रियान्वयन कराने में पूरी तरह से असफल साबित हो रहे हैं।

इनके गलत इलाज की वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है जिले में कई ऐसे प्रकरण सामने आ चुके हैं इसके बावजूद कार्रवाई को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से उदासीनता बतती जा रही है।प्रशासन भी नहीं ले रहा सुध झोलाछाप डाक्टरों पर कार्रवाई को लेकर जिला प्रशासन भी सुध नहीं ले रहा है।
वर्तमान में आमजनों के स्वास्थ्य को लेकर प्रशासन के द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं व सेवाओं में सुधार को लेकर नर्सिंग होम एक्ट के तहत स्वास्थ्य संस्थाओं का पंजीयन किया जाता है। इसके बाद संचालकों को अस्थाई लाइसेंस जारी किया जाता है। एक्ट के मापदण्डों को पूरा नहीं करने वाले संस्थानों का पंजीयन नहीं हो सका है। अभी भी मापदण्डों को पूरा नहीं करने वाले कुछ संस्थानों का संचालन हो रहा है।

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