कर्मचारी से कारोबारी: पं. विद्याचरण शुक्ल की कंपनी की जमीन पर करोड़ों का खेल !
रायपुर में सामने आया हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़ा - आलविन कूपर प्रा. लि. की संपत्ति को नकली दस्तावेजों से हड़पने का आरोप, FIR दर्ज न होने पर उठे गंभीर सवाल।

रायपुर hct : छत्तीसगढ़ के दिवंगत दिग्गज नेता पंडित विद्याचरण शुक्ल से जुड़ी 1953 में पंजीकृत प्रतिष्ठित कंपनी आलविन कूपर उर्फ कपूर प्रा. लि. के स्वामित्व वाली करोड़ों रुपए की अचल संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के सहारे हड़पने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। कंपनी की डायरेक्टर ने कल (11/11/2025) वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को लिखित शिकायत दी, लेकिन इस गंभीर आर्थिक अपराध पर अब तक FIR दर्ज नहीं की गई है।
‘कर्मचारी बना मालिक’
मामला रायपुर के मौजा ग्राम रायपुरा की 0.809 हेक्टेयर भूमि से जुड़ा है। कंपनी की डायरेक्टर श्रीमती माधवी पांडे ने शिकायत में स्पष्ट किया है कि : विजय बारमेड़ा, जो कभी कंपनी का कर्मचारी था, उसे सिर्फ फर्म की ओर से खरीदी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत किया गया था। वह कभी भी संपत्ति का मालिक नहीं था। इसके बावजूद, विजय बारमेड़ा ने खुद को मालिक बताते हुए, झूठा शपथ पत्र दिया और आलोक देवांगन को मुख्त्यारआम दे दिया। आलोक देवांगन ने अपने ही भागीदारी फर्म ‘मीना राम डेव्हलपर्स’ को वह जमीन ₹1.17 करोड़ में बेच दी। यह स्पष्ट मिलीभगत का मामला है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि विक्रय विलेख में कंपनी के मालिकाना हक या बारमेड़ा की संपत्ति बेचने की हैसियत सिद्ध करने वाला कोई वैध दस्तावेज संलग्न नहीं किया गया है। श्रीमती माधवी पांडे (डायरेक्टर, आलविन कूपर प्रा. लि.) की शिकायत से स्पष्ट है कि : “यह संगठित तरीके से की गई धोखाधड़ी है, जिसमें करोड़ों की सरकारी स्टाम्प ड्यूटी की भी चोरी हुई होगी। आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेज बनाकर हमारी फर्म की संपत्ति हड़पी है। इतने स्पष्ट साक्ष्य होने के बावजूद, कल जब थाना डी.डी. नगर में शिकायत दी गयी, तो उन्होंने इसे लेने से भी मना कर दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है!”
तत्काल FIR कब ?
जब एक पंजीकृत कंपनी और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री से जुड़ी संपत्ति को फर्जीवाड़े से बेचा गया है, और दस्तावेजी साक्ष्य सामने हैं, तो पुलिस प्रशासन की चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इस मामले का संज्ञान लें और तत्काल प्रभाव से आरोपी विजय बारमेड़ा और आलोक देवांगन के विरुद्ध धोखाधड़ी (420 IPC), कूटरचना (467, 468 IPC), जो नवीन न्याय संहिता के धाराओं में गमन होते है उनके तहत व आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं के तहत FIR दर्ज करें।
संलिप्त आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग
दोनों मुख्य आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, ताकि वे आगे कोई सबूत नष्ट न कर सकें या संपत्ति को अन्यत्र हस्तांतरित न कर सकें। रायपुर पुलिस की कार्रवाई इस बात का संकेत होगी कि छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय आर्थिक अपराधों को कितनी गंभीरता से लिया जाता है। क्या पुलिस प्रशासन इस हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी पर तुरंत एक्शन लेगा ? प्रदेश की जनता की निगाहें इस कार्रवाई पर टिकी हैं।





