बालोद में अवैध भट्ठों का घातक सच।
डौंडी क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठे पर पानी टंकी ढहने से दो महिलाओं की मौत; विभागीय निगरानी पर गंभीर सवाल

बालोद जिले में अवैध ईंट भट्ठों का नेटवर्क किसी खुला रहस्य की तरह फैलता आया है, लेकिन डौंडी क्षेत्र में हुई 10 दिसंबर की घटना ने इस ‘अनदेखी’ को सीधे जनहानि से जोड़ दिया है। ग्राम चिखली डेम के पास बने एक अवैध भट्ठे पर पानी टंकी की दीवार ढहने से दो महिलाओं ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वहीं एक मासूम लड़की गंभीर रूप से घायल होकर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। हादसा अचानक नहीं था, बल्कि उस प्रशासनिक ढिलाई की क्रूर परिणति थी, जिसने वर्षों से जिले में अवैध ईंट भट्ठों को आंख मूंदकर बढ़ने दिया।
डौंडी (बालोद) hct : जिले के डौंडी थाना क्षेत्र में एक अवैध ईंट भट्ठे पर पानी टंकी की दीवार गिरने से दो महिलाओं की मौत हो गई, जबकि एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हुई है। यह हादसा 10 दिसंबर को चिखली डेम के पास हुआ, जहां मजदूर परिवार ईंट निर्माण का काम कर रहे थे।
दीवार गिरने की आवाज के बाद साइट पर मौजूद लोगों ने तुरंत मिट्टी हटाकर प्रभावितों को निकालने की कोशिश की, लेकिन दो महिलाओं को बचाया नहीं जा सका। घायल बच्ची को पहले दल्ली-राजहरा और फिर आगे रेफर किया गया है। मृतकों की पहचान चंद्रकला (45) और आशा बारले (29) के रूप में हुई है। दोनों बलौदाबाजार क्षेत्र से आकर इस भट्ठे में काम कर रही थीं। डौंडी पुलिस ने प्रारंभिक कार्रवाई के तहत जीरो एफआईआर दर्ज की है और हादसे से जुड़े तथ्यों की जांच कर रही है।
अवैध संचालन की पुष्टि और अनुमति का अभाव
नर्राटोला ग्राम पंचायत के सरपंच हिंसा राम चिराम ने बताया कि भट्ठा पूरी तरह अवैध था और इसके लिए पंचायत से कोई अनुमति या एनओसी नहीं ली गई थी। मजदूरों के अनुसार भट्ठा लंबे समय से चल रहा था, और उसके संचालन में मिट्टी की खुदाई से लेकर ईंट निर्माण तक किसी भी प्रक्रिया के लिए विभागीय अनुमति नहीं ली गई थी। घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने यह भी बताया कि भट्ठा दल्ली-राजहरा के निवासी राकेश पांडे द्वारा संचालित किया जा रहा है, और कामगारों को मौखिक तौर पर बुलाकर रोजगार दिया गया था। पड़ताल में यह बात भी खुलकर सामने आई कि भट्ठा संचालक द्वारा किसी भी श्रम सुरक्षा या संरचनात्मक मापदंड का पालन नहीं किया गया, जिसकी वजह से पानी टंकी बिना किसी देखरेख के जर्जर हालत में खड़ी थी।
बालोद : अवैध लाल ईंट भट्ठों का नया ‘कॉरिडोर’
इस हादसे ने डौंडी और आसपास के इलाकों में चल रहे अवैध ईंट भट्ठों की वास्तविक स्थिति को एक बार फिर सामने ला दिया है। अरमुरकसा, पदेटोला, गिबली और मलकुंवर चौक जैसे क्षेत्रों में भी बिना अनुमति के कई भट्ठे संचालित होने की जानकारी पहले से मिलती रही है। ये भट्ठे खुले में काम करते हैं और अधिकतर जगहों पर मिट्टी की खुदाई भी बिना वैध प्रक्रिया के होती है। इन भट्ठों की संख्या बढ़ने के बावजूद किसी भी जिम्मेदार विभाग द्वारा स्थायी कार्रवाई न होने से यह सवाल उठता है कि निरीक्षण की व्यवस्था किस स्तर पर कमजोर है।
खनिज विभाग की भूमिका पर सीधा सवाल
हादसे के बाद खनिज विभाग की टीम मौके पर पहुँची और भट्ठे से जुड़े दस्तावेजों की मांग की। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यह भट्ठा अवैध पाया गया है और आगे कार्रवाई की जाएगी। खनिज अधिकारी मीनाक्षी साहू ने बताया कि टीम ने स्थान का निरीक्षण किया है और पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
मजदूरों और आसपास काम करने वाले लोगों का कहना है कि भट्ठा काफी समय से सक्रिय था और उसकी गतिविधियाँ किसी से छिपी नहीं थीं। उनका सवाल है कि नियमित निरीक्षण होने पर यह भट्ठा विभाग की नजर से कैसे बचा रहा? वहीँ जिला के पत्रकार साथियों द्वारा खनिज निरीक्षक शशांक सोनी का वर्षों से जिला में पदस्थ रहने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
उनका कहना है कि क्षेत्र में इतने समय से पदस्थ रहने के बाद भी अवैध भट्ठों पर नियंत्रण न होना विभागीय कार्यशैली पर संदेह खड़ा करता है। एक पत्रकार साथी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर अपना विचार पोस्ट किया है – “जब भट्ठा खुले में चल रहा था, तो उसकी जानकारी विभाग तक न पहुँचना संभव नहीं है।”
विभागों की “एकजुट चुप्पी”
मिट्टी की खुदाई पर नजर रखना राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है। मजदूर सुरक्षा और पंजीयन की जिम्मेदारी श्रम विभाग की है। इसी तरह बिजली कनेक्शन, पर्यावरण संबंधी नियम और भट्ठे की संरचना से जुड़े अन्य विभागों की भूमिकाएँ भी सवालों में हैं। इसके बावजूद किसी विभाग ने समय रहते भट्ठे को रोकने की कार्रवाई नहीं की। हालाँकि हादसे के बाद श्रम विभाग की टीम भी मौके पर मौजूद थी और मजदूरों के बयान दर्ज लिए गए, विभागीय स्तर पर अलग-अलग जांचें की जा रही हैं।
घटना स्थल पर खाकी की कदमताल
राजहरा सीएसपी डॉ. चित्रा वर्मा और डौंडी थाना प्रभारी उमा ठाकुर ने भी स्थल का मुआयना कर जानकारी जुटाई है। पुलिस ने भट्ठे के संचालन से जुड़े लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है। घटना ने यह साफ कर दिया है कि डौंडी जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में अवैध भट्ठों का संचालन केवल एक व्यक्ति की चूक नहीं, बल्कि कई स्तरों पर हुई अनदेखी का परिणाम है। मिट्टी, श्रम, बिजली और पर्यावरण, इन सभी मामलों में बिना अनुमति के चल रहे ऐसे भट्ठे भविष्य में भी खतरा बने रहेंगे, यदि विभागीय निगरानी सिर्फ कागजों तक सीमित रही।






