देवभोग में अनुसूचित जाति युवक के साथ गाली गलौच, मारपीट और जान से मारने की धमकी ।
दहशतजदा युवक ने विडियो जारी कर आत्महत्या करने की कही बात, BNS धारा 296 के तहत मामला पंजीबद्ध।

रायपुर hct : छत्तीसगढ़ का सीमांत जिला गरियाबंद, जहां अधिकांश गांव अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या से आबाद हैं, एक बार फिर सामाजिक विषमता और कथित जातीय वर्चस्व की घटनाओं को लेकर चर्चा में है। देवभोग विकासखंड के अंतर्गत आने वाले अमलीपदर थाना क्षेत्र में घटित एक मामले ने न केवल सामाजिक चेतना को झकझोरा है, बल्कि यह भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या वनांचल आज भी जातीय भेदभाव और दमन की गिरफ्त से पूरी तरह मुक्त हो सका है..?
क्या है पूरा मामला ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 7 जुलाई 2025 को अमलीपदर निवासी डिगने नागेश पिता प्रभुलाल नागेश (जाति – गाड़ा), उम्र 26 वर्ष, ने थाना अमलीपदर में एक लिखित आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई कि दिनांक 26 जून 2025 की रात लगभग 8:30 बजे वह अपने रायपुर से आए परिजन के साथ अमलीपदर स्थित अंग्रेजी शराब दुकान के बगल में एक खानपान केंद्र गया था। यह खानपान केंद्र कथित तौर पर एक स्थानीय युवक प्रतीक मिश्रा, पुत्र मनोज मिश्रा द्वारा संचालित किया जा रहा है।
डिगने ने अपने आवेदन में आरोप लगाया कि उसने वहाँ से एक डिस्पोजल गिलास और एक पानी पाउच खरीदा, जिसकी कीमत दुकानदार द्वारा 10 रुपये बताई गई, जबकि सामान्यतः यह मूल्य 5 रुपये होता है। जब डिगने ने इस पर आपत्ति जताई, तो खानपान केंद्र के संचालक प्रतीक मिश्रा और उसके भाई मयंक मिश्रा कथित रूप से आक्रोशित हो गए और उसके साथ तीखी बहस करने लगे।
गंभीर आरोप – जातिसूचक गाली-गलौच और जान से मारने की धमकी
आवेदन में डिगने नागेश ने यह भी आरोप लगाया है कि वाद-विवाद के दौरान आरोपीगणों ने उसके हाथ से सामान छीन लिया और उसे जातिसूचक एवं अश्लील गालियाँ देते हुए शारीरिक रूप से हमला किया। डिगने ने दावा किया कि यह हमला पूरी तरह से जातिगत घृणा से प्रेरित था। इतना ही नहीं, आरोप है कि उसे धमकी दी गई कि यदि वह दोबारा उस स्थान पर दिखा तो उसे जान से मार दिया जाएगा।
पीड़ित युवक ने अपने आवेदन में मानसिक तनाव और भय का भी उल्लेख किया है, तथा आशंका जताई है कि आरोपीगण भविष्य में उस पर जानलेवा हमला कर सकते हैं।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
यह पहला मामला नहीं है जब देवभोग क्षेत्र में पत्रकारिता या प्रभावशाली सामाजिक वर्ग से जुड़े लोगों पर अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोप लगे हों। कुछ समय पहले भी इसी क्षेत्र में एक मामले को लेकर पीड़ित पक्ष द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए थे, लेकिन मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे पहले की एक घटना में भी पीड़ित अनुसूचित वर्ग का ही था और आरोप था कि स्थानीय पुलिस ने प्रभावशाली आरोपी को संरक्षण दिया।
दर्ज हुआ अपराध
थाना अमलीपदर पुलिस ने पीड़ित के आवेदन का अवलोकन करते हुए मामले को प्रथम दृष्टया गंभीर मानते हुए अपराध प्रकरण क्रमांक 0065/2025 भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) की धारा 115(2), 3(5), 351(2), 296 अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आरोपी प्रतीक मिश्रा और मयंक मिश्रा, दोनों निवासी अमलीपदर, के विरुद्ध अपराध दर्ज कर लिया है।
ध्यान देने योग्य है कि धारा 3(5) बीएनएस, जातीय आधार पर की गई गाली-गलौच, धमकी या हिंसा से संबंधित है, और तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के खिलाफ ऐसा अपराध करता है जिसके लिए भारतीय दंड संहिता में 10 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है।
निगाहें अगली कार्यवाही पर
जहाँ एक ओर पुलिस द्वारा प्रारंभिक स्तर पर अपराध पंजीबद्ध करना एक सकारात्मक पहल मानी जा सकती है, वहीं अब आमजन की नजर इस पर टिकी हुई है कि क्या इस मामले में त्वरित गिरफ्तारी होगी या फिर यह मामला भी पहले की तरह आरोपियों को “पुलिसिया पनाह” मिल जाने की आशंका की भेंट चढ़ जाएगा?
यह घटना केवल एक व्यक्ति के साथ हुई कथित मारपीट का मामला नहीं है, यह सामाजिक व्यवस्था की उस खाई को उजागर करता है जहाँ अब भी जातीय श्रेष्ठता और सामाजिक दबदबे के बल पर लोगों को डराने-धमकाने की कोशिशें होती हैं।
इस मामले में पुलिस की निष्पक्षता और त्वरित कार्यवाही, न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने में अहम होगी, बल्कि यह पूरे वनांचल क्षेत्र में भरोसे का संकेत बनेगा कि कानून सभी के लिए समान है।
