बिना टेंडर ठेका, बिना कर्मचारी सफाई, रायपुर नगर निगम की भर्राशाही !
जोन 6 भाजपा पार्षद के वार्ड में सहमति-पत्र के नाम पर सफाई का ठेका, न दस्तावेज़, न कर्मचारी सड़कों पर गंदगी और व्यवस्था में सन्नाटा!

रायपुर hct : नगर निगम रायपुर की गलियों में इन दिनों झाड़ू कम, सियासी चालें ज्यादा चल रही हैं। ‘भ्रष्टाचार मुक्त नगर’ स्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर सत्ता में आए नए भाजपाई पार्षदों की पहली पेशकश है – बगैर निविदा के ठेका, बगैर कर्मचारियों के सफाई अभियान!
जोन क्रमांक 6, जो पहले भी चर्चाओं में था, अब खुद गंदगी और भर्राशाही का केंद्र बन चुका है। 70 वार्डों में 38 सफाई कर्मचारियों की व्यवस्था तो घोषित कर दी गई, लेकिन ज़मीनी हकीकत इतनी मैली है कि सुबह 7 बजे शुरू होने वाला काम, 9:20 तक भी शुरू नहीं हुआ। मौके पर केवल 8 कर्मचारी और 2 सुपरवाइज़र ही नजर आए।
❝ बिना टेंडर ठेका – किसके इशारे पर ? ❞
वार्ड क्रमांक 61 (डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड) में अनुराग कंस्ट्रक्शन को 11 जुलाई 2025 से सफाई की जिम्मेदारी सौंपने की ‘सहमति’ दी गई है। लेकिन वह सहमति-पत्र न तो मुहरबंद है, न हस्ताक्षरित, न ही सील, न कोई रसीद, न आवक-जावक का रिकॉर्ड ! ये चिट्ठी खुद ही अनियमितताओं की गवाही देती है और फिर भी, लाखों का ठेका हो गया शुरू? आखिर ये खेल किसके आशीर्वाद से चल रहा है?
❝ 38 कर्मचारी सिर्फ कागज़ों पर, ज़मीन पर भगवान भरोसे ❞
जोन 6 के वार्ड 58, 59, 60, 61, 62, 63 और 65 में कहीं भी पूरे 38 कर्मचारी नजर नहीं आते। जिन वार्डों में झाड़ू की ज़रूरत सबसे ज़्यादा है, वहीं व्यवस्था हवा में उड़ रही है। साफ है – नगर निगम की सफाई खुद गंदगी में धंसी है।
❝ जिम्मेदार कौन? निगम मौन ❞
इस गड़बड़ी पर सवाल जब निगम के दरवाज़े पर पहुंचे, तो अपर आयुक्त विनोद पांडेय का जवाब मिला – “कमी मिलने पर नियमानुसार जुर्माना लगाया जाएगा”। लेकिन साहब, जुर्माना किस पर? जो ठेका ही बिना टेंडर के, बिना दस्तावेजों के दिया गया है, उसमें दोषी कौन? पार्षद, ठेकेदार, या व्यवस्था…?
शुरुआत में ही अगर ठेके और कर्मचारी दोनों नदारद हैं, तो आने वाले पाँच सालों में गंदगी सिर्फ सड़कों पर नहीं, बल्कि व्यवस्था के भीतर तक पसरेगी।
