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दुर्गानंद साहू की हुंकार, विधायक संगिता सिन्हा पर सीधा वार…

भाजपा नेता दुर्गानंद साहू बोले – झूठी शिकायतों और सत्ता के दुरुपयोग से परेशान हूं, अब राजनीतिक मोर्चा खोलूंगा।

गुरूर (बालोद) hct : छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों गरमी चरम पर है, और बालोद जिले की संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र इसकी तपिश का केंद्र बनता जा रहा है। गुरूर जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष और भाजपा के कद्दावर नेता दुर्गानंद साहू ने खुलकर कांग्रेस विधायक संगिता सिन्हा और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि विधायक और उनके परिजन बीते कई वर्षों से उन्हें झूठे मामलों में फँसाकर मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।

मैंने पुलिस विभाग में रहते हुए ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाई। लेकिन विधायक और उनके परिवार ने मेरे खिलाफ झूठी शिकायतों की झड़ी लगा दी। जिनमें से अधिकतर मामलों में मुझे न्यायालय से दोषमुक्त किया गया है। न्यायिक दस्तावेज मेरे पास हैं, लेकिन अब भी प्रताड़ना का सिलसिला थमा नहीं है, –

दुर्गानंद साहू, भाजपा नेता।

दुर्गानंद साहू ने दो टूक कहा कि अब यह सिलसिला बंद होना चाहिए। वे जल्द ही विधायक के खिलाफ सत्ता और पद के दुरुपयोग को लेकर प्रदेश सरकार से औपचारिक शिकायत दर्ज कराने जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे विधायक संगिता सिन्हा और उनके पति भैय्या राम सिन्हा के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी मोर्चा खोलने वाले हैं।

एक गांव, दो ध्रुव: मोहब्बत नहीं, अब जंग की बिसात

गौरतलब है कि दुर्गानंद साहू और विधायक संगिता सिन्हा एक ही गांव के निवासी हैं, लेकिन दोनों के बीच की राजनीतिक खाई अब इतनी गहरी हो चुकी है कि सियासी मोहब्बत की जमीन कब की दरक चुकी है। राजनीतिक गलियारों में इस तनातनी को लेकर अब खुलकर चर्चा हो रही है।

“विधायक का कुनबा आज क्षेत्र में भय और आतंक का पर्याय बन चुका है। आम नागरिक, पत्रकार, भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं, खुद कांग्रेस के अंदर भी कई वरिष्ठ नेता उनकी कार्यशैली से त्रस्त हैं,” – दुर्गानंद साहू।

“डबल इंजन की सरकार, लेकिन यहां भाजपा को ही किया जा रहा टारगेट”

भाजपा नेता ने सवाल उठाया कि जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की डबल इंजन सरकार सत्ता में है, तब भी संजारी बालोद में पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को क्यों टारगेट किया जा रहा है?

“सत्ता में रहकर जब विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने का काम होता है, तो समझ लेना चाहिए कि बात सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है। यह सत्ता के नशे में चूर मानसिकता का नतीजा है। विधायक और उनका परिवार अपने प्रभाव से पुलिस और प्रशासनिक तंत्र को गलत इस्तेमाल कर रहा है,” – दुर्गानंद साहू।

दुर्गानंद साहू: एक संघर्षशील नेता की कहानी

दुर्गानंद साहू केवल भाजपा के वरिष्ठ नेता नहीं, बल्कि जनपद गुरूर के उपाध्यक्ष के रूप में भी इलाके में मजबूत पकड़ रखते हैं। संगिता सिन्हा के बाद वे इस क्षेत्र की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक शख्सियतों में शुमार हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि साहू की लोकप्रियता गांव-गांव में है, और ऐसे में उन्हें साजिश के तहत बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।

“शुरुआत उन्होंने की थी, खत्म मैं करूंगा”

अपनी वेदना को आवाज देते हुए साहू ने दो टूक शब्दों में कहा –“मुझे बार-बार झूठे केसों में घसीटकर परेशान किया गया। अब बहुत हुआ। शुरुआत उन्होंने की थी, लेकिन इसका अंत मैं करूंगा। सत्ता और पद का दुरुपयोग कर जनता को डराना कोई सेवा नहीं होती, यह तानाशाही होती है।”

क्या वाकई विधायक का रवैया उनकी पार्टी के भीतर भी सवालों के घेरे में है?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो संगिता सिन्हा को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर भी असंतोष गहरा है। कई स्थानीय कांग्रेसी नेता ऑफ रिकॉर्ड बताते हैं कि वे खुद विधायक की कार्यशैली से परेशान हैं, लेकिन डर के मारे चुप हैं। यदि दुर्गानंद साहू मोर्चा खोलते हैं, तो संभव है कांग्रेस के अंदर भी कुछ स्वर उनके समर्थन में उठने लगें।

अगला कदम – विधिवत शिकायत और जन आंदोलन

दुर्गानंद साहू ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे सिर्फ मीडिया में बात कहकर रुकने वाले नहीं हैं। वे छत्तीसगढ़ शासन से आधिकारिक शिकायत करेंगे और यदि जरूरत पड़ी, तो क्षेत्र में जन आंदोलन भी छेड़ेंगे।

ये सियासी लड़ाई अब व्यक्तिगत नहीं रही

अब यह लड़ाई दो व्यक्तियों के बीच नहीं, बल्कि जनता और जनप्रतिनिधि की भूमिका निभाने वालों के आचरण की परीक्षा बन गई है। कौन जीतता है – ईमानदारी या सत्ता का दंभ – यह आने वाले समय में सामने आएगा। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि दुर्गानंद साहू अब पीछे हटने वाले नहीं हैं।

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