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लोकतंत्र बनाम लूटतंत्र : “राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट…

कबीर दास जी का यह दोहा “राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट, अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएगा छूट” प्रदेश की राजनीति पर एकदम सटीक बैठती है। कहने को तो यह लोकतंत्र जनता की, जनता के द्वारा और जनता के लिए सरकार है, परन्तु आधुनिक लोकतंत्र की कोई ऐसी सुनिश्चित सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी जा सकती जो इस शब्द के पीछे छिपे हुए संपूर्ण इतिहास तथा अर्थ को अपने में समाहित करती हो। हाँ यह देखने में जरूर नजर आता है कि अपना काम बनता तो भाड़ में जाए जनता सर्वत्र व्याप्त हो गया है लोकतंत्र के नाम पर लूटतंत्र हावी हो चुका है।

निजाम क्या बदली, नेता की नियत ही बदल गई…!
लाखों का सामान, रातों-रात क्या जमींदोज गई…?

रायपुर hct : सत्ता परिवर्तन के साथ ही इस बार फिर भाजपा बहुमत में सत्तानशीं हुआ है और जुम्मा-जुम्मा सरकार के मंत्रियों को सरकारी बंगला भी आबंटित किया जा चुका है। इसी क्रम में कांग्रेस के मंत्रीगणों को आवास खाली करने का आदेश हुआ है ताकि नवोदित मंत्रियों को मुफ्त का सर्वसुविधायुक्त आवास आबंटित किया जा सके। बहुतेरे मंत्रियों ने तो बंगला खाली कर ही दिया है; मगर, मंत्री पूर्व मंत्री शिव डहरिया का बंगला विवाद में आ गया है। उनको आबंटित यह बंगला स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को अलाट हुआ है।

बंगला निरीक्षण के समय सामान गायब होने का हुआ खुलासा

मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल जब बंगले का निरीक्षण करने पहुंचे तब बंगले के अंदर का नजारा देखकर मंत्रीजी का माथा चकरा गया। जो बात मीडिया में आग की तरह फैलने लगी कि मंत्री शिव डहरिया के बंगले से एसी-टीवी-मॉड्यूलर किचन-नल की टोटी समेत लाखों का सामान गायब है ! सिर्फ यही नहीं; बल्कि स्वास्थ्य मंत्री को मिले बंगले से बिजली के फिटिंग्स से लेकर कांच के दरवाजे, डेकोरेटिव बिजली के खंभे समेत लाखों का सामान गायब मिला है। जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बंगले में रह रहे पूर्व मंत्री शिव डहरिया पर सवाल खड़ा करते हुए बंगले में लगे सामानों की चोरी का गंभीर आरोप लगाया है। मंत्री ने पीडब्लूडी के अफसरों को पूर्व में लगे सामानों का मिलान कर गायब सामानों की लिस्ट बनाने का निर्देश दिया है।

छवि खराब करने के लिए मंत्री जी को माफी मांगनी चाहिए

इस विषय पर शिव डहरिया मीडिया से मुखातिब होकर कहा कि मान. स्वास्थ्य मंत्री जी जानबूझकर एक अनुसूचित जाति के नेता को बदनाम कर रहे हैं, मैंने आवास खाली करने के पूर्व सभी विभागों से NOC लिया है, जिन सामानों के निकाले जाने की बात मंत्री महोदय कह रहे हैं, वह मेरे व्यक्तिगत सामान हैं। वह मैं लेकर गया हूं। इस प्रकार बिना जानकारी मेरी छवि खराब करने के लिए मंत्री जी को माफी मांगनी चाहिए।

जनता की टेक्स पर राज करने वाले सत्ताधारियों की लूट

जनता की टेक्स पर सत्ताधारियों की लूट का प्रदेश में यह कोई पहला और अनोखा मामला नहीं है। लगभग 6 साल पहले इसी तरह की एक और खबर ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म की सुर्ख़ियों में था। बता दें कि वर्ष 2003 से 2018 तक 15 वर्षों तक पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ० रमन सिंह के कार्यकाल में अप्रेल 2017 को एक खबर आई थी कि उनके बहुतेरे मंत्री विधायकों ने अपना आवास खाली करने से पहले करोड़ों का बिजली बिल नहीं पटाया था।

चाँउर वाले बाबा के बिजली बकायादारों की जमात

अवगत हो कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में जिन मंत्रियों ने अपना बिजली बिल नहीं पटाया था; उनमे से 01. मंत्री अजय चन्द्राकर, आवास सी 679228.26 लाख 02. मंत्री अजय चन्द्राकर, ओल्ड एसपी बंग्लो सी – 3 सिविल लाइन 124771.67 लाख 03. अध्यक्ष वित आयोग चंद्रशेखर साहू, 392317.21 लाख 04. विधायक लाभचंद्र बाफना, 316714.39 लाख 05. मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे, एफ /25 शंकर नगर 169975.95 लाख 06. मंत्री रामसेवक पैकरा, बी /5/10 शंकर नगर 162139.73 लाख 07. मंत्री केदार कश्यप, सी -3 राजा तालाब 96380.53 हजार 08. मंत्री केदार कश्यप, सी -4 फारेस्ट कॉलोनी 96380.53 हजार 09. मंत्री महेश गागडा, डी -8 आंनद नगर केनाल रोड 99751.58 हजार 10. मंत्री महेश गागडा, डी-7 शंकर नगर -98081.98 हजार 11. मंत्री रामशिला साहू, सी -2-शंकर नगर -98877.58 हजार 12. धरमलाल कौशिक, सी/ 1/10 शंकर नगर 90127.56 हजार 13. मंत्री पुन्नूलाल मोहले, सी /1 सिविल लाइन -76714.66 हजार 14. मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे, बी/01 शंकर नगर 71030.45 हजार 15. मंत्री अमर अग्रवाल, सी /4 शंकर नगर 65771.72 हजार 16. मंत्री शिव शंकर पैकरा, सी /2/15- शांती नगर 44885.94 हजार 17. मंत्री दयाल दास बघेल, सी /2/15-आईएएस कॉलोनी शांति नगर 37928.14 हजार 18. मंत्री दयाल दास बघेल, सी /2/15- शांति नगर 26163.51 हजार 19. मंत्री दयाल दास बघेल, 218157.13 लाख रुपये बाकी रहा, बाद में कुछ का बकाया बिल सरकारी कोष से जमा किए जाने की बात आई गई और हो गई थी। बस, इस प्रकरण का भी इसी तरह राम नाम सत्य कर दिया जाएगा।

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Dinesh Soni

जून 2006 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मेरे आवेदन के आधार पर समाचार पत्र "हाइवे क्राइम टाईम" के नाम से साप्ताहिक समाचार पत्र का शीर्षक आबंटित हुआ जिसे कालेज के सहपाठी एवं मुँहबोले छोटे भाई; अधिवक्ता (सह पत्रकार) भरत सोनी के सानिध्य में अपनी कलम में धार लाने की प्रयास में सफलता की ओर प्रयासरत रहा। अनेक कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए; सन 2012 में "राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा" और सन 2015 में "स्व. किशोरी मोहन त्रिपाठी स्मृति (रायगढ़) की ओर से सक्रिय पत्रकारिता के लिए सम्मानित किए जाने के बाद, सन 2016 में "लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) की तरफ से निर्भीक पत्रकारिता के सम्मान से नवाजा जाना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्यजनक रहा।

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4 Comments

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