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नौकरी लगवाने का झांसा देकर ठग लिए 7 लाख… (भाग – II)

किसी भी राज्य का आईना होता है; उस प्रदेश का “जनसम्पर्क विभाग,” और यही वो विभाग है जो “शीर्ष सत्ताधारियों का ब्यूटी पार्लर” होता है। इस विभाग में कुछ अपवाद को छोड़ दें तो पदस्थ लोगों में बहुतयात हरामखोर होते है। अब इस उद्धरण पर बहुतों को इस बात पर आपत्ति होगी कि मैंने हरामखोर (गाली) शब्द का इस्तेमाल किया है जो एक पत्रकार की भाषा शैली नहीं।
यहाँ पर मैं हरामखोर का संधि विच्छेद कर स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि ‘हरामखोर’ अपशब्द नहीं है
हराम = मुफ्त, विधि विरुद्ध या गैर क़ानूनी तरीके से अर्जित राशि और खोर = खाना; हजम करना; पलना, अर्थात “माल-ए-मुफ्त”
अदम गोंडवी साहब लिखते हैं…

“जितने हरामख़ाेर थे क़ुर्ब-ओ-जवार में, परधान बनके आ गए अगली क़तार में”

रायपुर hct : जनसम्पर्क विभाग जिस पर प्रदेश का अक्स झलकता है या यूँ कहा जाए कि इस पटल पर सरकार की कामकाज को ऐसे दिखाया जाता है जिसे देश की जनता सच मान लेती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के जनसम्पर्क विभाग के वेब साइट को खंगालने पर 02 दिसंबर 2022 को “रायपुर : छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोजगारी” नामक शीर्षक से एक लेख मिला जिसमें यह उद्धृत है कि – “छत्तीसगढ़ राज्य के 99.90 फीसद लोग किसी न किसी रोजगार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से यह साबित हुआ है। छत्तीसगढ़ राज्य में नवंबर में बेरोजगारी दर अब तक अपने न्यूनतम स्तर 0.1 प्रतिशत है। देश में सबसे कम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है।

इस लेख में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोजगार के नए अवसरों के सृजन के लिए बनाई गई योजनाएं और नीतियों का बखान करते हुए बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ 0.1 प्रतिशत बेरोजगारी की दर के साथ लगातार देश का न्यूनतम बेरोजगारी दर वाला राज्य बना हुआ है। बावजूद इसके नौकरी के पीछे असंख्य पढ़े – लिखे युवक – युवतियां और उनके परिजन दर – दर की ठोकरें खाने को मजबूर और नौकरी के मंसूबे पाले शातिर झांसेबाजों के फेर में पड़कर जीवन भर की कमाई या फिर जमीन जायदाद से हाथ धो बैठे हैं।

डकार तो दूर इन्हें हिचकी भी नहीं आती जनाब

मार्च 2019 जब समूचा देश कोरोना महामारी की चपेट में था तब बालोद जिला ग्राम करतूटोला, गोड़पारा वार्ड क्र. 03, थाना मंगचुवा, तह -डौण्डीलोहारा निवासी घनश्याम दास साहू अपने पुत्र गोयल कुमार साहू को सरकारी नौकरी लगवाने के चक्कर में सात लाख रुपये से हाथ धो बैठा। घनश्याम दास के मुताबिक उनकी पत्नी श्रीमती चंपा साहू ग्राम पंचायत करतूटोला में सरपंच थी, जिनके कार्यकाल में मुड़खुसरा, थाना डौंडीलोहारा निवासी खिलावन चन्द्राकर नामक एक पत्रकार ने सरपंच पति घनश्याम साहू को तात्कालिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पारिवारिक सम्बन्ध (मामा-ससुर) बताकर, उनके पुत्र को मंत्रालय में नौकरी लगवाने के नाम पर सात लाख हड़प लिया।

झूठे मामले में फंसा देने की देता था धमकी

कुछ सप्ताह इंतजार के बाद जब लड़के के नाम से कोई ज्वाइंनिंग लेटर नहीं आया, तब ठगे जाने का अहसास होने पर घनश्याम साहू ने खिलावन चन्द्राकर पर रकम वापसी का दबाव बनाए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का रिश्तेदार होने की बात करते हुए, पुलिस और न्यायालय या कोई भी मेरा कुछ नहीं उखाड़ सकता, दोबारा पैसा वापस मांगोगे तो झूठे मामले में फंसा दूंगा, पूरी जिंदगी जेल में सड़ते रहोगे” कहकर धमकाने लगा।

अत्यधिक दबाव के चलते अपनी पत्रकारिता के रुआब में आरोपी खिलावन चन्द्राकर ने अपनी सहयोगी युवती मैना साहू (बदला हुआ नाम) को मोहरा बनाकर थाना प्रभारी, थाना बालोद में…

शिकायत पत्र की छायाप्रति

18 अप्रैल 2023 को एक लिखित शिकायत जिसमें यह उल्लेख था कि वह रोजगार की तलाश में भटक रही थी इस दौरान दिनांक 15/09/2019 को घनश्याम साहू पिता रामसिंह साहू, निवासी ग्राम करतूटोला थाना मंगचुवा से उसकी जान पहचान हुई। जिसके बाद आरोपी ने उसे दिनांक 16.12. 2019 को अपने वाहन (मोटर सायकल) में बिठाकर अपने घर लेकर गया, जहाँ उसके दो साथी ईश्वर साहू एवं योगेश्वर प्रधान पहले से मौजूद थे, तीनों ने मिलकर उसके साथ जबरदस्ती की और किसी को बताने पर, जान से मारने की धमकी देते हुए उनके द्वारा खीचे हुए फोटो, विडियो वायरल करने की धमकी देकर बार-बार इस तरह का कृत्य करते रहने का आरोप लगाकर घनश्याम साहू को कानून के मकड़जाल में फंसा दिया।

समापन भाग – III में
“परित्राणाय साधुनाम”, आरोपी घूमे चारो धाम ?’
‘परित्राणाय साधुनाम्’ का सूक्त अपनाने वाली छत्तीसगढ़ पुलिस की उदासीन रवैया या यूँ कहें कि आरोपियों को जाँच के दायरे में रखकर मिलने वाली छूट, के चलते शातिरों को अपराध कारित कर सात समुन्दर दूर भाग जाने का भरपूर मौका भी मिल जाता है। संभवतः इसी सूक्त के सूत्र में बंधी छूट को शायद जानबूझकर अंजाम तो नहीं दिया जाता है… !

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Dinesh Soni

जून 2006 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मेरे आवेदन के आधार पर समाचार पत्र "हाइवे क्राइम टाईम" के नाम से साप्ताहिक समाचार पत्र का शीर्षक आबंटित हुआ जिसे कालेज के सहपाठी एवं मुँहबोले छोटे भाई; अधिवक्ता (सह पत्रकार) भरत सोनी के सानिध्य में अपनी कलम में धार लाने की प्रयास में सफलता की ओर प्रयासरत रहा। अनेक कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए; सन 2012 में "राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा" और सन 2015 में "स्व. किशोरी मोहन त्रिपाठी स्मृति (रायगढ़) की ओर से सक्रिय पत्रकारिता के लिए सम्मानित किए जाने के बाद, सन 2016 में "लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) की तरफ से निर्भीक पत्रकारिता के सम्मान से नवाजा जाना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्यजनक रहा।

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2 Comments

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