छत्तीसगढ़ पुलिस का “व्यवस्था” पर से नियंत्रण खत्म !
छत्तीसगढ़ में कानून रसातल में, अपराधियों का बढ़ता दुस्साहस और पुलिस की ख़ामोशी...!

रायपुर hct : छत्तीसगढ़ की राजधानी से लेकर जिलों तक अपराधियों का मनोबल किस हद तक बढ़ गया है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब न तो थानों की दीवारें सुरक्षित बची हैं और न ही रेलवे प्लेटफॉर्म। राज्य की पुलिस मशीनरी, जिसे जनता की सुरक्षा का संरक्षक होना चाहिए, आज कई मामलों में या तो मूकदर्शक बनी बैठी है या स्वयं ही संदेह के घेरे में आ चुकी है।
हाल ही में रायपुर से लगे एक अति संवेदनशील जिले में नियुक्त एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने मौजूदा व्यवस्था पर गहरी चिंता जताई। उनका स्पष्ट कहना है कि अगर सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाए और पुलिस अधिकारियों को बिना हस्तक्षेप स्वतंत्र रूप से काम करने दे, तो छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था महज़ 24 घंटे में सुधर सकती है। उनकी बातों में भावनाएं नहीं, सच्चाई झलकती थी — एक ऐसी सच्चाई, जिसे आज राज्य के लाखों नागरिक रोज महसूस कर रहे हैं।
रेलवे स्टेशन हो या थाने के भीतर की चारदीवारी, अपराधियों का दुस्साहस और पुलिस की निष्क्रियता के किस्से अब सामान्य होते जा रहे हैं।
खम्हारडीह थाना परिसर में एक महिला फरियादी को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। आरोप है कि सोनू गरचा नामक व्यक्ति ने महिला के चरित्र पर अभद्र टिप्पणियां कीं, और वहां तैनात तीन पुलिसकर्मी देखते रहे। जब महिला, थाना प्रभारी ‘मनोज कुमार साहू‘ के पास शिकायत लेकर पहुंची, तो आरोपी ने उन्हीं के सामने दुबारा गाली-गलौच की, और महोदय मूकदर्शक बने रहे !

बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने गर्चा की गिरफ्तारी का निर्देश दिया, जिसकी अवहेलना करते हुए थानेदार ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया। आरोपी को उल्टा ‘प्रभावशाली साथियों’ के साथ थाने बुलाया गया, जहां उसने एक पलट शिकायत दर्ज कराई और बिना किसी कार्रवाई के वापस लौट गया। यह केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि कानून के खुलेआम अपमान का प्रतीक बन गया है।
रायपुर रेलवे स्टेशन पर खुलेआम लूट और हमले
रायपुर रेलवे स्टेशन अपराध का खुला मंच बन गया। निगरानी सूची में शामिल अपराधी शेख हुसैन ने अपने गिरोह के साथ स्टेशन परिसर में पार्किंग ठेकेदार पर हमला किया। सीसीटीवी में साफ दिखाई देता है कि हॉकी स्टिक और चाकू से हमला किया गया, ₹12,000 लूटे गए और हमलावर आराम से चले गए, जबकि GRP और गंज थाना कुछ ही दूरी पर स्थित हैं।
हुसैन पर पहले भी हत्या के प्रयास सहित कई मामले दर्ज हैं और हाल ही में वह जिला बदर भी किया गया था। बावजूद इसके वह शहर में खुलेआम घूम रहा है, और स्टेशन परिसर के पास पान ठेले के पीछे से नशीले पदार्थों का अवैध कारोबार भी चला रहा है। पुलिस की चुप्पी और निष्क्रियता ने इस अपराध को सिर्फ घटना नहीं, बल्कि एक सन्देश में बदल दिया है कि रायपुर में अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है, प्रतिरोध नहीं।
रेत माफिया की गोलियों से दहशत
राजनांदगांव जिला के मोहड़ गांव में 11 जून को ग्रामीणों ने अवैध रेत खनन का विरोध किया। जवाब में माफिया ने गोलियां चलाईं। एक गोली एक युवक की गर्दन के पास से गुजरी, तीन लोग घायल हुए। मौके से एक जेसीबी और हाईवा ट्रक जब्त किए गए। बाद में वाहन मालिक अभिनव तिवारी की गिरफ्तारी हुई और एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें स्थानीय थाना प्रभारी मशीनरी छुड़ाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की ‘सिफारिश’ का हवाला देते सुने गए।
इस घटना के बाद थानेदार को निलंबित कर दिया गया, लेकिन यह कोई अपवाद नहीं, बल्कि एक बड़े तंत्र की पोल खोलने वाला उदाहरण बन गया है। छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का नेटवर्क केवल आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि राजनीतिक और पुलिसिया संरक्षण के भरोसे पर फल-फूल रहा है।
समाचार स्त्रोत : वरिष्ठ पत्रकार – मुकेश एस सिंह @https://x.com/truth_finder04
