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सहकारी बैंक में घोटाला… तत्कालीन मैनेजर समेत चार अधिकारियों को तीन साल का सश्रम कारावास

कुछ किसानों ने लोकायुक्त में शिकायत की थी कि कर्ज की राशि बकाया रहने पर सहकारी बैंक के अधिकारियों ने बैंक अधिनियम 1999के प्रावधानों का उल्‍लंघन करते हुए उन्हें बताए या विधिवत सूचना दिए बगैर गिरवी रखी करोड़ों की जमीन को मिट्टी के भाव में नीलाम कर दिया था। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में आरोपित अधिकारियों को दोषी करार दिया।

HIGHLIGHTS

  1. दोषियों पर 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया।
  2. विशेष लोकायुक्त अदालत ने सुनाई सजा।
  3. ग्रामीणों से कर्ज वसूली के नाम पर किया था भ्रष्टाचार।

भोपाल। राजधानी के विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार को बैंक अधिकारियों के भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक के तत्कालीन प्रबंधक एस सी सिंघई, विक्रय अधिकारी विजेन्द्र कौशल, संयुक्त पंजीयक आरएस गर्ग और सहकारिता निरीक्षक एपीएस कुशवाहा को भारतीय दंड विधान और पीसी एक्ट में दोषी पाते हुए तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 20-20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है । प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक हेमलता कुशवाहा ने पैरवी की।

यह है मामला

ग्राम बगौनिया, कल्याणपुर के ग्रामवासियों ने लिखित शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में 8 अगस्त 2007 को लिखित शिकायत प्रस्तुत की थी। इसमें सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक मर्यादित भोपाल के अधिकारियो द्वारा ग्राम बरखेडा नाथू रातीबड में बैंक अधिनियम 1999 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ऋण वसूली न होने पर चल-अचल संपत्ति से ऋण वसूली के लिए मिट्टी के भाव में कृषि भूमि नीलाम करने का आरोप लगाया गया।
आरोपित अधिकारियों ने ग्राम सोहागपुर, की लगभग पांच एकड भूमि मात्र 40 हजार रुपये में षड्यंत्र कर 30 जून 2000 को नीलाम कर दिया था। उक्त भूमि कृषक सौरभ सिंह की थी, जिसने डेयरी के लिए 20 हजार रुपये का ऋण लिया था और नीलामी के समय मूल बकाया मात्र 10 हजार था।
वर्ष 2000 से 2007 के मध्य कृषि भूमि की नीलामी कार्रवाई का सिलसिला कई वर्षो से चल रहा था तथा ऋणी कृषक को विधिवत सूचना ना देकर बंधक भूमि को ऋण राशि न अदा करने पर उनकी भूमि बाजार मूल्यृ और कलेक्टर द्वारा निर्धारित मूल्य से अत्याधिक कम मूल्य पर अवैधानिक रूप से नियम के विरूद्ध नीलामी कार्रवाई की। साथ ही आरोपितो ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधाडी से अपने पद का दुरुप्रयोग कर यह धोखाधड़ी की।

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