दिल्ली उच्च न्यायालय : 12 कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा नाबालिग हास्यास्पद है

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पुलिस को न्यायालय की फटकार; बिना प्रमाणित दस्तावेज 12 कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा नाबालिग कैसे ?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित बलात्कार के मामले में आरोपी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 6 लागू करने के लिए पुलिस को जमकर फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर बलात्कार के मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, उन्होंने अभियोजक के वकील से पूछा कि इस मामले में POCSO अधिनियम की धारा 6 कैसे लागू की गई है। जबकि इस अधिनियम की धारा 6 में कहा गया है कि, अगर जो कोई भी गंभीर प्रवेशन यौन हमला करता है तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा। इसके अलावा यह दंड 20 वर्ष से ज्यादा होकर आजीवन कारावास तक भी बढ़ सकता है।

पीड़िता 12वीं कक्षा में थी हास्यास्पद है

इसके प्रत्युत्तर में बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि; चूंकि पीड़िता घटना के समय 12वीं कक्षा में थी, इसलिए यह माना गया कि वह नाबालिग होगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह बड़ा हास्यास्पद (ridiculous) है कि 12th कक्षा में पढ़ने वाली दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग कैसे होगी। रिकॉर्ड पर किसी भी दस्तावेज के बिना, कोई यह कैसे मान जा सकता है कि पीड़िता नाबालिग है, ऐसा जरुरी भी नहीं की नाबालिग लड़की ही 12वीं कक्षा में हो सकती है, यहां तक कि एक बड़ी लड़की भी 12वीं कक्षा में हो सकती है।

अगली सुनवाई 7 मार्च को निर्धारित

पुलिस के वकील ने तब स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा। अदालत ने डीसीपी को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने का नोटिस भी जारी किया और कहा कि जांच अधिकारी बुधवार को अदालत में क्यों मौजूद नहीं थे, और मामले को अगली सुनवाई के लिए 7 मार्च को सूचीबद्ध किया। पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 में कहा गया है कि जो कोई भी गंभीर प्रवेशन यौन हमला करता है, उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा, और आजीवन कारावास तक बढ़ सकता है।

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