हसदेव का अब एक पेड़ नही कटेगा, आंदोलन और तेज होगा- राकेश टिकैत।

सरकारों को कार्पोरेट नही जानता की आवाज सुननी पड़ेगी।

हसदेव अरण्य क्षेत्र में जंगल, जमीन, आजीविका, पर्यावरण और आदिवासियों के संविधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हसदेव के ग्रामीण आदिवासी – किसान पिछले एक दशक से आंदोलनरत हैं। पिछले वर्ष 2 मार्च 2022 से अनिश्चितकालीन धरना अनवरत जारी है।

हसदेव अरण्य के आदिवासी – किसानों के आंदोलन को समर्थन देने किसान आंदोलन के राष्ट्रीय नेता राकेश टिकैत धरना स्थल हरिहरपुर जिला सरगुजा पहुंचे। सम्मेलन में हजारों की संख्या में ग्रामीण आदिवासी शामिल हुए ।

आंदोलनत ग्रामीणों के साथ चर्चा उपरांत राकेश टिकैत जी ने कहा कि जंगल – जमीन आदिवासियों का है, इसे आपसे छीना नही जा सकता। जैसे पेड़ को बढ़ने में समय लगता है वैसे ही बचाने में भी लगता है । अब हसदेव का पेड़ नही कटेगा, आंदोलन और ज्यादा तेज होगा।

उन्होंने कहा कि सरकारें कार्पोरेट की सुनती है इसीलिए आंदोलन करना पड़ता है। हसदेव के मामले में हम सरकार से भी बात करेंगे कि हसदेव में कोई भी नई खदान नही खुलनी चाहिए।

ज्ञात हो कि हसदेव अरण्य के सरगुजा जिले में परसा, परसा ईस्ट केते बासेन और केतें एक्सटेंशन कोल ब्लॉक एवं कोरबा जिले में मदनपुर साउथ एवं पतुरिया गिदमुड़ी कोल ब्लॉक में ग्रामसभाओं को दरकिनार करके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य और केंद्र सरकार ने शुरू की थी। इसके साथ ही परसा कोल में ब्लॉक फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर खनन कंपनी के द्वारा वन स्वीकृति हासिल की गई थी। 

इसके खिलाफ हसदेव के आदिवासियों ने पिछले वर्ष 4 अक्तूबर से 14 अक्तूबर तक ३०० किलोमीटर पदयात्रा करके रायपुर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी लेकिन न तो फर्जी ग्रामसभा की जांच हुई और न ही खदान निरस्त करने की कोई कार्यवाही।

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी ने स्वयं 2015 में हसदेव में चौपाल लगाकर न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया था बल्कि उन्होंने कहा था कि ” कांग्रेस ऐसा विकास नही चाहती जिसमे आदिवासियों से उनके जंगल जमीन – जमीन को छीना जाए” पिछले वर्ष केंब्रिज में भी राहुल गांधी हसदेव के आंदोलन को जायज बताकत उसके शीघ्र निराकरण की बात कही थी।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि आज कांग्रेस, मोदी- अडानी के भ्रष्टाचार पर संसद से लेकर सड़क की लड़ाई लड़ रही है जिसका स्वागत है लेकिन कांग्रेस की राज्य सरकारों द्वारा अदानी समूह को पहुंचाए जा रहे हजारों करोड़ के मुनाफे पर मौन क्यों हैं?? क्या देश में दो अदानी है एक अच्छा एक बुरा?

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