ग्राम सभा की आड़ में ग्राम प्रमुखों की मनमानी !

किसी भी समाज के आने वाले व्यक्ति, एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी।

समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था लागू की गई, इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी मदद से उत्पन्न समस्याओं को निपटारा किया जाता था। बाद में इसी आधार पर ग्राम पंचायत का उदय हुआ। देश में यह व्यवस्था कुछ स्थानों पर आज भी लागू है, इन्हीं व्यवस्थाओं से जुडी ख़बरों को खाप पंचायत का नाम दिया है। जिसका प्रभाव यदा-कदा देखने सुनने को मिल जाता है।

*सुनीता साहू।

गुरुर (बालोद) hct। अक्सर होता यह है कि शहर से लेकर गांव-देहात तक कोई भी व्यक्ति अपने घर के आसपास रिक्त जमीन को अस्थाई उपयोग के लिए कब्ज़ा कर लेते हैं। कुछ इसी तरह के विवाद ने ग्राम दीयाबाती को खाप पंचायत की श्रेणी में ला खड़ा किया है। विगत दिनों गुरुर ब्लॉक के ग्राम दीयाबाती में ग्राम प्रमुखों के ऊपर दबंगई और अवैध उगाही की बात सामने आने और उक्ताशय को लेकर एक पीड़ित महिला के द्वारा गुरुर थाना में शिकायत के बाद जिम्मेदारों की कदमताल ने इस छोटे से गांव को मीडिया की सुर्ख़ियो में ला दिया है।

मामला खाप पंचायत का तो नहीं..?

पीड़ित महिला के अनुसार कुछ लोगों ने गांव में जरुरत की दृष्टि से अवैध कब्जा किया हुआ है जिसमे उनका भी नाम शामिल है। मगर ग्राम प्रमुखों द्वारा बहुतों को डरा धमका कर उनके घर से लगे हुए जमीनों पर थोड़े बहुत अतिक्रमण के बदले अवैध रकम उगाही किया जा रहा है। इसी तरह पूर्व में भी उनके पति को भी इसी तरह से प्रताड़ित किया गया और उन्हें 10 हजार से 20 हजार तक की मांग की गई। डर के मारे उनके पति ने पांच हजार ग्राम प्रमुखों को दिया था। श्रीमती सरोज मेश्राम का कहना है ग्राम प्रमुखों द्वारा बहुत ज्यादा प्रताड़ित करने की वजह से उनके पति स्वर्गीय श्री रामनाथ जी को हार्ट अटैक आया है, अब उसे प्रताड़ित किया जा रहा है।ग्राम सभा की आड़ में ग्राम प्रमुख अपनी मनमानी कर रहे हैं। इसके बाद अकेली महिला को फिर से ग्राम प्रमुख प्रताड़ित कर रहे हैं और उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं। उन्हें गांव से निकाल देने, उनका काम छुड़वा देने की धमकी दी जा रही है। ग्राम सभा की आड़ में ग्राम प्रमुख अपनी मनमानी कर रहे हैं।

पुलिस और प्रशासन ने कसी कमर, होने लगा कदमताल

ग्राम प्रमुखों ने सिरे से ख़ारिज किया आरोप

मामले को तूल पकड़ता देख दिनांक 22/12/2022 को शासन पक्ष से तहसीलदारों ने कमर कसते हुए ग्राम पंचायत दर्रा में ग्राम प्रमुखों की बैठक बुलाकर उनसे मामले से जुड़े मुद्दे पर पूछताछ की गई जिसमें ग्राम प्रमुखों द्वारा बताया गया कि समिति फंड में जो राशि आती है उसका गांव में किसी भी परिवार में कोई भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर ग्राम विकास समिति द्वारा ₹1000 दिया जाता है साथ ही गांव में किसी भी गरीब परिवार इलाज के लिए आर्थिक व्यवस्था की जाती है। जबकि कुछ लोगों ने गांव में अवैध कब्जा किया हुआ है उनको अवैध कब्जा छोड़ने की बात कहने पर उनके द्वारा एक सहयोग राशि के रूप में स्वेच्छा से दिया जाता है।
किसी भी परिवार को किसी भी प्रकार का दबाव या प्रताड़ित अथवा किसी को भी गांव से बहिष्कृत करने जैसी कोई बात नहीं। बल्कि उनके पति स्वर्गीय श्री रामनाथ को 6 दिसंबर को हार्ट अटैक आया था जबकि ग्राम प्रमुखों ने एक मत से कहा कि ग्राम समिति की लास्ट बैठक 07 अक्टूबर 2022 को रखा गया था जिसमें स्वर्गीय स्वर्गीय रामनाथ मेश्राम भी आए हुए थे उन्होंने अवैध कब्जा जमीन के बदले सहयोग के रूप में 5000 सहयोग राशि ग्राम विकास समिति के फंड में जमा कराया था। ग्राम प्रमुखों के द्वारा उक्त सन्दर्भ में गुरुर थाने में उपस्थित होकर अपना बयान दिया गया।

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