भानुप्रतापपुर : सुनने में आया है कि सत्तारूढ़ दल के और बस्तर से चुने गए मंत्री कवासी लखमा, भानुप्रतापपुर उपचुनाव में उन्हीं आदिवासी मतदाताओं को चमकाते धमकाते नजर आए जिनके वोटों की बदौलत वे खुद विधायक और बाद में मंत्री बने।
उक्ताशय को लेकर बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार ने इस बाबत उन्हें ऐसा कहने से रोकने का भी प्रयास किया लेकिन उन्हें अपने मंत्री पद का गुमान होने के कारण वे उनसे भी उलझने लगे ऐसी भी चर्चा हलके में जबरदस्त है।
उपरोक्त तमाम जनचर्चाओं का नतीजा आने वाले चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकता है, क्योंकि भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस जीत तो हासिल कर ही रही है लेकिन जीत का अंतर 50 हजार हो सकता था; अब वही मुश्किल से 10 से 15 हजार में सिमट कर रह जाएगा जिसका ठीकरा इन्हीं के माथे फूटना अवश्यंभावी है।
इन्हीं के मद्दे नजर एक बड़ी खबर यह भी है जो भूपेश सरकार को बहुत बड़ा झटका भी मिलने वाला है *सूत्रों के मुताबिक राज्य प्रशासनिक अधिकारी और भूपेश बघेल सरकार की चहेती व चर्चित उप सचिव या यूं कहें कि तथाकथित डिप्टी सी एम सौम्या चौरसिया, आई ए एस अधिकारी रानू साहू को ईडी का जो सामना करना पड़ा, ठीक वैसे ही मंत्री कवासी लखमा को एनआईए के द्वारा पूछताछ के लिए कभी भी उपस्थित होना पड़ सकता है।

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