पहले के मड़ई मेलों में सजा खड़कड़िया हो या काट पत्ती में अंदर बाहर या फिर एक ओर कपड़े उठा–उठाकर चलता डांस तो बाजू में 1 का 2 की आवाज लगाकर चलता सूट साट वाली निशाने बाजी वाला जुआँ।
ये सब पुलिसिया दबाव से लगभग बन्द हुआ वरना छोटी छोटी करके बहुत बड़ी लगवाड़ी इसमे भी होती थी पर यह पैसा लोकल मार्केट में ही खेलता रहता था लोकल पुलिस का उसमे नियंत्रण होता ही था यह उस बुराई की छोटी सी अच्छाई भी थी।
गांव–गांव में जाकर देखिए मोबाइल पर रोज–रोज पैसा लगा कर रोज फायदा कमाने ( एक प्रकार का सट्टा) के चक्कर मे लोग पैसा लगा रहे। कितने आबाद और कितने बर्बाद हो रहे ये तो नही पता पर एक नशे के रूप में यह फैलते जा रहा इसी कारण ये डीमेट खाते खुल रहे। टिप्स देने के नाम पर कुछ दिमाग वाले लोगो को बहुत बड़ा बाजार मिल गया।
Start earning with Rs75.
Buy Stocks, Oil, Gold and Forex with Paytm, PhonePe.
Make your money work for you!— WeTrade (@WeTrade2022) July 7, 2022
पहले लाटरी को जिन कारणों से बन्द किया गया बस वैसे ही परिणाम कुछ समय बाद सामने आ सकते है। लगवाड़ी से नुकसान फिर उस नुकसान को कवर करने और लगवाड़ी फिर वो पुश्तेनी जमीन बेच कर हो या गहने बेच या फिर चोरी लूट करके।
दैनिक चिट पट का यह रूप अब रूप बदल इस रूप में आ रहा इसलिय्ये आनन फानन इतने खाते खुल गए। धंधा मंदा होने के बाद भी शेयर मार्केट कूद रहा। संभल जाए सरकार और ठोस उपाय करें, पर आम जनता और समाज के सभी वर्ग की चिंता किसे है ? जिनकी चिता है उन्हें दोनों हाथों से बटोरने के लिए खुल्ला छोड़ दिया गया है क्या कर्मचारी क्या किसान क्या बेरोजगार बढ़ती महंगाई और लविश लाइफ स्टाइल के चक्कर मे जमा पूंजी लुटाने में लगे है।
मार्केट में लांग टाइम इन्वेस्टमेंट में इतनी लगवाड़ी होती तो समझ मे भी आता पर यहां तो पर डे ओपन–क्लोज का नशा है। क्या ऐसे विश्वगुरु बनेगा भारत ? सवाल तो उठेगा ही।
क्योकि विपक्ष को इस बुराई को जनता और समाज के बीच ले जाकर जनजागृति फैलानी चाहिये पर ऐसे मसलों पर कोई बवाल नही सब चुप आखिर चुनावो के लिए चंदा आम जनता तो देगी नहीं राजनैतिक दलों को।
Ranjeet Bhonsle
mass media expert Raipur CG