खाद की किल्लत से जूझ रहे वनांचल के किसान, सहकारी समितियों का लगा रहे हैं चक्कर !

गरियाबंद / छुरा। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गरियाबंद जिले के छुरा विकास खण्ड के खड़मा सोसायटी के किसान खरीफ फसल के लिए इन दिनों खाद के लिए भटक रहे हैं। हालत यह है कि समितियों में न तो यूरिया है,ना ही सिंगल सुपर फास्फेट (राखड़) और ना ही डीएपी। किसानों की माने तो खरीफ का सीजन जब से चालू हुआ है तब से यही स्थिति बनी हुई है। धान की फसल के लिये इस समय खाद की अत्यंत आवश्यकता है। किन्तु सोसायटियों में खाद नहीं मिलने से ऊंचे दाम पर व्यापारियों से खाद खरीदने किसान मजबूर हैं।

 

मानसून आने के पहले ग्रमीण किसानों ने सौ फीसदी बोवनी कर दी है। अब बारिश होने के बाद किसान खाद के लिए सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसान खेती-किसानी छोड़कर सोसायटी में खाद के लिए भटक रहे हैं।

खड़मा सोसायटी में क्षेत्र के लगभग 12 गांव- खड़मा, कुरेकेरा, मड़ेली, करकरा, कोरासी, पीपरछेड़ी, गायडबरी, तालेसर,कुसुम पानी,बिहावझोला पंचायतों के 800 किसान जुड़े हैं। जो मुखत: खरीफ फसलों का उत्पादन लेते हैं। खरीफ सीजन में जीतनी आवश्यकता हैं, उतना खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है। फसल बोने के बाद अब किसान पोटाॖॅश, यूरिया, सुपरफास्पेट, और डी ए पी के लिए भटक रहे हैं।

आदिम-जाति सेवा सहकारी समिति के कर्मचारियों का कहना है कि जिला विपणन संघ को खाद की मांग की गई है। एक दो दिन में सोसायटी में खाद उपलब्ध हो जाएगा। कोई भी किसान वंचित नहीं रहेगा। आगामी सप्ताह में खाद आपूर्ति होने की संभावना है।

बरसात में धान की फसल ले रहे किसानों के समक्ष खाद को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। इन दिनों यूरिया, सुपरफास्पेट, डीएपी खाद की सख्त जरूरत है वहीं किसान जो अभी अभी धान रोपाई का काम किये है ,वे खाद के लिए भटक रहे हैं। आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों में खाद नहीं मिलने से किसान मजबूरी में ऊंचे दाम पर खाद खरीद रहे हैं। बाजार में डेढ़-दो सौ रुपए अधिक दाम पर किसान खाद खरीदने मजबूर हैं।

 

ग्राम मड़ेली के किसान पीला बाई साहू पति रामदयाल साहू एवं उनके पुत्र गेवर लाल साहू ने बताया कि दिनांक 12 जुलाई 2022 का परमिट जारी किया गया है 14 से 15 दिन हो गया हैं लेकिन अभी तक मुझे खाद नहीं मिला है, मैं रोज खाद के लिए सोसायटी का चक्कर लगा-लगा कर थक गई हूँ। सोसायटी में जाने पर खाद नहीं होने व आज- कल में आने की बात कही जाती है। लेकिन लगातार खाद की कमी बनी हुई है।

इस समिति का हाल बेहाल है। इस सहकारी समिति कार्यालय के प्रांगण में निर्बाध उग आयी खरपतवार इस बात का संकेत है कि यहां का प्रबंधन उचित नहीं है।किसानों को न तो यहां यूरिया, डीएपी मिला न ही सुपरफास्पेट मिल पा रहा है। कुप्रबंधन के चलते कृषक प्राइवेट खाद विक्रेताओं की मनमानी का शिकार हो रहे हैं।

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