गरियाबंद। छत्तीसगढ़ सरकार छूरा विकासखंड अंतर्गत मडेली खरखरा में किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। प्रावधान के अनुसार केनाल और उच्च गुणवत्ता स्ट्रक्चर निर्माण के लिये करोड़ों रुपये राशि की मंजूरी दी जाती है ,किन्तु अधिकारी और ठेकेदार के बीच इस राशि का बंदरबांट हो जाता है। सिंचाई के लिये यहाँ जल संसाधन विभाग द्वारा केनाल निर्माण किया गया है, जिसकी गुणवत्ता पर अब सवाल उठ रहे हैं। कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि इसकी शिकायत माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान दर्ज कराकर जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग करने की बात कह रहे हैं। बताया जा रहा है कि छूरा में केनाल एवं स्ट्रक्चर निर्माण जिस घटिया तरीके से किया गया है, उससे किसानों को शत प्रतिशत लाभ मिलना मुश्किल है। बिना समतलीकरण किये और हल्के मटेरियल से खड़ा किये गये स्ट्रक्चर में दरार पड़ रही है। ऐसे में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके इस निर्माण कार्य का लाभ चंद किसानों को भी ज्यादा दिनों तक मिलना मुश्किल है। जबकि किसानों के फसल उत्पादन में वृद्धि के लिये राज्य सरकार करोड़ों रुपये आंबटित कर रही है, किन्तु इस राशि का इस्तेमाल धरातल में बहुत कम देखने को मिलता है। उल्लेखनीय है कि छूरा विकासखंड अंतर्गत खरखरा – मडेली इलाके के सैकड़ों किसानों के हजार हेक्टेयर खेत में पानी पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा नहर के लिये करोड़ों रुपए स्वीकृति किया गया है। जिसमें स्टीमेट के अनुरूप नहर बनाकर गुणवत्तापूर्ण स्ट्रक्चर के सहारे खेतों में पानी दिया जा सके। किन्तु अफसोस की बात ये है कि उक्त नहर कार्य बिल्कुल भी प्रावधान के तहत नहीं हो पाया। हल्के मटेरियल से स्ट्रक्चर निर्माण की वजह से अभी से दरार के अलावा टूटने की स्थिति बन रही है।
अधीक्षण अभियंता की निगरानी में जांच की मांग
जिले के कुछ जागरूक जनप्रतिनिधि इस गुणवत्ताहीन कार्य पर आपत्ति दर्ज कराते जांच की मांग करने की मंशा बना रहे हैं। कुछ लोगों ने बताया कि इस मामले को लेकर पहले शिकायत की गई थी, जिस पर आज पर्यंत कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। लेकिन अब पत्र के माध्यम से सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर से शिकायत कर जांच की मांग की जायेगी, जिससे राज्य सरकार की मंशा को पूरा करते शत प्रतिशत किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके। इसके अलावा नहर एवं स्ट्रक्चर कार्य गुनवत्तापूर्वक कराया जाये ,क्योंकि पखवाड़े भर पहले कराये गये कार्यो की पोल अभी से खुल रही है।
राशि रोकने की मांग
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दुर्भाग्य की बात तो यह है कि गुणवत्ताहीन कार्य आईने की तरह साफ हो चुका है, इसके बावजूद इंजीनियर द्वारा मूल्यांकन एवं एसडीओ द्वारा सत्यापित करते जिला कार्यालय में बिल पुटअप करना, अधिकारी और ठेकेदार के बीच सांठ गांठ की ओर इशारा करता है। शायद यही वजह है कि वर्तमान में नवपदस्थ कार्यपालन अभियंता से इस कार्य की बचत राशि रोकने की मांग किया जा रहा है, ताकि गुणवत्ताहीन कार्य को सुधारा जा सके।