फर्जी पत्रकार की पोल खुलने से भूल गया अपनी औकात !

“लबादा में लिपटा हर व्यक्ति मक्कार ही होता है।”

ध्यान से इस वीडियो को देखिए, एक फर्जी पत्रकार को भयादोहन कर अवैध वसूली के चलते आक्रोशित ग्रामीणों ने इसकी कैसी अवभगत किया है। बताया जा रहा है कि एक अपंजीकृत वेब पोर्टल में खुद को पत्रकार बताकर शासकीय कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों का भयादोहन कर अवैध वसुलीकर्ता, सरेआम ग्रामीणों से मार खाने वाला लबादे में लिपटा यह शख्स, बालोद जिला के गुरुर जनपद के तहत ग्राम परसुली निवासी विनोद नेताम है।

रायपुर hct : बालोद जिला अंतर्गत गुरुर तहसील के तहत ग्राम परसुली निवासी विनोद नेताम; किसी समय में एक-एक रुपयों के लिए मोहताज, थोड़े से ज्ञान अर्जन के सहारे छोटा मोटा काम करते हुए अचानक ग्राम फागुनदाह के एक युवा छात्र नेता पूनम साहू की कृपादृष्टि से पत्रकारों के संपर्क में आया और अपने अल्प ज्ञान के चलते जैसा कि अमूमन 75% तथाकथित पत्रकार कॉपी-पेस्ट के जरिए अपनी दुकानदारी चला रहे हैं ये भी उसी रास्ते से खुद को पत्रकार की श्रेणी में ला खड़ा किया।

उक्त कॉपी-पेस्ट मास्टर द्वारा लिखित; दो चार समाचारों से प्रभावित होकर अपने बालोद प्रवास के दौरान पूनम साहू के ही माध्यम से इस नामुराद से “हाईवे क्राइम टाइम” के सम्पादक की मुलाकात हुई और इसके शब्दों में ढली लाचार हिंदी को “अहिल्या का राम मिल गया” जिसके माध्यम से इसने अपना नाम कमाया। मगर नाम के शोहरत ने इसके मन में लालच भर दिया और यहीं से इसकी जिंदगी में परिवर्तन आना चालू हो गया…

पत्रकारिता का भय दिखाकर करता है ब्लैकमेल।

समाचारों के मार्फ़त इसने शासकीय कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों का भयादोहन करना प्रारंभ कर दिया। दिनों-दिन इसका हौसला बढ़ता गया और फिर इसने गांजा सप्लायरों, खाईवाल, पंचायतों में पदस्थ इंजीनियरों, सचिवों को भी ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उसके इन तमाम गतिविधियों को लेकर पीड़ितों ने इसकी शिकायत समाचार पत्र संस्थान को सीधे तौर पर करने लगे जिसके मय प्रमाण उपरोक्त वीडियो के वायरल होने के बाद “हाईवे क्राइम टाइम” के सम्पादक ने तत्काल संज्ञान लेते हुए इसे अपने अखबार से बाइज्जत निकाल बाहर कर दिया है; जिससे क्षुब्ध होकर यह शातिर शख्स अपनी दुष्कर्मों से बाज नहीं आया और …

“गब्बर” ने कभी किसी को नहीं बख्शा

खुद को “गब्बर” के नाम से प्रचारित कर रुदबा झाड़ने वाला यह गोबरचोता, लोगों को डरा धमकाकर पत्रकारिता का लबादा ओढ़े गब्बर तो क्या “गोबर” भी नहीं है। यह तो “मुर्गी का वो लीद है; जिससे ना लिपाई किया जा सकता है और ना थोपकर कंडे बनाए जा सकता है।

आदिवासी होने का उठाता है फायदा
एसटी / एससी मामले में फंसा देने का देता है धौंस।

इसने हाईवे क्राइम टाइम के सम्पादक से भी 50 हजार रूपए की मांग किया था और नहीं दिए जाने पर विभिन्न प्रकरण में फसाने की धमकी देने के साथ–साथ बदनाम करने का भी धमकी दिया है। जिससे संबंधित राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती थाना में इसकी शिकायत दर्ज की जा चुकी है;

साथ ही बालोद एसपी को भी शिकायत की एक प्रति “स्पीड पोस्ट” के माध्यम से प्रेषित किया जा चुका है, इसके अलावा गुरूर थाना प्रभारी, भानु प्रताप जी को भी उनके व्हाट्सएप पर शिकायत की प्रति पोस्ट किया जा गया है…

मैं आभार करता हूँ बालोद जिला के उन तमाम पत्रकारों का जिन्होंने सच का साथ देने के लिए हौसला अफजाई करते हुए कहा है कि – “प्रदेश पत्रकार यूनियन बालोद जिला के तरफ से निष्पक्ष रूप से मेरी बात को महत्त्व देते हुए मेरे साथ निभाने का मुझे आश्वासन दिया है।” साथ ही जिला जनसम्पर्क अधिकारी से मेरी गुजारिश है कि वर्तमान में यह शख्स जिस बैनर के लिए काम कर रहा है उसकी पंजीयन अथवा सूचना प्रसारण मंत्रालय से जारी होने वाली आरएनआई नम्बर की जाँच करते हुए गलत अथवा अपंजीकृत पाए जाने पर नियमानुसार सख्त से सख्त कार्रवाई करते हुए ऐसे तमाम वेब पोर्टल पर अंकुश लगाया जावे ताकि पत्रकारिता के गिरते अवमूल्यों को बचाया जा सके।

 

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