शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन ये प्रत्येक सरकार की पहली जिम्मेदारी है। इसी के मद्देनजर शिक्षा के क्षेत्र में भूपेश बघेल सरकार ने एक पहल की है और समूचे छत्तीसगढ़ प्रदेश में 50 नए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम की स्कूल शुरू करने जा रही है। अवगत हो कि प्रदेश में अभी ऐसे 171 स्कूल संचालित हैं। आप सभी को पता होगा कि माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों “सरकार के भेंट-मुलाकात” कार्यक्रम के तहत बलरामपुर जिला के प्रवास के दौरान राजपुर में मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम ने छात्र-छात्राओं से बड़ा वादा किया. सीएम भूपेश ने कहा कि 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले जिले के छात्रों को सरकार हेलीकॉप्टर राइडिंग कराएगी. बच्चों को सरकार के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सरकार का यह कदम सराहनीय है लेकिन महासमुंद जिला से सोशल मीडिया में तैरती यह खबर चौकाने वाली है।
मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel
से आज रात स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल राजपुर के बच्चों के अभिभावकों ने मुलाकात की और स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता की प्रंशसा की। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि शिक्षा गुणवत्ता से समझौता नही होगा। अभिभावकों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। pic.twitter.com/XYGuVrmAoS— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) May 4, 2022
महासमुंद के मॉडल स्कूल, स्वामी आत्मानंद स्कूल में 9वीं और 11वीं कक्षा के 50 प्रतिशत बच्चे फेल हो गये हैं। पूरे प्रदेश में मॉडल स्कूल के रूप में देखे जाने वाले इस स्कूल में 50 प्रतिशत बच्चों के फेल हो जाने से बच्चों की पढा़ई किस तरह से हुई है यह सामने आ गया है। बच्चों के फेल होने के बाद से पालकों के बीच में हडक़म्प मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी स्कूल में बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा देने के लिए पूरे प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूल की शुरूआत की है लेकिन प्रारंभिक दौर में ही कमियां और खामियां नजर आने लगी है।
शिक्षक और पालक आमने-सामने
स्वामी आत्मनंद के शिक्षकों का कहना है कि जिन बच्चों ने मेहनत नहीं किया वह बच्चे फैल हुए है और जिन्होंने मेहनत की वह पास हो गये हैं। वहीं पालकों का कहना है कि जब बच्चे इतने कमजोर थे तो साल भर शिक्षक क्या कर रहे थे। इस दिशा में प्रयास क्यों नहीं किया गया।
हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ शासन ने सभी बच्चों को स्कूल में शिक्षा मिले इसके लिए कक्षा पहली से 8 वीं तक के बच्चों को पास करने का नियम बना दिया है। वहीं पिछले दो साल से कोरोना काल के चलते बच्चों की पढ़ाई स्कूलों में ठीक से नहीं हो पाई है। वहीं पालकों ने इस विषय पर कभी ध्यान नहीं दिया कि बच्चे आनलाईन पढ़ाई कर रहे हैं के नहीं। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कराने वाले शिक्षकों ने भी कभी यह नहीं देखा कि कितने बच्चे है जो आनलाईन पढ़ाई कर रहे हैं।
अब जब नतीजा सामने आया है जिसमें 50 प्रतिशत बच्चे फैल हो गये हैं। कक्षा नवमी में 40 छात्र-छात्राएं थे जिसमें से 20 बच्चे पास हुए, 12 बच्चे फेल और 8 सप्लीमेंट्री आये हैं। वहीं 11वीं कक्षा के बायोलॉजी में 40 बच्चे जिसमें 16 बच्चे पास, 11 फेल और 13 पूरक हैं। 11 वीं गणित में 18 छात्र-छात्राएं है जिसमें 8 पास हुए, 8 फेल और 2 स्पलीमेंट्री, वहीं 11वीं कामर्स में 39 छात्र-छात्राएं है जिसमें 20 पास और 19 फेल हो गये है। बच्चों के इस तरह के रिजल्र्ट से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश में मॉडल स्कूल कहने जाने वाले इस इंगिलश मीडियम स्कूल की क्या दशा है।
स्वामी आत्मानंद स्कूल के 9वीं और 11वीं के बच्चों के इतने बड़े तादात में फ़ैल होने से सरकार द्वारा चलाई जाने वाली शिक्षा योजना की पोल खुल गई है। बेस लाईन सर्वे के अनुसार 35 प्रतिशत बच्चे उस योग्य नहीं है जिस योग्य उन्हें होने चाहिए। जो विद्यार्थी 11 क्लास में है उनकी आई क्यू लेबल 8 कक्षा के बच्चों के बराबर है। सर्वे के मुताबिक ही देखा जाय तो वर्तमान समय में जो शिक्षा दी जा रही है वह काफी नहीं है। अब तक इंवेस्टीगेशन में जो सामने तथ्य निकल कर आ रहे हैं वह यह है कि जो शिक्षक अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा रहे हैं उन्हें ट्रेनिंग की आवश्यकता है। वहीं जो बच्चे के बौध्दिक स्तर को देखे बिना हर वर्ष पास करने की जो परंपरा बना दी गई है वहीं इस शिक्षा स्तर के लिये जिम्मेदार माने जा रहे ।
स्वामी आत्मनंद स्कूल में जब बच्चों की भर्ती लाट्री सिस्टम से किया जा रहा है। स्कूल में बच्चों को भर्ती करने से पहले उनकी बौध्दिक क्षमता की परख नहीं की जा रही है। इसके अलावा जो शिक्षक स्वामी आत्मनंद स्कूल में शिक्षक है उसमें ज्यादातर लोग हिन्दी माध्यम में पढ़ाई किये हुए है जिन्हें इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कराने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं दी गई है।
ना आत्मा है और ना आनंद
केवल महासमुंद नहीं, ज्यादातर आत्मानंद स्कूलों का वही हाल होने वाला है जो गौठानों का हुआ है। इसमें ज्यादातर टीचर्स का चयन तो जुगाड़ से हुआ है और यहाँ प्रवेश भी उन्हीं का हो रहा है जिनका जुगाड़ है। ये दोनों ही सम्बन्ध घातक है। infrastructure वहाँ का शानदार है इसमें कोई शंका न है। लेकिन किसी स्कूल में शिक्षा का स्तर कितना अच्छा होगा ये वहाँ के स्टूडेंट्स और शिक्षकों पे निर्भर करता है। जवाहर नवोदय विद्यालय JNV में स्टूडेंट्स कम्पटीशन फाइट करके जाते हैं और शिक्षक भी ईमानदारी से चयनित होते हैं इसलिए उनका स्तर इतना अच्छा है।
आत्मानंद में तो एडमिशन लेने वाले कई बच्चों को इंग्लिश का एक वाक्य भी लिखना भी नहीं आता है। लेकिन जुगाड़ से सबका प्रवेश हो गया है। वैसे ये रिसोर्सेज के डिस्ट्रीब्यूशन में अन्याय का भी मामला बनता है। आत्मानंद के बच्चों ने ऐसा क्या महान काम किया है जो उन्हें इतनी अधिक सुविधाएँ दी जाए? जेे एन व्ही के बच्चे तो प्रवेश परीक्षा में प्रतिभागी होकर करके आते हैं।
आत्मानन्द में या तो किस्मत चल जाए या फिर जुगाड़ लग जाए, यही 2 तरीके हैं सेलेक्ट होने के। हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूलों में 1 ro के रिपेयर के लिए फंड्स का मुँह ताकना पड़ता है और आत्मानन्द पे करोड़ो लुटाए जा रहे हैं। ideally 1 entrance एग्जाम ले के बच्चों का सिलेक्शन करना था यहाँ तब कुछ अच्छा होने के चान्सेस होते। लेकिन अब इनका बुरा हाल होना लगभग तय हो चुका है।
