बालोद hct : जिला के राजनीतिक रण क्षेत्र के रूप में विख्यात मां खारून की पवित्र धरा पर स्थित गुरूर शहर जो कि 78 ग्राम पंचायतों का मुख्य केंद्र बिन्दु अर्थात जनपद पंचायत गुरूर का विकासखंड मुख्यालय है। क्षेत्र के राजनीतिक विचारधारा के अग्रणी रहे राजनेताओं की योगदान के बदौलत लोग इस क्षेत्र को जिला के राजनीतिक रण क्षेत्र के रूप में पहचाने है। इस जनपद क्षेत्र में रहने वाले लोगों की एक और खासियत है कि; यहां लोग राजनीतिक व्यक्तिविचारधारा को समझते हुए अपना जनप्रतिनिधि का चयन करते हैं, यानी कि धरातल में मजबूती से कार्य करने वाले लोगों को।
बहरहाल इन दिनों जिला में जबदस्त तरीके से छत्तीसगढ़ राज्य की महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी धरातल पर संचालित हो रही है इसमें कोई संदेह नहीं है और गुरूर जनपद पंचायत क्षेत्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को पूर्ण रूप से फलीभूत करने में भीषण गर्मी के बावजूद इन दिनों भारी मशक्कत कर रही है। हालांकि इस बख्त जनपद पंचायत क्षेत्र के ज्यादातर मनरेगा, संविदाकर्मी हड़ताल पर है, ऐसे में गुरूर जनपद सीईओ (मुख्य कार्य पालन अधिकारी ) राजेंद्र पटौदी अपने तय काम को पूरा करने हेतू अगल पहचाने जाते है।
गुरूर जनपद क्षेत्र के गौठानो में इन दिनों जबदस्त हरियाली नजर आ रही है और यह सब संभव हुआ है सीईओ साहब की मजबूत इच्छाशक्ति से जनपद पंचायत गुरूर व गुरूर विकासखंड क्षेत्र के प्रायः प्रायः सभी ग्राम पंचायतों को छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के अनुरूप बनाने हेतू ग्राम पंचायत स्तर से लेकर आम जनता का सहयोग के साथ गुरूर जनपद पंचायत के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का भरपूर साथ मिला हुआ है। परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना इस वक्त क्षेत्र में तेजी के साथ विस्तार होने की दिशा में अग्रसर है।

विदित हो कि इतना बेहतरीन हार्ड वर्क को बेहतरीन तरीके से सफलतापूर्वक संचालित करने वाले जनपद पंचायत के अधिकारियों पर हमने कुछ खबर प्रकाशित कर यह अवगत कराने का प्रयास किया था, कि आम जनता जनपद पंचायत गुरूर पर उठाई गई सवाल पर गंभीर है और क्षेत्र की जनता यह जानने का अधिकार रखती है कि उनकी पंचायत के मुख्य केंद्र बिन्दु में आखिर चल क्या रहा है।
कार्यालय सहित समस्त 78 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी को सम्हालने हेतू जनता द्वारा चुने गए ज्यादातर क्षेत्र के जनप्रतिनिधी अपनी केबिन तक में उपस्थित ही नहीं रहते हैं, ऐसे में क्षेत्र की आम जनता को जनप्रतिनिधी विहिन जनता होने का आभास होना लाजमी है, वैसे भी देखा जाए तो पुराने जमाने की सोच पंचायती राज व्यवस्था को लेकर आज के मुकाबले बेहतर हुआ करती थी जिसकी चर्चा महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने पंच परमेश्वर नामक एक कहानी के माध्यम से समाज को पंचायत का महत्व समझाने का प्रयास किया, लेकिन आज के वर्तमान युग में पंचायती राज व्यवस्था में प्रसेंट कंही से आ कर इस व्यवस्था को अंदर अंदर खोखला कर रही है। हमें हमारे बिगड़ती हुई सभी व्यवस्थाओं की ओर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए और शासन और प्रशासन को जानकारी देना चाहिए ताकि हम सब मिलकर पंचायती राज व्यवस्था की नींव को ईमानदारी से और अधिक मजबूत कर सकें।
