गरियाबंद।शिवसेना छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रमुख धनंजय सिंह परिहार के आदेशानुसार , शिवसेना गरियाबंद जिला अध्यक्ष मुकेश पांडे तथा अन्य शिवसैनिकों द्वारा मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के नाम ध्वनि प्रदूषण रोकने कलेक्टर गरियाबंद को ज्ञापन सौंपा गया है।
सौपें गये ज्ञापन के अनुसार उच्च न्यायालय नई दिल्ली के आदेशानुसार देश में न्यूनतम स्तर पर लाउडस्पीकर चलाने का निर्णय पारित किया गया है जिसका पालन छत्तीसगढ़ राज्य एवं जिला गरियाबंद में नहीं किया जा रहा है, जिसे दृष्टिगत रखते हुए जिला अध्यक्ष मुकेश पांडे द्वारा ज्ञापन के माध्यम से पूरे जिले में ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। शिवसैनिकों का मानना है कि ध्वनि विस्तारक यंत्रो पर तय मानकों के आधार पर प्रतिबंध लगाकर, प्रदेश एवं जिले में धार्मिक सौहार्द एवं शांति स्थापित की जा सकेगी । इस मामले को लेकर ज्ञापन सौपने वालो में प्रमुख रूप से शिवसेना जिलाध्यक्ष मुकेश पाण्डेय कामगार प्रदेश प्रमुख भैया लाल द्विवेदी , जिला उपाध्यक्ष अशोक जगत जिला उपाध्यक्ष विष्णु साहू जिला महासचिव गोकुल पटेल उमेश पटेल संतोष वीरेंद्र यादव नीरज सेन बिट्टू साहू नीरज निर्मलकर हरक सिन्हा आदि उपस्थित रहे।
लाउड स्पीकर है इस समय चर्चित मुद्दा
पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग राज्यों के विभिन्न समुदायों के धार्मिक स्थलों में लगाये गये लाउडस्पीकरों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। धार्मिक स्थलों या अलग-अलग कार्यक्रमों में बजने वाले लाउडस्पीकर को लेकर बकायदा कानून बना हुआ है। कानून के जानकारों का कहना है कि पूरे देश में आज तक कभी भी लाउडस्पीकर के मामले में कानून का पालन किया ही नहीं गया। फिलहाल इस वक्त देश में एक बार फिर से सभी राज्य ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के तहत तय किये गये कानून का पालन कराने के लिए नई गाइडलाइन तैयार कर रहे हैं। जबकि कानून के जानकारों का कहना है कि 1998 में आये कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले से अगर राज्य सरकारें सीख ले लेतीं, तो शायद आज ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक शोर नहीं
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु नारायण कहते हैं कि सन 1998 में कोलकाता उच्च न्यायालयका निर्णय ध्वनि प्रदूषण नियम के तहत आया था। उसमें कहा गया था कि 10 डेसिबिल से ज्यादा की आवाज के साथ कोई भी व्यक्ति या संस्था बगैर अनुमति के लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण नहीं कर सकता। वह कहते हैं कि इसके बाद सन 2000 में ‘चर्च ऑफ गॉड बनाम केकेआर मैजिस्टिक’ के तहत भी एक फैसला आया था, जिसमें रात को 10 बजे के बाद से लेकर सुबह 6 बजे तक किसी भी तरह का ध्वनि प्रदूषण न करने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में सेक्शन 5 के तहत जिम्मेदार अधिकारी से अनुमति लेने के बाद ही रात दस बजे से रात को 12 बजे तक एक तय डेसिबिल की अनुमति दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु नारायण कहते हैं कि सिर्फ यही दो नियम नहीं, बल्कि इसके अलावा भी और कई अलग-अलग उच्च न्यायालय के आदेश आये हैं, जिसके तहत स्पष्ट रूप से आदेशित किया गया है कि धार्मिक स्थलों या कार्यक्रमों से बगैर अनुमति के लाउडस्पीकर से आवाज नहीं आनी चाहिये।