मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र पाटन में गरीबों के घरों पर चला है बुलडोजर !
खामोश क्यों हैं मुखिया जी ?
दुर्ग hct desk। कॉन्फिडेंस (confidence = आत्मविश्वास) किसी भी इंसान के लिए अच्छी बात है, लेकिन ओव्हर कॉन्फिडेंस (overconfidence = अतिआत्मविश्वास) बेहद नुकसानदायक है। वैसे इन दिनों ओव्हर कॉन्फिडेंस का शिकार छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया भूपेश बघेल भी हो चुके हैं ! यह बात हम अपनी ओर से नहीं कह रहे है, बल्कि यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृहग्राम गब्दी से महज कुछ किलोमीटर दूर में स्थित ग्राम करेला के 33 परिवार कह रहे है।
दर्जनों परिवार हैं प्रभावित सुधि लेने वाला कोई नहीं
दरअसल ग्राम पंचायत करेला में वर्ष 2018 में सड़क निर्माण के तहत चौड़ीकरण का कार्य हुआ था, जिसमें ग्राम पंचायत करेला में निवासरत लगभग 50 मकान को सड़क चौड़ीकरण हेतू तोड़ दिया गया था। उक्त 50 परिवारों में से 12 परिवार के लोगों को शासन की ओर से मुआवजा राशि प्रदान किया गया है, जबकि 33 परिवार वाले लोगों को झूठा आश्वासन देकर इनके मकानों को तोड़ दिया गया है।
ग्राम करेला में निवासरत 33 परिवार; जिनका मकान सड़क चौड़ीकरण हेतू तोड़ दिया गया है, उनके रहने; गुजर-बसर करने हेतू छत नहीं है जिसके चलते इन परिवारों का जीवन बेहद तकलीफदेह में गुजर रही है, जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी ने हर परिवार के साथ न्याय की बात कहते हुए उनसे हाथ जोड़कर वोट मांगा था। चुनाव जीतने व सत्ता हासिल कर लेने के बाद उन्हें न्याय की जगह अन्याय से रूबरू होना पड़ रहा है।
नहीं मिला मुआवजा…!
मकान ढहने के बाद पीड़ित परिवार, मुआवजा राशि हेतू लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन में इन पीड़ित परिवारों की सुनने वाला कोई नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों प्रदेश के 90 विधानसभाओ की दौरा करने वाले है; जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर दिया है।
“90 विधानसभाओ की दौरा शुरू करने से पहले खराब परफारमेंस देने वाले विधायकों को आईना दिखाते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खरी-खरी सुनाई तो वहीं सूबे के प्रधान के विधानसभा अंतर्गत करेला में निवासरत 33 पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की परफारमेंस को लेकर आईना दिखाते हुए कहा है – “यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन विधानसभा की जनता का हक छिनकर विकास की दिशा में लेकर जाना चाहते हैं तो यह उनकी गलतफहमी है।”
अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री ग्राम करेला के 33 परिवारों की गुहार कब तक सुनते हैं या फिरअनसुना करते हैं।
