बालोद hct : छत्तीसगढ़ ऐसा एकलौता राज्य है जहां धान की फसल को लेकर राज्य की राजनीतिक सरगर्मियों का अपना ही एक अलग जलवा होता है। “धान का कटोरा” के नाम से विख्यात छत्तीसगढ़ की धरा पर हर वर्ष धान की बम्फर पैदावार होती है और इतनी पैदावार होती है कि हमारे सिस्टम को होश तक नही रहता है। प्रति वर्ष धान को किसानों से खरीदने के बाद मिलरो के द्वारा उठाव की जरूरत होती है। इस वर्ष भी सरकार ने जिला प्रशासन के माध्यम से जिला के समस्त सेवा सरकारी समितियों के संचालन की जिम्मेदारी संभालने वालों को विगत 20 दिनों पहले तीन दिन के भीतर धान उठाव का आदेश दिया जा चूका है लेकिन भर्राशाही और कमीशनखोरी का आलम यह कि तीन दिन तो क्या आज दिनांक तक दर्रा सोसायटी में धान का उठाव नहीं हो रहा है !
जिला कलेक्टर महोदय के द्वारा जारी आदेश के बाद भी जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र के दर्रा सेवा सहकारी समिति में 2300 क्विंटल धान का उठाव नहीं हो पाया है। जिसके चलते सैकड़ों क्विंटल धान अब भी बाहर पड़े हुए हैं। संबंधित सेवा समिति के सहायक प्रबंधक मालवंत साहू ने मामले में जो जानकारी हमें प्रदान की है, उसे आप सभी के मध्य हम रख रहे है आप स्वयं सुनिए…
सेवा सहकारी समिति दर्रा के सहायक समिति प्रबंधक मालवंत साहू की यह विडियो और स्वयं विचार कीजिए जब एक सहायक समिति प्रबंधक सिस्टम की व्यवस्था के आगे मजबूर हो मानसिक प्रताड़ना का सामना कर रहा है, जबकि उन्होंने सैकड़ों किसानों का धान खरीदी कर सरकार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी को निभाने की भरपूर कोशिश की है तो एक किसान जिसे कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद में ढंग की खाद नहीं मिल पाता है फसल में डालने वाली दवाईयां ज्यादातर नकली ऊपर से बेमौसम बारिश गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम परसुली के धान कोचिया की लूट इन सब के बाद किसान आखिर जाए तो जाए कहाँ ? ईमानदारी से निभाने के बाद यदि मालवंत साहू क्या करूं की स्थिति में है उसके जिम्मेदार हम भी किसी ना किसी रूप में है…
