लॉक अप में चौथे स्तंभ का चीर हरण। नंगा हो चुका लोकतंत्र …

किसी की बच्ची पूछती है कि “पापा, तुम्हारे कपड़े क्यों उतारे गए ? तो;
किसी की “बच्ची रात भर अपने पिता के चीखें सुनती रही”…

महज कुछ ही दिन पहले मध्य प्रदेश के सीधी जिला में तकरीबन दर्जन भर लोगों को निर्वस्त्र थाने में बैठा दिया गया था उनमे से कोई कैमरामैन था तो कोई रंगकर्मी, कोई आईटीआई कार्यकर्ता था तो कोई एक कांग्रेस का छुटभैया भी था और था तो उसमे एक पत्रकार भी। उनका दोष क्या था और उन्हें नग्न क्यों किया गया, यह बताने की जरुरत तो नहीं फिर भी यहाँ उस बात का जिक्र करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि पत्रकारों के साथ जो कश्मीर में हो रहा था / है वही अब देश अन्य राज्यों में हो रहा है और कश्मीर के बाद तो हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश का ही नम्बर आता है। खैर …

मैंने ऊपर लिखा है कि जिन्हें उठाया गया था; उनमें पत्रकार भी शामिल था / है और सीधी की दास्तां यह कि, जिला के एक विधायक हैं नाम है “केदारनाथ शुक्ला” जिस दिन की यह घटना है, उस दिन “विधायक” शुक्ला के खिलाफ कुछ लोग धरना दे रहे थे। जिसकी खबर को मूलरूप देने पत्रकार कनिष्क तिवारी अपने कैमरामैन के साथ कवर करने गया था। यहीं ‘विधायक मुर्दाबाद’ के नारे लग गए। केदारनाथ को लगा कि वहां मौजूद पत्रकार इसको प्रचारित करेगा। इसलिए उसने उसे भी थाने में बंद करा दिया।

जानकारी के मुताबिक;  विधायक उक्त पत्रकार से पहले से ही खार खाते हैं। कारण, विधायक महोदय एक फर्जी नर्सिंग कॉलेज चलाते थे, जिसको पत्रकार कनिष्क तिवारी ने दिखाया था, जिसके बाद विधायक का कॉलेज बंद हो गया। कनिष्क बताते हैं – “थाना में उनको पीटा गया, उसके सिर के आधे बाल उखाड़ दिए गए। इतना जुल्म कि सहन करना मुश्किल था। जो पुलिस वाला आ रहा था, मार रहा था। हमें बोलने की इजाजत नहीं थी। जाते ही हमारे कपड़े उतार दिए गए थे, अठारह घंटे हम बिना कपड़े के रहे हैं। विधायक के गुंडे थाने तक आ गए थे, वहां भी उन्होंने धमकी दी।”

अवगत हों कि कनिष्क अब अपना घर छोड़ चुका है। क्योंकि पुलिस वाले ने उसे बताया था, तुम पर कई धाराएं लगाई जा सकती हैं। उसने मीडिया को बताया कि मैं बहुत डरा हुआ हूं, घर से दूर हूं, कुछ भी हो सकता है। जिस तरह से मुझे पकड़ा गया था, ऐसा लग रहा था, जिंदा नहीं छोड़ा जाएगा।

कपड़े उतारना तो छोटी बात है, जान से मारने की तैयारी थी। हमारे वकील के साथ बदसलूकी की गई और जब मेडिकल के लिए भेजा गया तो पुलिस के जत्थे साथ थे, ताकि हम कह ना सकें कि हमें मारा गया है। मेरी दस साल की बच्ची मुझसे पूछ रही है- आपके कपड़े किसने उतारे और इस तरह का फोटो क्यों लिया गया है। मैं उसे क्या जवाब दूं? मैं अंदर से टूट चुका हूं, मेरे पास लफ्ज नहीं हैं। मेरा कसूर क्या था, सिर्फ यही ना कि जो सच था, वो दिखाया है। यह बयां करते तिवारी की आवाज लड़खड़ाने लगती है।

बस कुछ ऐसी ही दास्तां है छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर के एक स्वतंत्र पत्रकार जितेंद्र जायसवाल की। जितेंद्र जायसवाल यूट्यूब और डिजिटल प्रिंट के पत्रकार हैं। अब इसका गुनाह क्या था ? इस खबर से अंदाजा लगा लीजिए आखिरकार ये कैसे पुलिस के हत्थे चढ़ा। इस पत्रकार के खिलाफ जिसने आवेदन दिया है उसका नाम है जितेंद्र सोनी जो कैनविज मल्टी लेवल मार्केटिंग ( चीट–फंड ) का काम करता है और इस कंपनी के खिलाफ पूरे देश में धोखाधड़ी का केस दर्ज है, उसने शिकायत की है जिसके आधार पर पत्रकार जितेंद्र जायसवाल को पुलिस ने थाने में रख के पीटा है और आवेदन मांगने के लिए प्रयास में जुटी हैं क्योंकि इस पत्रकार ने अपने खबरों से धनिया बो रखी थी। बहुतों को जेल भेजवाया है, बहुतों की दलाली बंद करवा दी है।

जब इस मामले में स्थानीय पत्रकार थाने पहुंचे तो देखा आरोपी बनाए गए पत्रकार की पत्नी अपनी छोटी बेटी के साथ घंटो से थाने के कर्मचारियों से प्रार्थना कर रही है। लेकिन उन्हें उनके पति से नहीं मिलने दिया गया एवं पत्रकारों के सामने एक पुलिसकर्मी के द्वारा यह कहा गया कि “सुबह तक तुम्हारा पति जिंदा रहा तो मिल लेना..” उनकी पत्नी प्रिया को मानसिक प्रताड़ित करने के साथ ही जितेन्द्र की पिटाई भी पुलिस वाले करने लगे। कोर्ट में पत्रकार जितेन्द्र ने माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट को बयान दिया कि उसे लुंड्रा थाना प्रभारी दिलबाग सिंह एवं सरगुजा एसपी तुकाराम कांबले के द्वारा लॉकअप में पीटा गया था एवं उसके दाहिने कान में सुनाई नहीं दे रहा था तथा बाएं हाथ पर चोट के निशान थे।

यह बता दें कि प्रदेश में एक बहुचर्चित “पंकज बेक” हत्याकांड के आरोपी विनीत दुबे (थाना प्रभारी : गुढ़ियारी, रायपुर), प्रियेश जॉन, मनीष यादव सहित अन्य खुन्नस खाई पुलिस और सच से नफ़रत करने वाले जनप्रतिनिधियों के इशारे पर अपराधियों से मिलीभगत, फर्जी प्रकरण; हिरासत में हत्या जैसे मामलों में पुलिस के खिलाफ लिख रहे हैं जितेंद्र जायसवाल की गिरफ्तारी सुनियोजित है।
ये हैं पत्रकार जितेंद्र जायसवाल की खबरें जिसकी वजह से रात भर थाने में मारे गए पत्रकार महोदय और उनकी पत्नी छोटी बच्ची अपने पिता के चीखें सुनती रही…

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