गरियाबंद। नगर पालिका परिषद गरियाबंद में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खुलती देख दुर्ग के अधिवक्ता व पत्रकार के विरुद्ध कुछ महिलाओं ने अनर्गल आरोप लगाये है। जबकि इनमें से ही एक महिला के विरुद्ध कार्यालय कलेक्टर शिकायत शाखा में जांच लंबित है। अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को भड़काकर साथ सम्मिलित किया गया है।
विदित हो की शासन प्रशासन को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाकर एक एनजीओ को अवैधानिक लाभ पहुँचाने के लिए तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी तथा कैशियर श्रीमती सपना मिश्रा के विरुद्ध सचिन ताम्रकार द्वारा जांच की मांग की गई है। मामला लंबित है जिससे बचने महिला कानून का सहारा लिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य मामलों में भी सचिन ताम्रकार के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी जुटाई जा रही है। भरष्टाचार से पर्दा उठता देख कतिपय भृष्टाचारी महिलाओं को आगे कर रहे हैं।
सूचना आयोग का निर्णय सचिन के पक्ष में हुआ है : जनसूचना अधिकारी को जारी हुआ नोटिश
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन अंतर्गत आहरित किये गये धनादेश के संबंध में सचिन ताम्रकार द्वारा सूचना का अधिकार के तहत नगर पालिका परिषद गरियाबंद से जानकारी की मांग की गई थी , समयावधि समाप्त होने के बाद भी उन्हें जानकारी नहीं दी गई। जिसके बाद उन्होंने प्रथम अपील प्रस्तुत की , प्रथम अपील में निराकरण नही किया गया। जिसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील प्रस्तुत की गई। अभी हाल ही 4 मार्च 2022 को छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग द्वारा प्रकरण क्रमांक ए/ 867/2021 पर निर्णय पारित किया गया है। आयोग द्वारा पारित निर्णय में तत्कालीन जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध नोटिश जारी करने की अनुशंसा की गई है। निर्णय सचिन ताम्रकार के पक्ष में हुआ है। आयोग द्वारा पारित निर्णय में लेख किया गया है कि जन सूचना आवेदन दिनांक 06 नवंबर 2020 के समय पदस्थ जन सूचना अधिकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 ( 1) के तहत कारण बताओ नोटिश जारी किया जाये, की क्यो ना उन पर समयावधि में जानकारी प्रदान नही करने के लिए 250 रु प्रतिदिन के मान से अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड अधिरोपित किया जावे एवं कर्तव्यों के निर्वहन में शिथिलता बरतने के लिए अधिनियम की धारा 20 ( 2) के तहत क्यों ना अनुशंसात्मक कार्यवाही के लिए विभाग प्रमुख को अनुशंसा की जाये।
इस निर्णय से पाठक समझ ले कि नगर पालिका परिषद में सभी दूध के धुले नही है अगर होते तो जानकारी कब की प्रदान कर दी जाती। अब ये भृष्टाचारी जागरूक नागरिक पत्रकार व आरटीआई कार्यकर्ता को बदनाम करने , उन्हें नीचा दिखाने साथ ही मनोबल तोड़ने महिलाओं को सामने ला रहे हैं।