सन 2013 में एक फिल्म आई थी “फटा पोस्टर निकला हीरो” अब छत्तीसगढ़ की राजधानी में “हटा सावन की घटा” के तर्ज पर पोस्टर {दौर} वार “poster stretch” देखने को मिल रहा है।
कांग्रेस के तथाकथित सुप्रीमो का राजधानी आगमन है, इस मौके पर ‘वनवासी पार्टी’ ने जमकर मीडिया संस्थानों पर न्योछावर लुटाई है। समूचा रायपुर स्वागतोत्सुकों के मुखड़ों के साथ फलैक्स – पोस्टरों से अटा पड़ा है मगर जिस वरिष्ठ और कद्दावर नेता के दौलत से कुर्सी हासिल करने वाले अहसान फरामोश लोग उनकी पोस्टर को हटाकर उनका मजाक उड़ा रहे हैं !
Raipur hct : छत्तीसगढ़ में 15 साल का वनवास काटने के बाद ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में आई कॉन्ग्रेस में सियासी हालात कुछ ठीक नहीं है। साडे 3 साल बीत चुके हैं मगर हालात अब भी वही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के बारे में कहा जाता है कि यहां कांग्रेस को विपक्ष की जरूरत नहीं है। कांग्रेसी ही कांग्रेसी की बखियां उधेड़ने में लगे हैं। सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के ढाई-ढाई साल सीएम फार्मूला की बात कोई नई नहीं है। इस फार्मूले ने दिल्ली तक की नीद उड़ा रखी है। विपक्ष में बैठी भाजपा भी इस का मजा खूब लेती है। ऐसा ही वाक्या आज हुआ है। छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय इस मामले पर चुटकी लेते हुए twitter पर एक वीडियो शेयर भी किया है।
‘विष्णुदेव’ ने ली फिरकी और ‘दाऊजी’ को दी ‘नसीहत’..!
इस वीडियो में राजधानी रायपुर में टी एस सिंह देव और राहुल गांधी की आदम कद पोस्टर को सरकारी गाड़ी में सरकारी मुलाजिमों द्वारा निकालते हुए दिखाया गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु देव साय twitter पर एक वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया है कि – “विपक्षी पार्टी से बैर” समझ में आता है। मगर स्वयं की पार्टी में अपने समकक्ष नेता से “जलन की भावना रखना” समझ के परे है। Bhupeshbhaghel जी याद रखिए.. ” विनाशकाले विपरीत बुद्धि”
'विपक्षी पार्टी से बैर' समझ में भी आता है, किंतु स्वयं की पार्टी में अपने समकक्ष नेता से ऐसी 'जलन भावना' समझ से परे है। @bhupeshbaghel जी, याद रखिये… "विनाश काले विपरीत बुद्धि" pic.twitter.com/hZtWnkGeYK
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) February 2, 2022
“मसला” शॉर्ट में..
पिछले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। जिन्हें प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया का समर्थन था, तो दूसरी तरफ कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट “जन घोषणा पत्र” के रचियता टी एस सिंह देव; राहुल जी के खासमखास में गिने जाते थे। 15 साल से एक ही शासक को देखकर ऊब चुकी छत्तीसगढ़ की जनता ने, कांग्रेस की एकजुटता और मेहनत को देखकर इनाम के रूप में बंपर बहुमत दिया। लेकिन; सवाल अटक गया सीएम बनने पर..?
काफी उठापठक के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते नियमानुसार भूपेश बघेल की ताजपोशी हुई। ठीक उसी तरह जैसे राजा महाराजाओं के जमाने में बड़े बेटे “युवराज को ही राजा” बनने का हक होता था। नियम तो नियम है। भले ही मेहनत और परफॉर्मेंस दोनों की थी, मगर राजा की कुर्सी तो एक ही थी। भले ही ‘बाबा’ का कद लम्बा हो, मगर बड़े तो ‘दाऊजी’ ही है। द्वापर युग देख लो, सो इस मामले में भूपेश बघेल बाजी मार गए।
इसी बीच हवा उड़ी की दोनों के बीच ”ढाई–ढाई साल के सीएम” होने का अघोषित कॉन्ट्रैक्ट हुआ है।
“घमासान” पार्ट 2
कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद एक बार फिर से सियासी घमासान उठा। जिसने दिल्ली के आकाओ के भी सिर में दर्द कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री ‘सिंहदेव’ दिल्ली पहुंचे और मीडिया को एक बयान देकर जिसमें कहा था कि कप्तान कोई भी हो सकता है! सियासी भूचाल मचा दिया। नतीजा.. थोक के भाव में विधायक तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थन में दिल्ली लैंड हुए और अंततः बहुमत आधारित संविधान के अनुसार जीत बहुमत की हुई।
राहुल गांधी 3 फरवरी को छत्तीसगढ़ आने वाले हैं। राजधानी रायपुर में उनका प्रवास होगा। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव और राहुल गांधी की जॉइंट आदमकद फ्लेक्स, जो सरकारी खंभो और चौक चौराहों पर लगी थी। एक तरह से देखा जाए तो इन सरकारी खंभा पर सत्ताधारी दल का अघोषित अधिकारिक हक होता है; मगर,
नियम का हवाला देते हुए नगर निगम की सरकारी गाड़ी में उन्हें कचरे के भाव निकाल कर फेंक दिया गया…
बाबा का दुर्भाग्य
सियासत है यहां सब कुछ जायज है! मगर जो भी हो.. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव “बाबा” अब एक बात तो समझ ही गए होंगे, राजनीति भरोसे की चीज नहीं है। यहां पहले आओ पहले पाओ होता है..! शायद “बाबा” सूबे के पहले एक ऐसे कद्दावर मंत्री होंगे, जिनकी की अथाह बहुमत की सरकार और समर्थक होने के बावजूद उनके पोस्टरों को हटाया गया। उनके साथ साथ कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी का भी दुर्भाग्य दिखता है ! जिनकी अपनी सरकार में सर्वेसर्वा होने के बाद भी.. उनकी तस्वीरों को इस उतारकर निगम की गाड़ी में ससम्मान स्थान दिया गया। वरना मजाल है की जिसकी सरकार हो उसके अदने से नेता का भी पोस्टर या तस्वीर सरकारी खंभों से.. ये सरकारी कर्मचारी हटा ले!
