बालोद hct : छत्तीसगढ़ की धरा जहाँ की सभ्यता और संस्कृति में भाईचारा व एक दूसरे पर अथाह प्रेम रूपी सागर के रूप में जाना व पहचाना जाता है। प्रदेश के ज्यादातर हिस्सा खासकर ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में साल के इन दिनों में नवधा रामायण की पाठ एवं प्रतियोगिता के मंच पर राम नाम की अविरल धारा बहती रहती है। हालांकि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण नवधा रामायण कार्यक्रम ज्यादातर जगहों की विगत तीन वर्षों से रद्द होती हुई आ रही है, इसका कतई यह मतलब नहीं है कि; उन जगहों पर शराब की नदियां बहाई जाए। लेकिन हकिकत की धरातल पर मंजर यही बयान कर रही है।
मयखाना में तब्दील चखना सेंटर
जी हां हम बात कर रहे है प्रदेश सहित जिला के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों के ज्यादातर गांव में जहाँ पर नवधा रामायण की पाठ सुनाई देती थी उन जगहों पर आज खुलेआम शराब की नदियां बहाई जा रही है गांव-गांव, शहर-शहर के छोटे-छोटे दुकानो में शराब का सेवन कराया जा रहा है और अवैध रूप से चखना संचालित की जा रही है।
जिला में अवैध चखना सेंटरों की भरमार।
कांग्रेस सरकार बनने के बाद हुई हालत बद से बद्तर भाजपा सरकार के दौरान भी सरकार ने शराब जमकर बेंचा , लेकिन मौजूदा दौर जैसी हालत नहीं बनी हुई थी। कांग्रेस सरकार चुनावी घोषणा पत्र में शराबबंदी की घोषणा करने के बाद अब तक शराबबंदी के वादे पर विफल है। शराबबंदी पर अब तक सिर्फ सरकारी बहानेबाजी, चखना सेंटर के आड़ में पनप रहे हैं। कई प्रकार के अवैध धंधे आबकारी व पुलिस विभाग की कार्यवाही महज खानापूर्ति का हिस्सा।
“नशा नाश की जड़ है।” यह कहते हुए अनेक बार हम सभी ने सुना है; लेकिन जब शासन और प्रशासन लोगों को नशा करने हेतू प्रेरित करने लगे, तब ऐसे में क्या किया जा सकता है स्वयं विचार करें ? किसी भी राष्ट्र के लिए एक सभ्य और शिक्षित समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है, लेकिन राष्ट निर्माता कहे जाने वाले हमारे नेता और सिस्टम राज्य के जनता को शराब पीलाने के लिए आतूर हो तब कौन क्या कर सकता है ?
बहरहाल बालोद जिला अंतर्गत होटल, ढाबा, छोटे-छोटे दुकान पर शराब पीने व पिलाने की कार्य अनवरत जारी है…
