छत्तीसगढ़ प्रदेश को अस्तित्व में आए 21 साल पूरा हो चुका है, यदि इंसानी नजरिए से देखा जाए तो इस पड़ाव में पहुँचते – पहुँचते किसी इंसान का बच्चा अपनी यौवन की अंगड़ाई के रहा होता, लेकिन प्रदेश; अपने पिछड़ेपन के दंश से आज तक उबार नहीं पाया है और इस पिछड़ेपन की वजह से ही अन्धविश्वास की काली परछाई से आज तलक इस प्रदेश को मुक्ति नहीं मिल पाई हैं। हालाँकि अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र; लम्बे अर्से से इस कुरीति के खिलाफ अभियान छेड़ रखे हैं मगर फिर भी अभिशाप के रूप में मिली टोनही (डायन) का अन्धविश्वास पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है।
प्रताड़ित युवक के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहा सम्बंधित थाना !
रायपुर (hct)। पुरानी बस्ती थाना क्षेत्रान्तर्गत वामनराव लाखे वार्ड नम्बर 66 कुशालपुर में मोहल्ले का एक युवक गिट्टी खदान कहे जाने वाले एरिया में एक महिला को विगत 6 महीने से टोनही कहकर प्रचारित कर रहा है इसकी शिकायत महिला ने तमाम जिम्मेदारों को कर चुकी है…
मगर पुरानी बस्ती थाना प्रभारी; इस मामले को एकदम दरकिनार किया जा रहा है और “मामले में जाँच के नाम पर टालने का प्रयास कर रहे हैं” या यूँ कहे कि आरोपित युवक के खिलाफ कार्रवाई करने में थाना स्टाफ के हाथ पांव फूल रहे हैं ! वहीं हताश महिला, अख़बारों और थाने का चक्कर लगाकर थक चुकी है।
इस अंदेशे को दरकिनार नहीं किया जा सकता कि; हताशा में आकर कभी भी किसी तरह की घटना अथवा अंजाम कारित हो सकता है। इस सम्बन्ध में थाना प्रभारी बृजेश तिवारी उचित जवाब देने से बचते रहे..!
छत्तीसगढ़ में टोनही (डायन) को लेकर अंधविश्वास इतना गहरा है कि इसके खिलाफ कानून बनने के बाद भी लोग इससे उबर नहीं पाए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने टोनही के खिलाफ सन 2005 में टोनही निवारण कानून बनाया था। किसी महिला को टोनही प्रताड़ना देने वाले व्यक्ति को 5 से 10 वर्ष तक कि सजा हो सकती है और हत्या करने कि स्थिति में धारा 304 के तहत हत्या का मुकदमा चलाया जाता है।
मुंगेली में घट चुकी है घटना।
24 जून 2021 को इसी तरह की एक घटना मुंगेली में कारित की जा चुकी है। जिसमें एक आदिवासी महिला सबना बाई जिसे महराज और उसके गुर्गों के द्वारा “टोनही” करार देकर जिन्दा जला देने से मर गई…
क्या है टोनही ?
अंचल में मान्यता है कि प्रतिवर्ष हरेली अर्थात् श्रावण कृष्ण अमावस्या की रात्रि को मंत्र सिद्ध करने के बाद औरतें टोनही बनती हैं। अंधविश्वास है कि टोनही जादू-टोना करके लोगों को नुकसान पहुंचाती है। पुराने जमाने में किसी गांव में कोई बीमारी फैले या फसल बर्बाद हो या कोई विपदा आए तो उसका आरोप उस औरत पर मढ़ दिया जाता था जिसे गांव के लोग टोनही समझते थे। इसके बाद उसे पूरे गांव के सामने प्रताड़ित किया जाता था। पूरे गांव के आक्रोश के सामने उस महिला को न अपनी बात रखने का मौका मिलता था न खुद के बचाव का। आज भी कई लोगों में टोनही या डायन के प्रति बेहद अंधविश्वास है। उन्हें लगता है कि टोनही जादू-टोने से कुछ भी कर सकती है।
3 से 5 साल जेल का है प्रावधान
टोनही प्रताड़ना के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 बनाया है। टोनही महिला के रूप में पहचान बताकर उसे प्रताड़ित करने पर सजा का प्रावधान है। इसमें किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी को टोनही के रूप में पहचान या टोनही के नाम से बुलाने पर तीन साल का कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
क्रमशः
