बालोद (hct)। जिला के एकीकृत बाल विकास विभाग द्वारा जिला के अनेक जगहों पर आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने का प्रयास किया जा रहा है ,इन छात्रावासों में भारत सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा सहयोग व आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है, जिसके चलते इन छात्रावासों में अध्यनरत बच्चों का समूल विकास हो सके।
Collection of timeless medicines for treatment in tribal hostel!
सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है और कागज पर मौजूद आंकड़े भी छात्रवासों में खर्च की गई आंकड़ों को सही बताती है, लेकिन हकीकत के धरातल पर मंजर भले ही अलग हो, इससे ना तो सरकार को फर्क पड़ता है और ना ही अधिकारियों को दरअसल 09 दिसम्बर को समस्त संसार मानव अधिकार दिवस मनाने जा रहे थे, तभी हमें बालोद जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम बड़हूम स्थित बालक छात्रावास के पास एक स्कूली बच्चा बीमार की हालत और गंभीर अवस्था में मिला, उसके परिजन उसे हास्पिटल ले कर जा रहे थे। उन्हें जल्दी थी; इसलिए हमारे पहुंचने से पहले निकल गये।
हमें लगा कि; स्कूली लिबास में बीमार बच्चा कहीं छात्रावास बड़हूम का तो नहीं है, जिसकी पतासाजी हेतू बड़हूम छात्रावास गये जहाँ हमें जो नजारा देखने को मिला वह वाकई किसी भी स्वस्थ इंसान को बीमार कर देने वाली थी। बड़हूम स्थित बालक छात्रावास में Expiry medicine कालातीत दवाईयों का संग्रहण देखने को मिला। मामले में छात्रावास में स्थित शिक्षक से जब हमने पुछा तो उसने भी बताया कि छात्रावास में रखी गई दवाईयो को रखें हुए बहुत दिन हो गए हैं।
बवाल मचे इसके पहले ही ठिकाने लग दिया।
सोचने वाली बात यह है, Expiry medicine को बड़हूम स्थित बालक छात्रावास में सजा कर रखने हेतु एकीकृत बाल विकास विभाग बालोद ने कोई फरमान जारी किया हुआ है ? और यदि फरमान जारी किया हुआ है तो हमारे द्वारा सवाल पुछे जाने के बाद दवाईयों को उक्त सजावट से हटाकर फेंक क्यों दिया गया ?? हालांकि 9 दिसम्बर को राजा राव पठार मेला आयोजन में शामिल होने के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि प्रदेश में आदिवासियों के साथ उनकी सरकार में कहीं अन्याय नहीं होगा, लेकिन छात्रावास बड़हूम में एक्सपायरी दवाई रख कर इन दवाइयों का इस्तेमाल कहाँ होता है यह प्रश्न जिम्मेदारों से पूछा जाना लाजमी है।
