पीड़ित परिवार ने कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार
रायगढ़। सारंगढ़ ब्लॉक में एक समाज की महिला और उसके परिवार को उसके समाज के लोगों ने इसलिए बहिष्कृत कर उसका हुका-पानी बंद कर दिया है क्योंकि वे अपने समाज के आराध्य के अलावा बाबा गुरुघासी दास की पूजा-अराधना करते हैं। पुलिस में शिकायत के बाद भी कुछ कारवाई नहीं होने पर पीड़ित परिवार ने कलेक्टर को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है।
सारंगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम गोड़म में श्रीमती रम्मा बाई साहू 55 वर्ष अपने पति पिडनाथ और बेटे-बहु व पोते के साथ रहते है। इनके परिवार में कुल 7 सदस्य हैं। बरसों से यह परिवार गांव में अपने समाज के साथ मिलजुल कर रहता था और सामाजिक रूप से शादी-विवाह, दशकर्म आदि कार्यक्रमों में शामिल होकर एक साथ खान-पान करते आ रहा था। मगर विगत 27 अक्टूबर से उसके परिवार के किसी भी सदस्य को सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने से मना कर दिया गया है।
रम्भा बाई का कहना है कि गांव के दिगंबर साहू, अमरनाथ साहू 10 साल तक समाज से अलग थे। इस साल हो वे समाज में फिर से मिले हैं और तभी से उमरू दिगंबर, अम्बर साहू समाज के लोगों को दिग्भ्रमित कर उन्हें समाज से अलग कर दिये। समाज वालों को भड़का कर इन लोगों ने रम्भा बाई और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। हुक्का-पानी बंद करते हुए सामाजिक कार्यक्रमो में बुलाने से मना कर दिया है। यह सब उनके परिवार के साथ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ये बाबा गुरुघासीदास की पूजा-अर्थना करते हैं जिसके कारण ही समाज के लोग असे हुआछुत को भावना रखने लगे हैं।
अपने पोते के साथ कलेक्टोरेट पहुंची रम्भा बाई अपनी व्यथा सुनाते हुए वितख-बिलख कर रो रही थी। कलेक्टर को दिये आवेदन में उसने बताया है कि घर में मेरे बच्चे है। समाज से अलग कर हुका-पानी बंद कर दिये जाने से उनके समक्ष जीवन निर्वाह करने में परेशानी हो रही है। दूसरे गांव जा-जाकर भीख मांगकर अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं।
चूंकि सारंगढ़ पुलिस से कोई न्याय नहीं मिला. इसलिए वे कलेक्टर के दरबार में आये हैं। रमाबाई की मानें तो इस मामले को उसने कई बार सारंगढ़ थाने में शिकायत भी मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 28 अक्टूबर 18 नवंबर की शिकायत के बाद फिर से 2 नवंबर को उमरू, दिगंबर अन्य लाठी-डंडे लेकर उन्हें मारने आये थे जहां किसी तरह उन्होंने भागकर अपनी जान बचायी और पुनः 23 नवंबर को सारंगढ़ थाने में शिकायत की है।
