शराब के गर्त में गोता खाता छत्तीसगढ़ प्रदेश…

विनोद नेताम
(संवाददाता)

बालोद। छत्तीसगढ़ राज्य के राजभाषा में विगत कुछ माह पहले यह गाना स्थानीय कलाकारों के माध्यम से दर्शकों तक पहुंची इस गाने को लेकर दर्शकों के बीच काफी लोकप्रियता देखी गई कारण है इस गीत के बोल जो आज के वर्तमान परिदृश्य में बिलकुल सटिक माना जा राहा है ।छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान अनेक रूप में होती है यह बात सौ टका सत्य है।

आदीवासी सभ्यता और संस्कृति से सुसज्जित पृष्ठभूमि की आवरण से आच्छादित इस प्रदेश में विभिन्न प्रकार की विविधता है। छत्तीसगढ़ की पहचान इन दिनों मुख्य रूप से दो चीजों को लेकर हो रही है और यह पहचान दिनों दिन दुनिया में मशहूर हो रही है। पहला है,”गोबर जिसकी चर्चा लोगों की जुंबा पर दिन (24 घंटा) में सबसे ज्यादा रहती है” और दूसरी है शराब !

छत्तीसगढ़ शायद संसार भर में पहला राज्य है जहां की सरकार ने गोबर खरीद और बिक्री प्रक्रिया की शुरुआत कर रखी है, तो वंही छत्तीसगढ़ पहला राज्य भी है जंहा की सरकार ने चुनाव से पहले राज्य में पूर्ण शराबबंदी की बात गंगाजल को हाथ में लेकर कसम खाते हुए की थी। कुछ दिन पहले राज्य सरकार की गोबर प्रेम पर न्यायपालिका के न्यायाधीश के मुखारविंद से बहुत कुछ सुनने को मिला है।

छत्तीसगढ़ राज्य में जिस तरह से शराब की खपत देखी जा रही है लगता है आने वाले दिनों में शराब को पड़ौसी राज्यों से भी मंगाया जायेगा यह राज्य उत्तर प्रदेश भी हो सकता क्योंकि यूपी में आगे वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी की ओर से छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव प्रभारी है तो वंही भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को यूपी चुनाव आबर्वेजर बनाया है इसलिए ऐसा काहा जा रहा है लेकिन अभी तय नहीं है यह महज लोगों की प्रतिक्रिया है। छत्तीसगढ़ की सरकार तत्पर है अपने नागरिकों के घरों तक शराब पहुंचा कर देने में और गोबर लोगों के घरों से खरीदने में शराबबंदी का वादा आज भी भिंभोरा के अंदर में बैठकर पुछ रही है कका मोर बारी कब आही ….?

भारत के इकलौती राज्य जंहा पर गोबर खरीदी जाती है और रोजना करोड़ों रुपए की शराब बेंची जाती है डाक्टरों की सलाह है कि शराब सेहत के हानिकारक है और संतों की सलाह है कि नशा नाश का जड़ है लेकिन छत्तीसगढ़ में शराब पीना और शराब की खुमारी में बहक जाना शायद यह फैंशन बन कर रह गई है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर जिस तरह से शराब की खपत बढ़ रही है ठीक उसी तरह से अपराधो की मेलोमिटर भी बढ़ रही है और सरकार को इस बात की भली भांति जानकारी है। शराब इस वक्त छत्तीसगढ़ को कंहा कंहा से खोखला करते हुए निगल रही है, लेकिन वो कहते है ना कि बाबू की सद्भावना मन में हो यह जरुरी नहीं है, लेकिन बापू जेब में नहीं हो तो मजा भी नहीं है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद लोगों ने राज्य में शराबबंदी लागू कर प्रदेश में पूर्ण नशा बंदी की उम्मीद रखी थी , लेकिन फिलहाल वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह सपना संजोने वाले लोग छाती में पत्थर रखकर सो रहे है, और उस पत्थर पर मुंग दल रही है छत्तीसगढ़ के सरकार और आलम यह है कि राज्य में शहर व गांव के गली, घोर, चौक चौराहे सरकारी कार्यालय, नेता जी कार्यालय और अंत में देवालय तक में पानी पाऊच और प्लास्टिक डिस्पोजल की ग्लास पड़ी हुई मिल जायेगी।

जनता का जिस शराब के चलते भारी नुक़सान हो राहा है, आखीर उस शराब को बंद करने वाली सरकार की नियत जनता की सेवा कम बल्कि मेवा खाने की ज्यादा रहती है ऐसा माना जाता है शराब की घुमारी का असर छत्तिसगढ़ राज्य के अंदर बालोद जिला कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों ने कार्यविधि के दौरान शराब पीकर हंगामा मचाया घंटों बकबक करने के बाद डिप्टी कलेक्टर के सामने 108 से हास्पिटल पहुंचाया गया कुछ दिन पहले जिला के आबकारी विभाग के बड़े अधिकारी अशोक सिंह ठाकुर से संबंधित एक बड़ा मामला जिला भर में चर्चा का विषय बना हुआ था।

उस चर्चा में भी शराब का जिक्र हुआ था और जिला के और भी महारथीयो का नाम भी चर्चा में आया था लेकिन शिकायत वापस होने के चलते या फिर शाम दाम दंड भेद का सहारा लेकर मामले को गुपचुप तरीके से निपटा दिया गया और अश्लील वीडियो का स्क्रीनशॉट पर चर्चा वाली बात पिता तुल्य बनकर समाप्त हो गई खैर हम बात कर रहे है शराब की बहरहाल राजस्व विभाग के लेखा शाखा में पदस्थ शराब पीकर सरकारी आदेशों का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है ऐसा कहा जा रहा है।

 

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *