बालोद (hct)। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक विचारधारा से जुड़े हुए व्यक्तियों के लिए एक कहावत हमारे बड़े बुजुर्गो की ओर से कहीं गई है कि “जेन मनखे (नेताओं के लिए) हर अपन घर में पहले आगी लगाहि; उही मनखे हर दूसरा के घर में चुल्हा जलाही।” शायद इस कहावत को हम सभी नहीं भूले हैं और भूलने वाली ऐसी कोई बात नहीं है। सच कहूं तो लोग आज की राजनीति और राजनीतिक विचारधारा को अब करीब से जानते ही नहीं, बल्कि हर नेता की फितरत को करीब से पहचाने भी हैं। जनाब ये पब्लिक है, सब जानती है। चलिए अब छत्तीसगढ़ की पब्लिक छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों से निकलने वाली खबर को क्या मान कर चल रही है यह जानते है।
ज्ञात हो, कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों उठापटक का दौर थम ही नहीं रही है, हांलांकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार और पार्टी आलाकमान ऐसी किसी भी खबर को बेबिनुयाद बता रही है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार एक बढ़िया सरकार के रूप में प्रस्तुत कर रही है। कांग्रेस पार्टी आलाकमान इन दिनों खासा परेशान हैं यह बताने की हमें कतई जरूरत नहीं है। पंजाब में जो कुछ इस वक्त देखने को मिल रहा है, वह कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति और परिस्थिती की साफ छवि बंया कर रही है और कांग्रेस को अब समझने में देर नहीं करनी चाहिए। इसलिए अब शायद पार्टी आलाकमान को यह भी सुझाव मिल रही है दूध से जला हुआ बालक दही को भी फूंक-फूंक कर पीता है।
एक तरफ त्रिभूवनेश्वर शरण सिंह देव लगातार दिल्ली में अपटेड हो रहे है तो वहीं छत्तीसगढ़ में सियासी माहौल गर्म है। यह बात अब जग जाहिर है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर ढ़ाई – ढ़ाई साल की मुख्यमंत्री पद हेतू छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं के मध्य रायशुमारी हुई थी और सभी इस फैसले से खुश भी नजर आ रहे थे इस दौरान छत्तीसगढ़ की सरकार ने घोषणा पत्र के अनुसार छत्तीसगढ़ की धरा में योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया, लेकिन ढ़ाई साल सरकार की समयावधि पूरा होने के बाद से ढाई ढाई साल का फार्मूला धुंआ बनकर प्रदेश में फिजाओं में गुंजायमान होने लगा। हालाँकि चिंगारी की मुख्य वजह यही बताई जाती है, लेकिन बृहस्पति सिंह, विधायक कांग्रेस पार्टी के टी एस बाबा पर लगाये आरोप ने सुलगती हुई चिंगारी में मिट्टी का तेल डालने का काम किया जिसके चलते छत्तीसगढ़ सरकार के अंदर इन दिनों जबदस्त तपन महसूस किया जा रहा है।
मोहन की मुरली से निकली पार्टी धुन
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच जारी खींचतान को लेकर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बड़ा बयान दिया है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि न तो मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ हूं और न हीं मैं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के लिए खड़ा हूं। मैं राज्य में कांग्रेस संगठन का अध्यक्ष हूं और इस नाते मैं पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के प्रति उत्तरदायी हूं। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते जो मेरी जिम्मेदारी है उसके मुताबिक मैं केंद्रीय नेतृत्व के साथ हूं।
विदित हो कि, छत्तीसगढ़ राज्य एक आदिवासी बाहुल्य राज्य है, राज्य के विधानसभा एवं छत्तीसगढ़ सरकार के केबिनेट में कई आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग मंत्री हैं और यहाँ तक छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम खुद एक आदिवासी है और उनके अनुसार राहुल गांधी जल्द छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर आदिवासी समुदाय के लिए प्रसिद्ध बस्तर और सरगुजा संभाग के दौरा कर सकते है।
कांग्रेस सरकार बनने के बाद आदिवासियों के खिलाफ बढ़ा अपराध
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के प्रति अपराध भी बढ़ा है। साल 2018 में 388, साल 2019 में 427, साल 2020 में 502 मामले ऐसे दर्ज किए गए हैं जो आदिवासियों के खिलाफ घटनाओं से संबंधित है। साल 2018 के मुकाबले साल 2020 में अनुसूचित जाति के खिलाफ भी आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं। इन घटनाओं से संबंधित साल 2018 में 264, साल 2019 में 341, साल 2020 में 316 केस दर्ज किए गए हैं तो वहीं बीजापुर जिले के सिलगेर में आज भी आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए लोग पुलिस कैंप के विरोध में लगातार 135 दिनों से आंदोलनरत हैं।
बीते दिनों छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर सर्व आदिवासी समाज ने एक बड़ा आंदोलन करते हुए मौजूदा कांग्रेस पार्टी की सरकार को मामले में दांत निपोरने के लिए खूब खरी खोटी सुनाई और रास्ता, सड़कें पूरा आवाजाही बंद कर दी , बताया जाता है , कि इस दौरान बड़े नौकरशाहो को आंदोलनरत आदिवासियों को भूल से भी ना छेड़ने की बात कही गई थी, जिसके चलते आंदोलन के दिन बड़े-बड़े नौकरशाहो की बोलती बंद रही, यहाँ तक जज की भी नहीं चल आंदोलनरत आदिवासियों ने जिला मजिस्ट्रेट तक की गाड़ी रूकवा दी बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी सभ्यता और संस्कृति के लिए दुनिया में मशहूर है और कांग्रेस पार्टी अपने घरेलू विवादों के चलते मशहूर है अब देखना यह है, कि छत्तीसगढ़ राज्य में पंजाब राज्य कि जैसी स्थिति निर्मित ना हो।